पहले ले लिया बड़े नेताओं को भी निशाने पर और फिर कर दी सारी पोस्ट डिलीट
वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)
गाजियाबाद। समाजवादी पार्टी के तीन नेताओं ने शुक्रवार को अभिव्यक्ति की आजादी का प्रयोग करते हुए सोशल मीडिया पर मोर्चा खोल दिया। बात स्वामी प्रसाद मौर्या की टिप्पणी से शुरू हुई और फिर समाजवादी नेता कुछ ऐसा दिल खोल बैठे कि अपने ही दल के बड़े नेताओं को टारगेट पर ले बैठे।
किसी ने जिलाध्यक्ष को निशाने पर लिया तो किसी ने सपा के एक अध्यक्ष का पुतला फूं कने का एलान कर दिया। एक अध्यक्ष के पुतला फूंकने की बात से ही शब्दों की जब हीट बढ़ी तो सपा नेताओं को अपने शब्दों की गर्मी का अहसास हुआ और उन्होंने फिर पोस्ट ही डिलीट कर दी। बताते हैं कि समाजवादी पार्टी के दो गुर्जर नेता और एक ब्राह्मण नेता फेसबुक लाईव पर थे। यहां पर एक नेता ने दो नेताओं को चर्चा पर आमंत्रित किया था और गुर्जर नेता ने ब्राह्मण नेता से कहा कि स्वामी प्रसाद मोर्या के बयान पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है। इस पर समाजवादी ब्राह्मण नेता ने कहा कि भगवान राम में सबकी आस्था है और स्वामीप्रसाद मोर्या को ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। अब समाजवादियों के बीच बात राम को लेकर चल रही थी और एन्ट्री यहां पर लोनी के उम्मेद पहलवान के नाम की हो गयी। बात जब उम्मेद पहलवान की आयी तो एक समाजवादी ने कमेंट किया कि आखिर पार्टी उसे इतना सम्मान क्यों दे रही है। गुर्जर समाज के नेता ने जब इस बात को उठाया तो ब्राह्मण नेता ने कह दिया कि यह निजी विवाद है और इस बात को तुम जानो। इसके बाद दूसरे गुर्जर समाजवादी नेता ने अपना पुराना किस्सा निकाल लिया और कहा कि मुझे तीन बार निष्कासित किया गया है। इस पर ब्राह्मण नेता ने कहा कि अगर अनुशासनहीनता करोगे तो तीन बार क्या इससे भी ज्यादा बार निष्कासित हो सकते हो। बताते हैं कि फिर यहां पार्टी की वफाई-बेवफाई का राग चलता रहा और यहां गुर्जर नेता ने कहा कि मुझपे भी मुकदमे दर्ज हुए लेकिन किसी ने मेरी मदद नहीं करी। यहां तक बात ठीक थी लेकिन गुर्जर नेता ने फिर पार्टी छोड़ने का एलान किया। बात यहां चल ही रही थी कि गुर्जर नेता ने एलान कर दिया कि मैं पार्टी छोड़ रहा हूं। फिर यहां पर गुर्जर नेता स्वामी प्रसाद मोर्या से शुरू होकर सपा के जिलाध्यक्ष पर आ गये। पुराने दुखडेÞ सुनाते हुए पार्टी के एक अध्यक्ष का पुतला फूंकने का एलान कर दिया।
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