बता रहे हैं ऐसा चकरानुक्रम के सियासी जानकार
वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)
गाजियाबाद। मेयर सीट को लेकर सबसे ज्यादा दावेदारी की जंग भाजपा में है। यहां दावेदारों को एक पूरा मेला दिल्ली से लेकर लखनऊ की दौड़ लगा रहा है। लेकिन दावेदारी गेम का सबसे रोचक पहलू सीट का आरक्षण है और ये वो पहलू है जिसका डर हर दावेदार को सता रहा है। क्योंकि सीट का पूरा दारोमदार इसी पर टिका है। जनरल वालों ने मेहनत की और सीट ओबीसी हो गयी तो सारी तैयारी बेकार हो जायेगी। सीट सामान्य पुरूष हुई तो यहां उन्हें झटका लगेगा जो रिपीट की आस पर अपने खास लोगों से उम्मीद लगाये हुए हैं। वहीं अब अक्टूबर के महीने में सीट के आरक्षण का चार्ट पूरा हो जायेगा। सूत्र बताते हैं कि इस बार ओबीसी को लेकर वार्ड में ज्यादा फोकस किया गया है। कई वार्डों में ओबीसी आरक्षण लागू होगा। वहीं खबर अब उस खेमे से है जहां से टिकट के आसार प्रबल माने जाते हैं। सूत्र बता रहे हैं कि गाजियाबाद की मेयर सीट इस बार जायेगी तो महिला खाते में लेकिन महिला का वर्ग बदल जायेगा और यहीं से चुनाव का पूरा गेम बदल जायेगा। सूत्र बता रहे हैं कि गाजियाबाद की मेयर सीट इस बार ओबीसी महिला आरक्षित हो सकती है। आरक्षण का ये रूल कई फूल वालों को नई आॅक्सीजन दे सकता है तो कई की सियासी दावेदारी पर जोर का झटका लगेगा। हालाकि अभी से सीट आरक्षण को लेकर कुछ कहना जल्दबाजी होगी लेकिन कहने वाले ये भी कह रहे हैं कि अब चुनाव में ज्यादा समय नहीं रह गया है। चक्रानुक्रम का गणित यही बता रहा है कि मेयर सीट इस बार जायेगी तो महिला खाते में लेकिन ये खाता ओबीसी महिला का होगा। वहीं एक वर्ग ये भी मानकर चल रहा है कि ये मेयर चुनाव हैं और इसकी इतनी केयर सरकार नहीं करती है। इन चुनावों में पहले चेहरा तय होता है और फिर सीट का आरक्षण तय होता है। अभी लगभग एक महीना बाकी है और अभी चुनाव की कई बाजियों में उलटफेर होना बाकी है।
यदि सीट हो गयी ओबीसी रिजर्व तो कौन सी लेडी करेगी टिकट डिजर्व
हालाकि अभी से कहना जल्दबाजी है लेकिन अगर बात ओबीसी महिला की उठी है तो फिर ये कयास है और कयास भी सही लेकिन उन चेहरों पर फोकस करना होगा जो टिकट के लिए प्रयास कर रहे हैं। यदि भाजपा की टिकट हिस्ट्री पर गौर करें तो ये पता चलता है कि यहां मेयर के लिए वो अपने मूल कार्यकर्ता को लाते हैं। पृष्ठभूमि भाजपा की होनी चाहिए और यहां आशा शर्मा जैसी पुरानी कार्यकर्ता को भी पार्टी सम्मान देती है तो पृष्ठ भूमि के आधार पर दमयन्ती गोयल को भी भाजपा ने चुनाव मैदान में उतारा था। तेलूराम काम्बोज को मेयर का टिकट लाईफ टाईम अवॉर्ड माना जा सकता है। अब सवाल ये है कि यदि सीट ओबीसी महिला रिजर्व हुई तो फिर भाजपा का कौन सा चेहरा यहां टिकट के लिए डिजर्व करेगा। भाजपा की कौन सी ओबीसी महिला लीडर यहां उम्मीदवारी के लिए कन्सीडर हो सकती हैं।
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