भारत में हर छठा कपल बच्चे को लेकर परेशान है। इंडियन सोसाइटी आॅफ असिस्टेड रिप्रोडक्शन की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देश में 2 करोड़ 75 लाख कपल बांझपन की समस्या से जूझ रहे हैं। यही वजह है कि देश में आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) का कारोबार फल-फूल रहा है और तेजी से बढ़ा है। देशभर में मौजूदा समय में ढाई हजार से ज्यादा फर्टिलिटी क्लिनिक खुल चुके हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा आईवीएफ ट्रीटमेंट भारत में किया जा रहा है, लेकिन इलाज के बावजूद 40 से 50 प्रतिशत महिलाओं को ही आईवीएफ के जरिए गर्भ ठहरता है। अब यहां सवाल यह उठता है कि आखिर महिलाओं में गर्भाधान रेट क्यों घट रहा है, आईवीएफ की प्रक्रिया बार-बार क्यों फेल हो रही और प्रजनन क्षमता क्यों घटती जा रही है।
देरी का फैसला भी बढ़ाता है मुश्किलें
केजे आईवीएफ सेंटर की कन्सल्टेंट के मुताबिक जन्म के समय नवजात बच्ची में 40 से 50 लाख एग्स होते हैं। वह अपनी पूरी लाइफ में 400-500 बार एग रिलीज कर पाती है। बाकी एग्स बॉडी के अंदर ही खत्म हो जाते हैं। कभी-कभी 35 की उम्र तक महिलाओं के पास करीब 25 हजार एग्स ही बचते हैं। वहीं, एक और सीनियर कन्सल्टेंट के अनुसार, 20 से 25 साल की उम्र में महिलाओं की प्रजनन क्षमता सबसे ज्यादा होती है, इसलिए 25 से 30 साल की उम्र तक गर्भधारण कर लेना बेहतर होता है। उम्र बढ़ने के साथ शरीर कमजोर होने लगता है। स्पर्म और एग्स की संख्या और क्वालिटी में कमी आने लगती है। बीमारियों और मिसकैरेज का खतरा बढ़ जाता है।
खराब मेंटल हेल्थ से बढ़ती परेशानी
युवावस्था में लड़के-लड़कियों पर पहले से कॅरियर का प्रेशर रहता है। इसी बीच परिवार भी शादी का दबाव बनाता है। शादी के बाद जब तक वे एक-दूसरे को समझते हैं, उनके ऊपर परिवार बढ़ाकर सेटल होने का दबाव भी बढ़ जाता है। ऐसी अफरा-तफरी में बार-बार कोशिश के बाद भी प्रेग्नेंसी नहीं ठहरती। तब महिलाओं को स्ट्रेस, एंग्जाइटी, डिप्रेशन, इरिटेशन, एग्रेशन और फ्रस्ट्रेशन सभी एक साथ होने लगता है। प्रेग्नेंसी प्लान को लेकर स्ट्रेस इतना बढ़ जाता है जो महिला की सेहत पर नेगेटिव असर डालता है।
खराब आदतों से प्रेग्नेंसी मुश्किल
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफार्मेशन पर मौजूद एक रिपोर्ट के मुताबिक, नेचुरल तरीके से गर्भधारण करने की कोशिश करने वाले कपल्स पर 1 साल तक रिसर्च किया गया। जिसमें पाया गया कि हेल्दी लाइफस्टाइल जीने वाले 83 प्रतिशत कपल एक साल के अंदर गर्भधारण में सफल रहे। वहीं, जिन कपल में लाइफस्टाइल बिगाड़ने वाली सिर्फ एक बुरी आदत भी मौजूद थी, उनमें 71% महिलाएं ही प्रेग्नेंट हुर्इं। सेहत बिगाड़ने वाली 4 बुरी आदतों की शिकार महिलाओं में सिर्फ 38 प्रतिशत ही गर्भधारण कर पार्इं। रिपोर्ट के अनुसार, नशा, जंक फूड, मोटापा, बीमारियां और उम्र बढ़ने के साथ प्रेग्नेंसी मुश्किल हो जाती है।
इन आदतों से घटती है गर्भाधान की क्षमता
शराब
शराब के सेवन की आदत महिलाओं के लिवर, दिल और नर्वस सिस्टम के साथ ही प्रजनन क्षमता को भी घटाती है। इससे शरीर में विटामिन बी, जिंक, आयरन, कैल्शियम जैसे पोषक तत्व कम हो जाते हैं, जो गर्भधारण के लिए जरूरी होते हैं। इन महिलाओं के लिए प्रेग्नेंसी 3 गुना मुश्किल हो जाती है। अगर वे प्रेग्नेंट हो भी जाएं तो अबॉर्शन का रिस्क रहता है।
धूम्रपान
तंबाकू में पाए जाने वाले कैडमियम और कोटिनिन जैसे जहरीले तत्व डीएनए डैमेज करते हैं, जिससे फर्टिलिटी घटती है। धूम्रपान करने वाली महिलाओं का एग प्रोडक्शन घट जाता है, उनके एग में ‘जोना पेलूसिडा’ नाम की दीवार मोटी हो जाती है, जिससे स्पर्म उसके अंदर नहीं जा पाता। इन महिलाओं का रजोनिवृति भी 3 से 4 साल पहले हो जाता है।
गर्भनिरोधक
असुरक्षित संबंध बनाने के बाद गर्भधारण से बचने के लिए लड़कियों में गर्भनिरोधक दवाएं लेना आम बात हो गई है। आमतौर पर गर्भनिरोधक गोलियां सुरक्षित होती हैं, लेकिन प्रेग्नेंसी से बचने के लिए इंजेक्शन के जरिए ली जाने वाली दवा से महिलाओं के प्रेग्नेंट होने में एक साल तक का समय लग सकता है।
सेक्शुअल बिहेवियर
नशे की लत सेक्शुअल बिहेवियर को भी बिगाड़ सकती है। इससे एक से ज्यादा पार्टनर के साथ असुरक्षित संबंध बनने के मौके बढ़ने की संभावना रहती है। जिससे क्लैमाइडिया और एड्स जैसी बीमारियां हो सकती हैं। असुरक्षित संबंध बनाने से फैलने वाली इन बीमारियों से इनफर्टिलिटी को बढ़ावा मिलता है।
मोटापा
जब शरीर में मोटापा बढ़ता है तो हॉर्मोनल इम्बैलेंस होता है। आईवीएफ के दौरान ज्यादा दवाएं खानी पड़ती हैं। मोटापा होने से मिसकैरेज के खतरे बढ़ जाते हैं। इसलिए मां बनने के लिए बीएमआई यानी बॉडी मास इंडेक्स 30 से ज्यादा नहीं होना चाहिए। साथ ही महिलाओं को फल, हरी सब्जियां और एंटी आॅक्सीडेंट्स से भरपूर आहार लेना चाहिए। जंक फूड से दूरी बनानी चाहिए, यह स्पर्म और एग दोनों को नुकसान पहुंचाता है।
व्यायाम
अगर किसी महिला की लाइफस्टाइल खराब हो और व्यायाम भी न करती हो तो उसका प्रजनन सिस्टम तेजी से बिगड़ने लगता है। जबकि, योग, ध्यान और एक्सरसाइज से इसमें सुधार आता है, सेहत अच्छी रहती है। जिससे कंसीव करने में मदद मिलती है।