बिना झण्डे के ही खड़े हैं सरकारी पोल और खोल रहे हैं सिस्टम की पोल
वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)
गाजियाबाद। अगस्त का महीना क्रांति का महीना है। अगस्त का महीना देश की आजादी का महीना है और अगस्त का महीना इस बार खास है क्योंकि सरकार आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है। देश आजाद हुआ था और केन्द्र सरकार से लेकर प्रदेश सरकार इसे यादगार तरीके से मना रही है।
सरकार जहां हर घर तिरंगा कार्यक्रम के तहत सामाजिक संस्थाओं के साथ घरों और प्रतिष्ठानों पर तिरंगा लगायेगी वहीं भाजपा भी 11 अगस्त से 17 अगस्त तक हर घर तिरंगा महोत्सव मना रही है।
अगस्त महीने में जब भगवागढ़ यानी गाजियाबाद में तिरंगा महोत्सव शुरू होगा तो उससे पहले हम आपको बता दें कि तिरंगा उन स्थानों पर ही नहीं लहरा रहा है जहां पर बाकायदा इसके लिए बड़े बड़े पोल लगाये गये थे। कहा गया था कि कई किलोमीटर दूर से ही तिरंगा लहराता हुआ दिखाई देगा। लेकिन हकीकत ये है कि तिरंगा किलोमीटर तो क्या बिल्कुल पास जाने पर भी दिखाई नहीं दे रहा है। यहां पोल हैं लेकिन तिरंगा नहीं है। बिना झण्डे के पोल खड़े हैं और ये पोल ही हर घर तिरंगा कार्यक्रम की पोल खोल रहे हैं।
दैनिक करंट क्राइम के फोटो जर्नलिस्ट शाहबाज खान ने अपने कैमरे में इन तस्वीरों को कैद किया है और मौके पर जाकर देखा है कि पोल खड़े हैं लेकिन झण्डे ही नहीं हैं।
अधिकारी हों या नेता किसी को भी गायब ध्वज दिखाई नहीं देता
राष्टÑीय ध्वज इन पोलों पर है भी या नहीं इसकी भी सुध किसी ने नहीं ली। अधिकारी नहीं देख सके तो नेता देख सकते थे।
नेता भी नहीं देख सके तो एनजीओ और आरडब्ल्यूए देख सकती थी। लेकिन किसी ने देखा नहीं और किसी को दिखाई नहंीं दिया। सवाल ये है कि इन ऊंचे पोलों के निर्माण में सरकार का पैसा भी लगा होगा और तिरंगा फहराने के लिए किसी फर्म को ठेका भी दिया होगा। लागत भी आई होगी मगर राष्टÑीय ध्वज को लेकर ये रवैया किसी दृष्टि से ठीक नहीं कहा जा सकता।
अब तिरंगा महोत्सव में हर घर तिरंगा कार्यक्रम में इन पोलों पर झण्डे लग जायेंगे लेकिन कितने दिन रहेंगे ये बड़ा सवाल है।
जहां मॉर्निंग वॉक पर जाते हैं वीआईपी वहां भी झण्डा नहीं देता दिखाई
शहर में राजनगर में बने सेंट्रल पार्क में भी सबसे ऊंचा पोल लगाया गया था। कहा गया था कि यहां से तिरंगा कई किलोमीटर दूर से नजर आयेगा। लेकिन यहां भी तिरंगा पास से भी नजर नहीं आ रहा है। रोजाना यहां कई अफसर और नेता मॉर्निंग वॉक के लिए आते हैं। ये वो ईलाका है जहां कई राजनेता रहते हैं। कई अफसर रहते हैं लेकिन किसी को भी यह दिखाई नहीं दिया कि पोल से तिरंगा गायब हो
चुका है।
रेलवे स्टेशन पर खड़ा है पोल और ध्वज की खोल रहा है पोल
रेलवे स्टेशन पर भी तिरंगा लहराया गया था। यहां भी कई मीटर ऊंचा पोल लगाया गया था। इस पोल पर राष्टÑीय ध्वज लगाया गया था। यहां भी शान से तिरंगा फहरता था। लेकिन राष्टÑीय ध्वज यहां से कहां गया किसी को पता नहीं है। किसी ने भी सुध नहीं ली कि हमारा राष्टÑीय ध्वज इस पोल से कहां गया है। राष्टÑीय ध्वज क्यों नहीं फहर रहा है। बहरहाल ये पोल खड़ा है और ध्वज गायब है। रोजाना यहां से विधायक और अफसर लखनऊ के लिए ट्रेन पकड़ते हैं लेकिन किसी ने भी इस बात को नहीं पकड़ा कि इतने ऊंचे पोल से राष्टÑीय ध्वज कहां गया। राष्टÑीय ध्वज क्यों नहीं फहर रहा है और यहां पर राष्टÑीय ध्वज का फहरना किसकी जिम्मेदारी है।
श्यामाप्रसाद मुखर्जी पार्क में फिर गायब हो गया झण्डा
श्यामाप्रसाद मुखर्जी पार्क में लगा राष्टÑीय ध्वज फिर से गायब हो गया है। यहां पर उनकी जयंती पर हाल ही में कार्यक्रम आयोजित हुआ था और पोल से ध्वज गायब देखकर पूर्व मेयर अशु वर्मा यहीं धरने पर बैठ गये थे। उन्हें लोकसभा सांसद व केन्द्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने धरने से उठाया था। डीएम को फोन मिलाया था और फिर यहां ध्वज लगाया गया था। बताया भी गया था कि झण्डा तो पहले ही हट गया था क्योंकि जिस कंपनी के पास ध्वज मैन्टिनेंस का ठेका था उसका कार्यकाल समाप्त हो गया था। बहरहाल यहां अशु वर्मा धरने पर बैठे थे और ध्वज लग गया था। सबसे ऊंचे पोल पर राष्टÑीय ध्वज नहीं है। ये झण्डा फिर हट गया है।
पूर्व मेयर भी आखिर कहां-कहां पर दें झण्डे को लेकर धरना
पूर्व मेयर अशु वर्मा को भी पता नहीं चलता अगर वो श्यामा मुखर्जी पार्क नहीं जाते। उनके मेयर कार्यकाल में झण्डा लगा था तो उनकी भावनायें भी इस बात को लेकर आहत हुई ं और वो धरने पर बैठे। लेकिन जिस राजनगर में पूर्व मेयर रहते हैं उस राजनगर में सेन्ट्रल पार्क में पोल लगा है झण्डा गायब है। रेलवे स्टेशन पर पोल लगा है लेकिन झण्डा गायब है।
अब पूर्व मेयर भी आखिर कहां कहां पर झण्डे को लेकर धरना दें। वैसे भी इन दिनों सावन चल रहा है और वो रोज मंदिर में जाकर जलाभिषेक कर रहे हैं।
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