Ghaziabad: डासना के शिव शक्ति धाम में स्थित महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि महाराज की सुरक्षा के लिए धन की व्यवस्था के लिए डॉ. उदिता त्यागी ने आज से 108 दिनों की भिक्षा यात्रा आरम्भ की है। इस यात्रा को शुरू करने के लिए उन्होंने राजनगर के आवास से मुख्य संरक्षक और समाजसेवी रविंद्र त्यागी के साथ आग्रह से भरी शिरोमणि महिला अश्रम का प्रवेश किया।
क्या बोली डॉक्टर
इस मौके पर डॉ. उदिता त्यागी ने बताया कि डासना के शिव शक्ति धाम भारतीय धरोहर का हृदय है और वह भिक्षा यात्रा के माध्यम से महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि महाराज के कार्यों को समर्थन प्रदान करना चाहते हैं। इस यात्रा में उन्होंने लोगों से भिक्षा मांगने का निर्णय लिया है, और जो भी धन मिलेगा, उसे शिव शक्ति धाम को समर्पित कर दिया जाएगा। इस यात्रा के दौरान उन्होंने अन्न को छोड़ने और जूते या चप्पल पहनने का संकल्प लिया है।
दर्शनीय स्थलों का भी किया दौरा
भिक्षा यात्रा की शुरुआत पर राजनगर के आवास से निकलते हुए डॉ. उदिता त्यागी को समर्थकों ने आशीर्वाद दिया। इसके बाद, भिक्षा यात्रा में जुटे लोगों ने डॉ. उदिता त्यागी के साथ सैकड़ों विशेषज्ञ और दर्शनीय स्थलों का दौरा किया। इस मौके पर राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण त्यागी ने कहा कि डॉ. उदिता त्यागी की भिक्षा यात्रा एक महत्वपूर्ण कदम है जो सामाजिक संदेश और धार्मिक साहित्य को बढ़ावा देगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस यात्रा के माध्यम से लोग धार्मिकता, सेवा, और समर्पण के मूल सिद्धांतों को सीखेंगे।
इसके परंतु, इस घड़ी में डॉ. उदिता त्यागी की भिक्षा यात्रा को सामाजिक और धार्मिक समाचार के रूप में संवाद में लाने का प्रयास किया गया है। यह सामग्री उपयोगकर्ताओं को एक नए दृष्टिकोण से आजाद और उन्मुक्त बनाने का प्रयास कर रही है, जिससे उन्हें नए और नए विचारों का सामना करने का अवसर मिलेगा।
समर्थकों को भी दिया आमंत्रण
इस सामाजिक पहल के माध्यम से, डॉ. उदिता त्यागी ने अपने समर्थकों को भिक्षा यात्रा में शामिल होने और उनके साथ साझा करने के लिए प्रेरित किया है। यह समर्थन उन्हें उनके कार्य में और भी सकारात्मक दिशा में बढ़ने में मदद करेगा और उनकी भिक्षा यात्रा को सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचाएगा। इसी समय, भिक्षा यात्रा को लेकर सामाजिक और धार्मिक साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए डॉ. उदिता त्यागी की कड़ी मेहनत और समर्पण की सराहना की जा रही है। यह यात्रा भारतीय समाज को एक सकारात्मक संदेश देने में सक्षम होगी और धार्मिक तथा सामाजिक साक्षरता की बढ़ती हुई आवश्यकता को पूरा करने में सहायक होगी।