गाजियाबाद में लोकसभा का चुनाव भी गजब ही रोचक हो रहा है। फूल वाले तो पहले दिन से ही मार्जिन कैलकुलेट कर रहे हैं और एक धड़ा वो भी है जो पहले दिन से ही विधानसभा की कैलकुलेशन में लगा है। अभी विधानसभा का खटोला खाली नही हुया है मगर दावेदारों का पूरा टोला डेरा डाल कर बैठ गया है। बताने वाले ने बताया कि टिकट में किसकी चलेगी ये तो वक्त बतायेगा लेकिन बताने वाले बता रहे हैं कि रोचक सीन रहने वाला हैं क्योंकि उनके तीन बिजनेस सहयोगी भी टिकट मांग रहे हैं और तीनो ही खुद को सासंद जी के निकट मानते हैं। नदियापार वालों की दावेदारी भी हैं और बिजनेस में भागीदारी भी हैं। बड़ी जिम्मेदारी निभाने वाले भी चाहते हैं कि अब पालिटिक्स में एंट्री हो ही जाये। तीसरा साथी भी पुराना है और उसके अलग ही ठाठ हैं लेकिन खटोला खाली होने से पहले ही उसने भी दावेदारी की खाट बिछा ली है। उनकी डयूटी किसी गैर जिले में लगी थी लेकिन यहां से टिकट होते ही उन्होने अपनी डयूटी गाजियबाद में लगवा ली। पूरे गेम को क्लोज वॉच कर रहे भाजपाई ने कहा कि तीनो ही उनके बिजनेस सहयोगी हैं और तीनो ही नियर डियर हैं । अब यही सीन रोचक रहेगा कि विधानसभा की दावेदारी की बेला में वो इन तीनो में से किसके साथ जायेगें
फेस पर बता रही हैं लेकिन फेसबुक पर नहीं बताने दे रही हैं
चुनाव वाले चुनाव लड़ रहे हैं और चुनाव लड़ाने वाले चुनाव लड़ा रहे हैं मगर इन सबके बीच वो भी हैं जो पालिटिक्ल चैस खेल रहे हैं। अब ये वो खुद जाने कि झूठ बोल रहें हैं या सच बोल रहे हैं लेकिन बाते बाहर निकल कर आ रही हैं और एक दर्जन भाजपाईनों को कह दिया गया है कि तुम ये बना दी गई हो तुम वो बना दी गई हो। किसी को उपाध्यक्ष बनाने की बात है तो किसी को महामंत्री तो कोई मंत्री बना दी गई हैं। मगर मैटर ये है कि ना तो किसी को लैटर दिया गया और सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि फेस टू फेस तो मैडम ने कह दिया लेकिन साथ ही ये भी कह दिया कि फेसबुक पर कुछ मत डालना अभी। अब11 भाजपाईन हैं और उनमें से कुछ ऐसी हैं कि अगर फेसबुक पर ना बतायें तो पालिटिक्स ही इनकम्लीट लगती है उन्हे। वो परेशान है कि खुद भी सबको नही बता रही हैं और हमें भी नही बताने दे रही है। अगर बने हैं तो भी ठीक और नही बने तो भी ठीक मगर सीन तो स्पष्ट हों कि हम मोर्चा में जुबानी आये हैं या लिस्ट तैयार हो गई है।
इतनी सी बात पर मंडल प्रभारी ने कर दिया मंडल प्रधान को टाइट
कहने वाले कहते हैं कि वो तो गनीमत ये है कि वो मडंल के प्रभारी है तब उनके कंधो पर इतनी जिम्मेदारी हैं अगर वो जिले के प्रभारी हो जाते तो पता नही किस किस पर भारी हो जाते। फूल वाले तो पहले ही कह रहे थे कि नदियापार वाले उनके जल्दी ही पार पा लेगें और कहेगें कि महाराज हमें बख्श दो। सुना है कि मडंल प्रभारी ने पारी खेलनी शुरू कर दी है। चुनावी दौर में जब अचानक कार्यक्रम बनेगें तब वो हाईकमान को भी कुछ नही मान रहे हैं। मडंल वालों ने मडंल में एक बैठक रख ली और प्रभारी को समय व स्थान की सूचना दे दी। इसी बात पर प्रभारी तुनक गये और मडंल प्रधान से कहा कि अगर मैं दो दिन बाहर हूं तो क्या इसकी जानकारी मुझसे नही लोगे। मडंल प्रधान ने भी बता दिया कि ये तो फरमान आॅफ हाईकमान था साहब। तब मडंल प्रभारी ने कहा कि फरमान हो या हाईकमान हो आप उन्हे भी बताते हैं कि प्रभारी जी आऊट आफ स्टेशन हैं। सुना है कि मडंल वाले अब इन नखरों से अलग ही टेंशन में आ गये हैं। वो कहने वाले हैं कि हमें बख्श दो साहब हमें और भी काम हैं इस मडंल के अलावा।