गाजियाबाद (करंट क्राइम)। शहर की सबसे पुरानी रामलीला में एक बार फिर से महाभारत के आसार हो गये हैं। अभी जो बात दबे हुए अंदाज में आ रही है वो फिर सधे हुए अंदाज में आयेगी।
बताया ये जाता है कि मौजूदा कमेटी कालातीत कमेटी है। इसका कार्यकाल बहुत पहले ही पूरा हो चुका है और इस कमेटी को किसी भी प्रकार के ठेके छोड़ने का, रामलीला कराने का और चंदा लेने का अधिकार नहीं है। कमेटी में कहने को आठ पदाधिकारी हैं लेकिन केवल चार पदाधिकारियों ने ही पूरा कार्यभार संभाल रखा है। कनिष्ठ उपाध्यक्ष संजीव मित्तल पहले ही रामलीला के कालातीत अध्यक्ष वीरो बाबा को तीन पत्र लिखकर उनसे हिसाब मांग चुके हैं। डिप्टी रजिस्ट्रार आॅफिस के दस्तावेज कहते हैं कि अभी महामंत्री पद पर मनोज गोयल बंटी ही काबिज हैं लेकिन कमेटी कहती है कि कार्यवाहक महामंत्री दिनेश गोयल बब्बे हैं और मनोज गोयल बंटी इस्तीफा दे चुके हैं। कोषाध्यक्ष अनिल चौधरी को लेकर भी अक्सर विरोध होता है और चार पदाधिकारियों ने रामलीला कमेटी के दफ्तर में आना ही बंद कर दिया है। चुनाव को लेकर पूरी मांग उठ रही है। बुधवार को एक फैसला आना था और ये माना जा रहा था कि इस फैसले में चुनाव के लिए आदेश जारी हो जायेगा। मगर दोपहर बाद कहानी में सुनवाई का मोड आ गया। इस मामले में आठ नवंबर की तारीख लगी है और अब आठ नवंबर को इस पर फैसला होना है। तब तक रामलीला का मेला पूरा हो जायेगा। लेकिन ये माना जा रहा है कि मेला भले ही पूरा हो जाये मगर चुनाव इस साल ही होगा। रामलीला के चुनाव में रोचक महाभारत देखने को मिलेगी।