वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)
गाजियाबाद। नगर निगम चुनाव शुरू हो गया है और सभी दलों में बॉयोडाटा देने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। भाजपा में बॉयोडाटा का सीन पूरे उफान पर है। कारण भी ये है कि भाजपा की केन्द्र से लेकर प्रदेश तक सरकार है। 100 वार्ड हैं और एक हजार से भी ज्यादा दावेदार हैं। कई वार्ड तो ऐसे हैं जहां एक सीट पर 40-40 दावेदार हैं। अब यहां पर कम्पटीशन कार्यकर्ताओं के बीच हो तो कोई परेशानी नहीं है लेकिन टेंशन इस बात को लेकर है कि अंजान चेहरों ने अपनी दावेदारी का तूफान मचाकर पुराने कार्यकर्ताओं को परेशान कर दिया है। कार्यकर्ताओं को अब ये अंजान कार्यकर्ता कई बार हैरान कर देते हैं। इनकी सिफारिश में आये फोन बूथ, बस्ते संभालने वाले देवतुल्य कार्यकर्ताओं को मानसिक रूप से परेशान कर देते हैं। अब कार्यकर्ता ही ये गुजारिश कर रहे हैं कि बाहर के बड़े नेताओं की सिफारिश कहीं उनका हक ना मार ले।
जिन्हें देखा नहीं कार्यक्रम में आते जाते वो खुद को वरिष्ठ हैं बताते
भाजपा कार्यकर्ताओं को सबसे ज्यादा परेशानी दावेदारों की उस भीड़ से है जो कभी भी भाजपा के कार्यक्रमों में दिखाई नहीं दी है। ये भीड़ मिसकॉली भाजपाईयों की भी है और ज्वाईनिंग के कार्यक्रम में नये आये भाजपाईयां की भी है। कमाल ये है कि ये नये भाजपाई खुद को वरिष्ठ बताते हैं। जबकि इन्हें किसी भी आयाम प्रवास प्रकल्प में नहीं देखा गया लेकिन ये दावेदार खुद को वरिष्ठ बताते हुए महंगे कलर बॉयोडाटा लेकर आ रहे हैं। पुराने कार्यकर्ता परेशान हैं कि इन्हें कभी बूथ पर नहीं देखा।
बिरादरी से लेकर गांव के एंगल से भी आ रहे हैं सिफारिशी फोन
सूत्र बताते हैं कि सिफारिश के फोन महानगर से लेकर जिले वालों तक आ रहे हैं। वार्ड वाली सिफारिश में राष्टÑीय और प्रदेश स्तर से फोन आ रहे हैं। ये नेता जिसकी सिफारिश कर रहे हैं उसके वार्ड ट्रैक को नहीं जानते लेकिन क्षेत्र का हवाला देते हुए, गांव का हवाला देते हुए, अपनी बिरादरी का हवाला देते हुए और किन्ही मामलों में तो रिश्तेदारी का हवाला देते हुए फोन आ रहे हैं। फोन भी असरदार होता है और कहा जाता है कि जिनके
लिए फोन कर रहे हें ये हमारे जानने वाले मिलने वाले हैं इनका ध्यान रखना। महानगर से लेकर जिले तक पार्षद दावेदारी के सबसे ज्यादा फोन आ रहे हैं।
करिये कार्यकर्ता को सपोर्ट और पहले लीजिये संगठन से रिपोर्ट
सिफारिश वाले फोनों से कार्यकर्ता का मनोबल गिर रहा है। वो कह रहे हैं कि मंडल से लेकर वार्ड स्तर पर जब पार्टी को भीड़ की जरूरत थी तो हम आगे आये। हमने बूथ पर काम किया, बस्ते लगाये, नारे लगाये, झंडे लगाये और अब जब मेहनत का रिवार्ड मिलना है तो वार्ड के लिए बाहरी बड़े नेताओं के सिफारिशी फोन उनके लिए आये जिन्हें कोई जानता नहीं। कार्यकर्ता चाहते हैं कि सिफारिश की भी एक गाईडलाईन बने।
सिफारिशी सिस्टम कार्यकर्ता को हो। सिफारिश कीजिये जरूर कीजिये लेकिन किसी को सपोर्ट करने से पहले स्थानीय संगठन से उसकी रिपोर्ट लीजिये। कई बार होता है कि राष्टÑीय या प्रदेश स्तर के पदाधिकारी को जानकारी ही नहीं होती कि जिसकी सिफारिश वो कर रहे हैं, उसने काम किया भी है या नहीं। क्योंकि महानगर संगठन, जिला संगठन को पता होता है कि किस कार्यकर्ता ने काम किया है। वह जानते हैं कि कौन महिला कार्यकर्ता बूथ पर काम करती है और कौन ट्रैक्टर रैली में ट्रैक्टर लेकर आया था। किसने बूथ पर काम किया, किसने आयाम को संभाला था।
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