कोटा: छात्रों और अभिभावकों की उम्मीद का शहर कोटा। जो कम्पटीटिव एग्जाम का हब तो है ही लेकिन वहां जिस तरह से छात्र प्रेशर में आकर आत्महत्या कर रहे है वो सुसाइड का हब भी बनता जा रहा है। आखिर ऐसी क्या वजह है की ये बच्चे जिनकी अभी जीने की उम्र शुरू हुई है मौत को गले लगा लेते है।
हाल ही की एक घटना में रामपुर उत्तर प्रदेश के छात्र मनजोत सिंह ने मुंह पर पॉलीथिन और हाथ में रस्सी बाँध कर जिस तरह से सुसाइड किया उससे कोटा पुलिस भी आश्चर्य में पड़ गयी। मनजोत 18 साल का था, और अप्रैल महीने में कोटा पहुंचा था। वह डॉक्टर बनने के लिए मेडिकल की तैयारी कर रहा था।
मनजोत की राइटिंग में लिखा एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है जिस पर लिखा है, ” ‘सॉरी, मैंने जो भी किया है, अपनी मर्जी से किया है. तो प्लीज मेरे दोस्तों और पैरेंट्स को परेशान न करें. हैप्पी बर्थडे पापा…’ ये वो शब्द है जो किसी भी पेरेंट्स और व्यक्ति की आत्मा को झकझोर दें।
डॉक्टर इंजीनियर का सपना लेकर कोटा जाने वाले ये बच्चे क्यों सुसाइड कर लेते है, इसके जवाब कई है लेकिन उनको रोकने की जिम्मेदारी किसकी बनती है ?
छात्र ने जिस तरह से सुसाइड किया है, पुलिस भी अब फैमिली के आने का इंतज़ार कर रही है वो बॉडी को मोर्चरी तब तक नहीं लेकर जाएगी जब तक मनजोत के पेरेंट्स नहीं पहुंच जाते। अभी घटना का कारण स्पष्ट नहीं है।