ललित जायसवाल ने बुलाया और पार्षद राजेन्द्र त्यागी भी आये
वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)
गाजियाबाद। कुछ लोग अपने व्यवहार से सबको अपना मुरीद कर लेते हैं। कई बार पुराने विरोध भी इसलिए खत्म हो जाते हैं क्योंकि दोनों ही पक्ष रिश्तों का सम्मान करते हुए अपने दृष्टिकोण को परिवर्तित कर लेते हैं। हिन्दी भवन को लेकर एक समय आरोपों का दौर चला था। हिन्दी भवन पर ताला लगा था और आरोपों के इस दौर में भाजपा पार्षद राजेन्द्र त्यागी ने हिन्दी भवन समिति से लेकर हिन्दी भवन संचालकों पर आरोप लगाये थे। यहां शहर विधायक अतुल गर्ग से लेकर उन्होंने हिन्दी भवन के ललित जायसवाल को भी निशाने पर लिया था। राजेन्द्र त्यागी हमेशा से मुददों को मुखर रूप से उठाते हैं। वो भाजपा के नेताओं से लेकर सरकार के अफसरों को निशाने पर लेते हैं। वहीं ललित जायसवाल इतने कूल हैं कि सामने वाला कितना भी बबूल हो ले लेकिन ललित जायसवाल की जुबान से किसी भी आरोप के रिएक्शन में शूल जैसे चुभते शब्द नहीं निकलते हैं। वो कभी बहस में नहीं उलझते और खामोशी से अपना काम करते हैं। राजेन्द्र त्यागी और हिन्दी भवन मामले में भी उन्होंने बिल्कुल मौन धारण किया था और कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। लेकिन रविवार को शहर के मिजाज का एक बड़ा ही सुखद अंदाज देखने को मिला। राजनीति में मिलनसारिता क्या होती है ये ललित जायसवाल ने दिखाया और यहां बड़े दिल का परिचय राजेन्द्र त्यागी ने दिया। उन्होंने हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित काव्य संध्या में पार्षद राजेन्द्र त्यागी को आमंत्रित किया और हिन्दी भवन में इस आमंत्रण को स्वीकार कर राजेन्द्र त्यागी पहुंचे भी। रिश्तों का सम्मान तब हुआ जब ललित जायसवाल ने दीप प्रज्वल्लन के लिए राजेन्द्र त्यागी को मंच पर आमंत्रित किया और मंच पर उनका सम्मान भी किया। रिश्तों की एक नई शुरूआत मिठास के साथ हो रही थी और इस मिठास के गवाह शहर विधायक अतुल गर्ग और मेयर आशा शर्मा भी थीं। यहां पर पार्षद हिमांशु मित्तल भी मौजूद थे। उन्हें भी कार्यक्रम में विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था।
हर कवि ने की ललित जायसवाल की मंच से प्रशंसा
ललित जायसवाल सिविल डिफेंस के चीफ वार्डन हैं और हिन्दी भवन समिति के भी पदाधिकारी हैं। उनकी सबसे बड़ी खूबी ये है कि वो काव्य और साहित्य के साथ साथ नाटय कला को भी प्रोत्साहन देते हैं। शहर में थियेटर संस्कृति की एक बड़ी अलख उन्होंने जगाई है। भगवागढ़ में सांस्कृतिक आयोजनों की एक छटा उन्हीं के जरिये बिखरती है। बड़ी बात ये है कि बड़े आयोजन कराते हैं लेकिन बेहद सहज और सरल तरीके से अपने व्यवहार को रखते हैं। व्यक्तिव जब अनूठा होता है तो फिर प्रशंसा के बोल हर ओर से आते हैं। रविवार को भी जब हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में काव्य संध्या का आयोजन था तो यहां हर कवि ने मंच से ललित जायसवाल की प्रशंसा की। ये प्रशंसा उनके व्यवहार और हिन्दी भाषा को लेकर किये जा रहे उनके प्रयासों की थी।