दिल्ली की बेटी हीरल साधू ने एशियन गेम्स में 3 हजार मीटर रिले रोलर स्केटिंग में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा है। 17 वर्षीय हीरल दिल्ली की सभी छात्रों के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है। 6 से 7 वर्ष की उम्र से हीरल ने स्केटिंग करना शुरू किया था और 10 वर्षों की कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास के साथ आज हीरल ने पुरी दुनिया में देश को गौरवान्वित किया है। हीरल ने तमिलनाडु के चेन्नई की आरथी कस्तूरी राज (29 वर्ष) और कार्तिका (16 वर्ष) के साथ रिले रोलर स्केटिंग में 2 अक्टूबर को कांस्य पदक जीता है।
दिए थे 6 ट्रायल हीरल के लिए, जो इस खिताब को बेहद मायने रखते हैं। हीरल के अनुसार, यह देश में पहली बार है कि स्केटिंग में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक प्राप्त हुआ है। उनका यह कामयाब सफर कई पहलुओं में एक मिसाल है। दिसंबर 2021 से मार्च 2023 के दौरान, हीरल ने रोलर स्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अधीन 6 ट्रायल दिए थे, और बीच-बीच में उनकी प्रतिभा को परखने के लिए उनके प्रदर्शन की जांच होती थी।
लक्ष्य पर ही ध्यान
हीरल को दिल्ली सरकार के वजीरपुर स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक बाल विद्यालय के फिजिकल एजुकेशन के लेक्चरर राहुल कौश ने कोचिंग दी है। राहुल, हीरल को दस वर्षों से स्केटिंग की कोचिंग दे रहे हैं। एशियन गेम्स में हीरल अपने कोच के साथ ही गई थीं। उन्होंने कहा कि कोच के साथ होने से खेल के प्रति मेरा मनोबल लगातार बना रहा और मेरा ध्यान हमेशा लक्ष्य पर था।
सोशल मीडिया, मोबाइल से दूर रहना
उत्तर पश्चिमी दिल्ली के रोहिणी सेक्टर-3 के आस्था अपार्टमेंट में रहने वाली हीरल, सोशल मीडिया और मोबाइल से बिल्कुल दूर रहती हैं। यहां तक की बीते तीन महीनों में हीरल ने सिर्फ पांच बार ही मोबाइल का इस्तेमाल किया है। उन्होंने अपने अभिभावकों और कोच से संपर्क करने के लिए ही सिर्फ मोबाइल का उपयोग किया है।
केवल अभ्यास पर ध्यान
26 सितंबर से 3 अक्टूबर के दौरान हीरल चीन के हांगझाऊ में थी। इससे पहले, हीरल ने 26 अगस्त से 3 सितंबर 2023 के दौरान इटली में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप में भाग लिया था, जहां उन्होंने 15 किलोमीटर की स्केटिंग रेस में एकल प्रतियोगिता में 10वीं रैंक प्राप्त की थी। इन तीन महीनों के दौरान, हीरल ने अपने अभ्यास पर पूरा ध्यान दिया और मोबाइल से दूर रहीं। हीरल बिल्कुल भी सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करती हैं और मोबाइल का उपयोग भी बहुत ही संवेदनशीलता के साथ करती हैं। 11वीं कक्षा में मोबाइल का प्राप्त होने के बाद से उन्होंने कभी भी इस पर अतिरिक्त समय नहीं बर्बाद किया है।
खेल के साथ पढ़ाई में भी है अव्वल
खेल के साथ पढ़ाई में संतुलन बनाने की एक शानदार परिभाषा हीरल ने दी है। इस वर्ष, हीरल ने 12वीं कक्षा में 83 फीसदी अंक प्राप्त किए, जिसमें कॉमर्स और मैथ्स शामिल हैं। वे स्केटिंग के प्रशिक्षण के साथ-साथ डीयू में प्रवेश प्राप्त करने के लिए सीयूईटी (सीसीई) की परीक्षा की तैयारी की। सीसीई परीक्षा में हीरल ने 600 में से 480 अंक प्राप्त किए। इसके बाद, उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में बीकॉम (व्यापारिक) ऑनर्स के लिए पहली सूची में दाखिला प्राप्त किया। हीरल ने 12वीं कक्षा की पढ़ाई हंसराज मॉडल स्कूल, पंजाबी बाग से की है। 6 से 7 साल की आयु से स्केटिंग कर रही हीरल ने 10 वर्षों के समय में इस खेल में स्कूल, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 100 से अधिक पदक और पुरस्कार जीते हैं।
सुबह 4.30 बजे उठकर करती थीं अभ्यास
हीरल अपने पिता रोहित साधू, माता पायल साधू, दादी संतोष साधू और भाई हिमनीष साधू के साथ रहती हैं। एक निजी बैंक में उपाध्यक्ष के तौर पर कार्यरत रोहित ने बताया कि हीरल के अंदर बचपन से ही खेल के प्रति रुझान रहा है। वह हर रोज सुबह 4.30 बजे उठकर स्केटिंग का अभ्यास किया करती थीं। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में अगर बच्चे खेल में आगे बढ़ाना चाहते हैं तो उनके माता पिता उन्हें बढ़ावा देना चाहिए। उनकी मां पायल साधू ने बताया कि दिल्ली में स्केटिंग के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की बेहद जरूरत है। हीरल स्केटिंग का अभ्यास करने के लिए मोहाली जाया करती थीं। अब समय आ गया है कि दिल्ली में स्केटिंग को लेकर सुविधाओं को अच्छा करना आवश्यक है, जिससे इस खेल के प्रति ज्यादा से ज्यादा बच्चे इसमें शामिल हो कर अच्छा मुकाम हासिल करें।
10 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की संभावना है
क्योंकि हीरल साधू और उनके साथी एथलीट्स ने एशियन गेम्स में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और देश के लिए कांस्य पदक जीता है। प्रधानमंत्री मोदी ऐसे प्रतिष्ठित खिलाड़ियों से मुलाकात करने का सौभाग्य पाते हैं और उन्हें बधाई देते हैं, जो देश का नाम गर्व से बढ़ाते हैं।
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