गाजियाबाद (करंट क्राइम)।
महज कपड़ा नहीं है ये,वीरता की निशानी है। जो कीमत जानता है इसकी,वो ही हिन्दुस्तानी है।।
आजकल हर ओर तिरंगे की चर्चा हो रही है, देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और ऐसे में हर घर तिरंगा अभियान भी चल रहा है। तिरंगे की गौरवमयी गाथाओं को और भी ज्यादा बढ़ाने के लिए गाजियाबाद की डासना स्थित जिला जेल के बंदी भी अपना योगदान दे रहे हैं। दरअसल डासना जेल में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा बनाने का प्रशिक्षण लेने के बाद लगभग 50 कैदियों की 25 टीमें प्रतिदिन राष्ट्रध्वज बनाने में जुटी हुई हैं। जेल अधीक्षक आलोक कुमार सिंह ने बताया है कि राष्ट्रध्वज तिरंगा को फहराना अपने आप में एक अनोखा वर्ग होता है और इस अनोखे पल को और खास बनाने का काम उनकी जेल में अलग-अलग मामलों में बंद बंदी बना कर रहे हैं।
उन्होंने बताया है कि 10 अगस्त तक लगभग 15 हजार से ज्यादा तिरंगे झंडे तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है और वर्तमान में यह लगभग आठ हजार के पास पहुंचने वाली है। उन्होंने बताया है कि डासना जेल में बंदियों द्वारा बनाए गए तिरंगे झंडे का इस्तेमाल हापुड़ प्रशासन करेगा। इसके साथ ही रोटरी क्लब ने भी हजारों झंडों की मांग की है। वह अन्य संस्थाओं को भी झंडा दिया जाएगा।
मेरठ की एनजीओ ने दिया था तिरंगा निर्माण काप्रशिक्षण
डासला जेल अधीक्षक आलोक कुमार सिंह ने बताया है कि देश और दुनिया में तिरंगा बनाने का प्रशिक्षण देने वाली मेरठ की एनजीओ ने यहां ट्रेनिंग कैंप लगाया था। जिसमें लगभग 50 से ज्यादा बंदिओं को तिरंगा बनाने की ट्रेनिंग दी गई थी। अब तिरंगा बनाने का काम तेज रफ्तार से चल रहा है और लगभग 6000 से ज्यादा तिरंगे बनकर तैयार हो गए हैं और यहां लक्ष्य 15 हजार के आसपास रखा गया है। उन्होंने बताया है कि यहां अलग-अलग साइज के तिरंगे बन रहे हैं जो 10 अगस्त से हापुड़ प्रशासन और रोटरी क्लब को देने का काम किया जाएगा। उन्होंने बताया है कि डासना जेल में बने तिरंगे देश के गौरवशाली इतिहास की भी कहानी बताएंगे।
बंदी दिनेश उर्फ गुड्डू और महेसर हंै ट्रेनर
जेल में 2012 से हत्या के मामले में बंद दर्जी का काम करने वाला बदायूं निवासी दिनेश उर्फ गुड्डू और महेसर को तिरंगा बनाने का मेन ट्रेनर रखा गया है। इनके दिशा-निर्देश में लगभग 25 से ज्यादा बंदी जो अलग-अलग गंभीर मामलों में डासना स्थित जिला कारागार में बंद है वह मदद कर रहे हैं। प्रतिदिन दो घंटे से अधिक की सुबह और शाम की क्लास लगाकर तिरंगे झंडे बनाने का काम किया जा रहा है। ध्वज बनाने वालों को कपड़ा, डंडा और सिलाई मशीन जेल प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई गई है। बता दें कि डासना जेल में एनजीओ द्वारा सिलाई, बुनाई, कढ़ाई केंद्र भी संचालित है। यहां मशीनें भी थी तो बंदिओं को कुछ बेहतर करने की प्रेरणा देने के तहत हर घर तिरंगा अभियान को सफल बनाने के लिए यह तिरंगे बनाने का काम किया गया।
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