नगरपालिका परिषद में मजबूत चेहरों का रहेगा रिएक्ट वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)
गाजियाबाद। खतौली का नतीजा केवल खतौली पर ही असर नही डालेगा। इस चुनाव के इफैक्ट लोनी से लेकर मुरादनगर तक दिखाई देंगे। मदन भईया लोनी में रहते हैं और उनकी ये जीत कई मायनों में सियासत में अपना असर डालेगी। यहां भाजपा को सबसे बड़ी टक्कर देने की स्थिति में मदन भईया हैं।
लोनी विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत का अंतर महज आठ हजार वोट हैं। और खतौली में उसकी जीत का अंतर 22 हजार से भी ज्यादा है। नगरपालिका परिषद का चुनाव आ रहा है और लोनी में रालोद का फेस वो होगा जिसका अपना सियासी बेस माना जाता है। नगरपालिका परिषद के पूर्व चेयरमैन मनोज धामा और लोनी नगरपालिका परिषद की अध्यक्ष रंजीता धामा अब रालोद में हैं और यहां पर रंजीता धामा निर्दलीय चुनाव लड़कर अपनी ताकत का मुलाहिजा कर चुकी हैं। लिहाजा इस जीत के इफैक्ट लोनी चुनाव पर निश्चित रूप से पड़ेंगे। विधानसभा चुनाव में लहर थी, योगी थे , मोदी थे लेकिन नगरपालिक परिषद में समीकरण दूसरे होंगे। उम्मीदवार वही होंगे और वहीं दूसरी तरफ मुरादनगर में भी पार्टी को यहां चुनावी इफैक्ट का सामना करना होगा। यहां वहाब चौधरी चुनाव लड़े थे और भाजपा के विकास तेवतिया थे। वो चुनाव जीत जरूर गये थे लेकिन यहां फाईट बहुत जबरदस्त रही थी। हार जीत का अंतर हजार में नहीं बल्कि कुछ सौ वोट का था। यहां अब भाजपा को एक ऐसा चेहरा लाना होगा जो खुद की बिरादरी की वोट ले पाने में सक्षम हो। यहां संगठन या स्थानीय जनप्रतिनिधि की अपने किसी खास चेहरे को लाने की कोशिश पार्टी को झटका दे सकती है। खतौली चुनाव के इफैक्ट इन दोनों नगरपालिक परिषद पर आयेंगे।
खतौली चुनाव के बाद चर्चा यही है कि पहले भी मुरादनगर का पालिका चुनाव भाजपा के लिए काफी खटक रहा था। यहां मौजूद विधायक अजित पाल त्यागी और कद्दावर जाट नेता की जुगलबंदी से ब्रजपाल तेवतिया इस सीट पर कमल खिला था। फिलहाल आने वाले पालिका चुनाव में वैसे भी सरकार तो बननी नहीं है। यहां पर रालोद+सपा का समीकरण ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभाव डालेगा। शहर क्षेत्र इस लड़ाई से आउट रहेगा। ऐसे में भाजपा आलाकमान को यहां पर सोच समझकर कोई मजबूत चेहरा उतारना होगा। जातिगत फैक्टर पर फोकस करने से आगे जाकर सोचना होगा।
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