गाजियाबाद करंट क्राइम। नगर निगम की पहली बोर्ड बैठक 26 सितंबर को होगी। 23 सितंबर तक लोकसभा सत्र चलने के कारण बोर्ड बैठक की तारीख 26 सितंबर रखी गई है। नगर निगम के नए सदन के गठन के बाद बोर्ड की यह पहली बैठक होगी। नगर निगम प्रशासन बोर्ड बैठक की तैयारियों में जुट गया है। वहीं मेयर सुनीता दयाल और नगरायुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक द्वारा भी विभागों को तैयारी करने के निर्देश दे दिये गये है।
नगर निगम के नए सदन का गठन हुए साढ़े तीन माह से अधिक का समय हो गया है। इस दौरान कार्यकारिणी की एक इमरजेंसी सहित दो बैठक हो चुकी है। लेकिन अभी तक एक भी बोर्ड बैठक नहीं हुई। जिससे पार्षदों में गहरा रोष है। पहली बोर्ड बैठक होने के कारण पहले सभी पार्षदों का परिचय होगा। जिसके बाद सदन की कार्यवाही शुरु होगी। इतने लंबे समय बाद बोर्ड बैठक होने से पार्षदों के अंदर गुस्से का गुबार भरा हुआ है। हालांकि अब 26 सितंबर को होने वाली पहली बोर्ड बैठक में क्या नजारा रहेगा यह तो आने वाले भविष्य में ही पता चलेगा।
विकास कार्य न होने से नाराज पार्षदों का फूटेगा गुस्से का बम
नगर निगम में नए सदन का गठन हुए साढ़े तीन महीने से अधिक का समय हो गया है। इतना लंबा समय होने के बाद भी अभी तक वार्डों में विकास कार्य शुरु नहीं हो पाए है। कहीं पार्षद स्ट्रीट लाईट की समस्या से जूझ रहे है तो किसी वार्ड में साफ-सफाई की समुचित व्यवस्था नहीं है। किसी वार्ड में सीवरेज की समस्या है तो किसी वार्ड की सड़कें टूट कर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है। नगरीय क्षेत्र में विकास कार्य पूूूरी तरह ठप्प पड़े हुए है। हालांकि नगर निगम इन दिनों आर्थिक समस्या से जूझ रहा है।
जब नहीं था बजट तो घोषणा की क्या थी जरुरत
कार्यसमिति की पहली बैठक में प्रत्येक वार्ड में विकास कार्यों के लिए एक-एक करोड़ रुपए का बजट पास करने की आवाज उठी थी। लेकिन जिस पर सहमति नहीं बन पाई। जिसके बाद मेयर, नगरायुक्त और उपाध्यक्ष के बीच आपसी चर्चा के बाद मेयर सुनीता दयाल ने ऐलान किया था कि प्रत्येक वार्ड में प्रति वर्ष 50 लाख रुपए के कार्य पार्षद अपने अनुसार करा सकेंगे। साथ ही मेयर ने दस बेंच और 50 लार्इंटें देने का प्रस्ताव भी पास किया। लेकिन करीब डेढ़ माह बीतने के बाद भी वार्डों में लार्इंटें नहीं लग पाई। यह हाल तब है जब भगवा गढ़ के पार्षद प्रतिदिन लार्इंटों के लिए नगर निगम के तृतीय तल से लेकर पंचम तल तक पहुंच रहे है। लाइट के लिए मामला टाइट होता देख पार्षदों का धैर्य भी अब जवाब देने लगा है। क्षेत्र की जनता सूरज निकलते ही लाइट के लिए पार्षद के दरवाजे पर पहुंच जाती है। अब ऐसे में पार्षद भी यह तय नहीं कर पा रहे है कि वो क्षेत्र की जनता को क्या जवाब दें। पार्षदों का कहना है कि जब नगर निगम पर बजट ही नहीं था तो घोषणा कर समाचार पत्रों में प्रकाशित कराने की क्या आवश्यकता थी। समाचार पत्रों में प्रकाशन के बाद क्षेत्र में स्ट्रीट लाइट लगवाने के लिए जनता प्रतिदिन पार्षदों के पास पहुंच रही है और पार्षद नगर निगम पहुंच रहे है। लेकिन स्थितियां जस की तस बनी हुई है। जनता निगम के हालातों को नहीं जानती है, वो तो सोचती है कि उनका पार्षद ही लाईट नहीं लगवाना चाहते है।
प्रमुखता से उठेगा इंदिरापुरम हैंडओवर का भी मुद्दा
नगर निगम की पहली बोर्ड बैठक में इंदिरापुरम हैंडओवर का मुद्दा भी प्रमुखता से उठेगा। इंदिरापुरम नगर निगम को हैंडओवर कराने के लिए इंदिरापुरम क्षेत्र के पार्षद भी एकजुट हो गये है। पार्षदों ने एक गुट बनाकर इंदिरापुरम को हैंडओवर कराने के लिए कमर कस ली है। ऐसे में नगर निगम की पहली बोर्ड बैठक में यह मुद्दा प्रमुखता से उठेगा। हालांकि नगर निगम ने इंदिरापुरम हैंडओवर के मामले की फाईल शासन को भेज दी है।
क्या कहते हैं पार्षद
निगम अधिनियम की धाराओं का हो रहा है खुला उल्लघंन: नरेश कुमार
वार्ड-27 से पार्षद नरेश कुमार का कहना है कि निगम एक्ट के अनुसार नए सदन का गठन होने के बाद एक माह के अंदर पहली बोर्ड बैठक होना अनिवार्य है। लेकिन गाजियाबाद नगर निगम द्वारा नगर निगम अधिनियम की धाराओं का खुला उल्लघंन किया जा रहा है। जबकि नगर निगम अधिनियम से चलता है न कि किसी राजनीतिक दल की सोच से। निगम को अपनी मनमर्जी के अनुसार चलाया जा रहा है। सदन की बैठक में प्रस्ताव रखने के लिए अभी तक कोई सूचना नहीं दी गई है। ऐसे में क्षेत्र में विकास कार्य प्रभावित होना स्वाभिक है।
स्वीकृत बजट में से भी हो रही है कटौती: भारत गौतम
वार्ड-3 से पार्षद भारत गौतम का कहना है कि नए सदन का गठन हुए तीन माह से अधिक का समय हो गया है और अभी तक बोर्ड बैठक नहीं हुई है। जिससे क्षेत्र में विकास कार्य भी नहीं हुए है। इस वार्ड के करीब 70 प्रतिशत एरिया में आज तक विकास कार्य नहीं हुए है। नगर निगम के अधिकारी कुछ भी सुनने के लिए तैयार नहीं है। आज तक क्षेत्र के विकास के लिए कुछ भी बजट नहीं दिया गया है। जैसे-तैसे वार्ड के विकास के लिए 50 लाख रुपए का बजट स्वीकृत भी हुआ था, अब उसमें भी कटौती कर दी गई है। ऐसे में वार्ड में विकास की गंगा कैसे बहेगी, यह सोचनीय विषय है।
इंदिरापुरम हैंडओवर को लेकर दिखेगी नाराजगी: संजय कुमार
वार्ड-100 से पार्षद संजय कुमार का कहना है कि नगर निगम की कार्यप्रणाली को लेकर पार्षदों में बेहद नाराजगी है जो नाराजगी 26 सितंबर को होने वाली बोर्ड बैठक में दिखेगी। पार्षदों ने पूरी तैयारी कर ली है और बोर्ड बैठक में इंदिरापुरम क्षेत्र के सभी पार्षद पूरी तैयारी के साथ आएंगे। हम सभी पार्षदों का एकजुटता के साथ एक ही मुद्दा है इंदिरापुरम नगर निगम को हैंडओवर होना चाहिए। जब नगर निगम को इंदिरापुरम क्षेत्र अपने अधीन लेना ही नहीं था तो फिर इस क्षेत्र में नगर निगम चुनाव होने का औचित्य ही नहीं था।
मूलभूत सुविधाओं के लिए उठाई जाएगी आवाज: उर्मिला चौहान
वार्ड-19 से पार्षद उर्मिला चौहान का कहना है कि नया सदन बने हुए कई महीने हो गए है और आज तक क्षेत्र में विकास कार्य के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ है। क्षेत्र आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहा है। यह हाल तब है जब इस क्षेत्र में नगर निगम के तमाम बाबू, माली और सफाई कर्मचारी रहते है। क्षेत्र में 26 पार्क है और सभी पार्कों का हाल बेहाल पड़ा हुआ है। नगर निगम पार्कों तक का रखरखाव नहीं कर पा रहा है। कूड़ा उठाने वाली गाड़ियां नियमित रुप से नहीं आ रही है। सीवरेज व्यवस्था पूरी तरह ठप पड़ी हुई है। इन मुद्दों को लेकर बोर्ड बैठक में आवाज उठाई जाएगी।
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