गौरव शशि नारायण
गाजियाबाद , (करंट क्राइम)। रक्षाबंधन का त्यौहार जितना भाई के लिए महत्वपूर्ण होता है, उतना ही बहन के लिए भी इस दिन का महत्व रहता है। खाकी वर्दी धारण करने के बाद अधिकारियों की जहां लाइफस्टाइल बदल जाती है, तो वहीं उनके और नौकरी के बीच में रिश्ते, नाते और संबंधों में परिवर्तन भी देखने को मिलता है। एक समय था जब भाई अपनी बहन के लिए छुट्टी लेकर और लंबी दूरी तय करते हुए पहुंचते थे, तो बहानें भी भाई की कलाई पर अपना रक्षा सूत्र बांधने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहती थीं। समय का दौर बदला तो रिश्तों में भी थोड़ा परिवर्तन देखने को मिला है। मंगलवार को दैनिक करंट क्राइम ने गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट में अधिकारियों के रूप में जिम्मेदारी संभालने वाले कुछ प्रमुख चेहरों से बातचीत की। तो उन्होंने राखी पर बहन के ना पहुंच पाने और उनको छुट्टी पाने के लिए भी परेशान होना पड़ता है। पुलिस और प्रशासन के अधिकारी अपने मन की बता करते हुए कहते हैं कि जब से उन्होंने सरकारी सेवा की वर्दी पहनी है, तब से वह आॅनलाइन राखी को ही बांध रहे हैं। कई बार ईश्वर की कृपा हो जाती है और ऐसा संयोग बन जाता है की बहनें और भाई का रक्षाबंधन पर मिलन हो जाता है, पर कई भाइयों की कलाई सुनी भी रह जाती है।
डासना जेल में 31 को मनेगी रक्षाबंधन
गाजियाबाद, करंट क्राइम : रक्षाबंधन के पर्व को लेकर जहां ज्योतिषी अलग-अलग दिन और पहर हुए हैं, तो वहीं गाजियाबाद की पश्चिम उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी डासना जेल में 31 अगस्त को रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाएगा। डासना जेल के जेल अधीक्षक आलोक कुमार सिंह ने जानकारी दी है कि जेल में बंद लगभग 4400 बंदियों को रक्षाबंधन का पर्व 31 अगस्त को मनाने की छूट दी गई है। इस दिन जेल में बंद अपने भाइयों को जो भी बहनें राखी बांधने आना चाहती हैं उनको आने दिया जाएगा। इस दिन सुबह से लेकर शाम तक यहां रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा। जेल अधीक्षक आलोक सिंह ने कहा है कि इस दौरान राखी के अलावा अन्य बाहरी सामान ले जाने की इजाजत नहीं होगी।
वीडियो कॉल पर सेलिब्रेट करते हैं रक्षाबंधन
(करंट क्राइम) आईपीएस अधिकारी निमिष दशरथ पाटिल 2020 बैच के अधिकारी हैं और वर्तमान में पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद के सिटी जोन में एएसपी के पद पर कार्यरत हैं। वह बताते हैं कि वह मूलरूप से महाराष्ट्र के रहने वाले हैं। उनकी बहन उनको पुलिस की नौकरी में आने के बाद से कोरियर सेवा और आॅनलाइन एप के जरिए राखी भेजती हैं। वह कोशिश करते हैं कि रक्षाबंधन के दिन अपनी बहनों से वीडियो कॉल पर बातचीत करें और रक्षाबंधन की एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हुए उनकी रक्षा करने का संकल्प भी लें।
अब नहीं कर पाते हैं रक्षाबंधन का पर्व इंजॉय
(करंट क्राइम) पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद में एसीपी नंदग्राम के पद पर तैनात रवि सिंह कहते हैं कि वह जब लखनऊ में तैनात थे, तो उन्होंने कई बार रक्षाबंधन के पर्व को खूब इंजॉय किया है। लेकिन कई बार रक्षाबंधन के पर्व को वह बहुत मिस भी करते हैं। उनकी बहन लखनऊ में रहती हैं रवि सिंह सरकारी अधिकारी हंै। त्यौहारों पर छुट्टी नहीं मिल पाती है, इस वजह से रक्षाबंधन के पर्व पर जब बहनें उनको राखी भेजती हैं तो वहीं पल उनके लिए यादगार और खुशनुमा बन जाते हैं।
मिस करते हैं रियल सिस्टर का होना
(करंट क्राइम) पीपीएस अधिकारी और गाजियाबाद में एसडीएम सदर के पद पर तैनाद विनय सिंह कहते हैं कि उनके कोई रियल सिस्टर नहीं है। उनकी बुआ और मां की बहनें हर रक्षाबंधन पर उनको प्रेम का धागा भेजती हैं, लेकिन कई बार उनको राखी के लिए इंतजार भी करना पड़ता है। वह कहते हैं यह ऐसा त्यौहार है जिसकी वर्ष भर प्रतीक्षा रहती है लेकिन जब से वह सरकारी सेवाओं में आए हैं तो ब्रह्म कुमारी संस्था द्वारा लगातार उनके कार्यालय या वह संस्था के कार्यालय पर जाते हैं, जहां उनको कई बहानें राखी बांधती हैं और उनकी कलाई अब सुनी नहीं रहती है। पर रियल बहन होने का दर्द आज भी बना रहता है।
नहीं है रियल सिस्टर, कजिन करती हैं हमेशा याद
(करंट क्राइम) 2017 बैच के आईपीएस अधिकारी निपुण अग्रवाल वर्तमान में गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट में डीसीपी सिटी जोन के पद पर कार्यरत हैं। उनकी कोई सगी बहन नहीं है, लेकिन उनके परिवार में अन्य रिश्तेदारों की बहनें उनको रक्षा बंधन पर हर साल राखी भेजती हैं। उन्होंने कहा कि वह कई बार रक्षाबंधन पर अपने कार्यालय पर रहते हैं, तो जो बहनें उनके पास आती हैं, वह अपनी बहन मानकर उनसे रक्षा सूत्र बंधवाते हैं।
तीन बहनों के भाई हैं आईपीएस विवेक यादव
(करंट क्राइम) 2019 बैच के आईपीएस अधिकारी विवेक यादव बताते हैं कि उनकी तीन बहने हैं, लेकिन तीनों अलग-अलग जगह रहती हैं। वह वर्तमान में गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट में डीसीपी ग्रामीण के पद पर हैं। रक्षाबंधन पर छुट्टी मिल नहीं सकती है और बहानें अलग-अलग स्थान पर हैं तो एक साथ आना संभव नहीं है। इसी वजह से वह रक्षाबंधन के दिन बहनों द्वारा भेजी गई बायपोस्ट राखी को बांधते हैं और अब तकनीक का इस्तेमाल करते हुए बहनों से वीडियो कॉल कर उनको इस खास दिन की शुभकामनाएं दे देते हैं। वह बताते हैं कि पिछले साल तो उनके जीवन में यह खास दिन और खास बन गया था क्योंकि उनकी तीनों बहनें उनसे मिलने के लिए मेरठ आई थी और रक्षाबंधन के पर्व पर उनकी कलाई पर उन्होंने रक्षा सूत्र भी बांध दिया था। हालांकि विवेक कहते हैं कि कई बार रक्षाबंधन के अवसर के स्कूल-कॉलेज और अन्य सामाजिक संस्थान के कार्यक्रमों में जाना होता है, तो वहां बहानें उनकी क्लाई को रक्षा सूत्रों से भर देती हैं।
Discussion about this post