कैंसर शरीर में होने वाली एक असामान्य और खतरनाक स्थिति है। यह तब होता है जब शरीर में कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने और विभाजित होने लगती हैं। कैंसर की सबसे बड़ी वजहों में धूम्रपान, तंबाकू और शराब का सेवन है। इसके अलावा मोटापा, शरीर में पोषक तत्वों और फिजिकल एक्टिविटी की कमी भी इसका सबसे बड़ा कारण है। अगर जल्दी पता चल जाए और प्रभावी ढंग से इलाज किया जाए तो ज्यादातर कैंसर की बीमारियां ठीक हो जाती हैं।
भारत के लिए चिंता क्यों?
कैंसर रोगियों के आंकड़ों को देखें तो यह वास्तव में चिंता की बात है। दुनिया के कुल कैंसर रोगियों में 20% अकेले भारत में हैं। यह संख्या पिछले 5 वर्षों में लगातार बढ़ रही है। भारत कैंसर रोगियों की संख्या के मामले में तीसरे स्थान पर खड़ा हुआ है। देश में केरल, हरियाणा, पंजाब, मिजोरम, कर्नाटक से सबसे अधिक कैंसर रोगियों की रिपोर्टिंग होती है। अमेरिका के ओहियो स्थित क्लीवलैंड क्लीनिक के हेमेटोलॉजी एंड मेडिकल आॅन्कोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. जामे अब्राहम ने यह रिपोर्ट जारी की। उन्होंने कहा कि भारत में जिस तरह से गंभीर बीमारियां बढ़ रही हैं, इसे रोकने के लिए यह बेहद जरूरी है कि वो इसकी रोकथाम और उपचार पर तेजी से काम शुरू करे। भारत को कैंसर के टीके, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डाटा डिजिटल तकनीक के विस्तार को एडवांस्ड करना जरूरी है। डिजिटल प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी और टेलीहेल्थ जैसी तकनीकें रोगियों और विशेषज्ञों के बीच की खाई को कम कर सकती हैं जिनकी मदद से दूरदराज के मरीज महानगरों में बैठे डॉक्टरों से भी मेडिकल सेवाएं और सलाह दे सकते हैं।
भारत में क्या हैं हालात
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले महीने बताया था कि देश में 2020 से 2022 के बीच अनुमानित कैंसर के मामले और इससे होने वाली मृत्यु दर में वृद्धि हुई है। इंडियन काउंसिल आॅफ मेडिकल रिसर्च यानी (आईसीएमआर) के आंकड़े चिंता बढ़ा रहे हैं। नेशनल कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के अनुसार, 2020 में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कैंसर के मामलों के अनुमानित मामले 13,92,179 थे। वहीं 2021 में बढ़कर 14,26,447 हुए। 2022 में ये मामले बढ़कर 14,61,427 पर पहुंच गए। बता दें कि 2020 में भारत में कैंसर के कारण अनुमानित मृत्यु दर 7,70,230 (लगभग सात लाख 70 हजार) थी। 2021 में बढ़कर 7,89,202 और 2022 में बढ़कर 8,08,558 हो गई।
रिपोर्ट के आंकड़े चौंकाने वाले
एक अन्य रिपोर्ट को भारत के फेडरेशन आॅफ इंडियन चैंबर्स आॅफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और ब्रिटेन की अर्न्स्ट एंड यंग एजेंसी ने मिलकर तैयार किया है। मेकिंग क्वालिटी कैंसर केयर मोर एक्सेसिबल एंड एफॉर्डेबल इन इंडिया के अनुसार, भारत में वास्तविक कैंसर के केसों की संख्या रिपोर्ट किए गए केसों की तुलना में 1.5 से तीन गुना अधिक हो सकती है। वहीं, डब्ल्यूएचओ ने रिपोर्ट किए जा रहे नए सालाना कैंसर के केसों की 2020 की रैंकिंग में चीन और अमेरिका के बाद भारत को तीसरे स्थान पर रखा था।
भारत में महिला और पुरुष कैंसर आम
पिछले कुछ सालों के आंकड़ों के अनुसार, भारत में पुरुषों में सबसे ज्यादा मुंह और फेफड़ों के कैंसर के मामले सामने आए हैं। वहीं महिलाओं में सबसे ज्यादा मामले ब्रेस्ट और गर्भाशय के कैंसर के रहे। भारत में साल 2018 में ब्रेस्ट कैंसर से 87 हजार महिलाओं की मौत हुई थी।
भारत में फेफड़ों का कैंसर एक बड़ी समस्या
तंबाकू कैंसर की बीमारी के लिए जिम्मेदार कारकों में सबसे अहम है। धूम्रपान और तंबाकू की वजह से फेफड़ों का कैंसर होता है। कई रिपोर्टों में दावा किया गया है कि 40 फीसदी ऐसे मामले हैं जो टोबैको रिलेटेड कैंसर(टीआरसी) यानी तंबाकू के सेवन की वजह से होते हैं। युवाओं में भी ये बीमारी देखने को मिल रही है।
मोटापा भी सबसे बड़ा कारण
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च के अनुसार, कैंसर बढ़ने का कारण मोटापा भी है। शरीर में फैट होने पर कैंसर कोशिकाएं तेजी से बढ़ती हैं। मोटापा कम से कम 13 अलग-अलग प्रकार के कैंसर के जोखिम को बढ़ाने के लिए जाना जाता है। जिनमें रजोनिवृत्ति के बाद का स्तन कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर, किडनी कैंसर, गालब्लैडर कैंसर, एंडोमेट्रियल कैंसर, थायरॉयड कैंसर, लिवर, इंटेस्टाइन का मल्टीपल मायलोमा और एडेनोकार्सिनोमा शामिल हैं। इसलिए मौजूद समय में मोटापे से दूर रहना और एक हेल्दी बॉडी वेट बनाकर रखना चाहिए। फल और सब्जियों में कैंसर, हृदय रोग, डायबिटीज समेत कई गंभीर और जानलेवा बीमारियों का खतरा कम करने वाले तत्व पाए जाते हैं। इसलिए इन्हें हर किसी को अपनी डेली डाइट में शामिल करना चाहिए। हाल के कई अध्ययनों में पाया गया है कि जो लोग नियमित रूप से व्यायाम करते हैं, उनमें कैंसर होने का खतरा फिजिकली एक्टिव ना रहने वाले लोगों की तुलना में कम होता है।
शराब से भी होता है कैंसर
शराब से कैंसर होने का खतरा पांच गुना अधिक होता है। वहीं, हैवी ड्रिंक करने पर यह खतरा 30 गुना हो जाता है। शराब से 7 तरह के कैंसर हो सकते हैं जिसमें मुंह का कैंसर, गले का कैंसर, इसोफेगस कैंसर, लिवर कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर शामिल हैं।
प्रदूषण से भी होता है कैंसर
कैंसर की रोकथाम के लिए बाहरी वायु प्रदूषण और इनडोर वायु प्रदूषण के जोखिम को कम करना भी जरूरी है क्योंकि इसमें रेडॉन होता है। रेडॉन यूरेनियम से उत्पन्न होने वाली एक रेडियोएक्टिव गैस है जो धूल के साथ इमारतों, घरों, स्कूलों और कार्यस्थलों में जमा हो सकती है। जब सांस के जरिए यह आपके अंदर जाती है तो इसके रेडियोएक्टिव पार्टिकल (कण) आपके फेंफड़ों में फंस जाते हैं। समय के साथ ये रेडियोएक्टिव पार्टिकल फेफड़ों के कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं।