किसानों की समस्याएं आज भी दूर नहीं होने के कारण, किसान सोमवार को यमुना एक्सप्रेसवे के जीरो प्वाइंट पर महापंचायत का आयोजन करके धरना देंगे। इसके पश्चात, आंदोलन की रणनीति को तैयार करने का काम शुरू किया जाएगा। रविवार को भारतीय किसान यूनियन टिकैत के द्वारा राशन-पानी की पहुंच हो गई है, लेकिन उन्होंने गांव-गांव जाकर अधिक से अधिक लोगों को इसके बारे में जागरूक करने का भी प्रयास किया है। उनका कहना है कि अब वे आश्वासन पर नहीं, बल्कि पूरी पहुंचने पर ही धरना देंगे।
सोमवार को, भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष पवन खटाना के नेतृत्व में, जीरो प्वाइंट के नीचे अंडरपास में महापंचायत का आयोजन किया गया है। महापंचायत में आंदोलन की घोषणा की जाएगी, और किसानों की मांगों का समर्थन किया जाएगा। इसके लिए गांव-गांव में जनसंपर्क करके, अधिक से अधिक किसानों को जुटाने का प्रयास किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर भी लोगों से संपर्क करने का प्रयास किया जा रहा है।
पवन खटाना ने धरना स्थल पर पहुंचकर तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने किसानों की मांग की है कि 64.7 फीसदी मुआवजा, 10 फीसदी भूखंड, और आवासीय भूखंड प्रदान किए जाएं। उनकी मांगों में आबादी के मामलों का निस्तारण, जेवर एयरपोर्ट से प्रभावित किसानों को मुआवजा देने, उत्पीड़न बंद करने, गांवों के विकास करने, और शिक्षा व्यवस्था में सुधार जैसे मुद्दे शामिल हैं।
किसानों का आज लीजबैक निरस्त करने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं।
आज, अखिल भारतीय किसान सभा के नेतृत्व में, किसान ग्रेनो प्राधिकरण के खिलाफ लीजबैक के 237 मामलों को निरस्त करने के विरोध में प्रदर्शन करेंगे। किसानों का आरोप है कि प्राधिकरण के कुछ अधिकारियों की मनमानी के परिणामस्वरूप, उन्हें नुकसान हो रहा है। किसान सभा के अध्यक्ष डॉ. रुपेश वर्मा ने बताया कि शासन ने नवंबर 2020 में बिसरख जलालपुर के प्रकरणों में जांच के लिए डॉ. अरुणवीर की अध्यक्षता में एसआईटी कमेटी का गठन किया था, जिसमें लीजबैक के सभी मामले शामिल थे। प्राधिकरण के कुछ तत्कालीन अधिकारियों ने किसानों के खिलाफ अपना फैसला दिया था।
प्राधिकरण गेट पर आज महापंचायत हो रही है।
किसानों की मांगों को पूरा नहीं करने के विरोध में, भारतीय किसान परिषद सोमवार को नोएडा प्राधिकरण के गेट पर महापंचायत करेगी। परिषद के अध्यक्ष सुखबीर खलीफा ने किसानों से नोएडा प्राधिकरण के गेट पर एकत्र होने के लिए कहा है। परिषद के पदाधिकारियों ने कहा कि आश्वासन के बाद भी किसानों की मांगें, जैसे मुआवजा और भूखंड, पूरी नहीं की गई हैं।