टोरंटो। कनाडा का खुफिया विभाग 2021 तक खालिस्तानी गतिविधियों पर लगातार नजर रखता था। हालात तब बदले जब सितंबर 2021 में हुए चुनाव में ट्रूडो की पार्टी को बहुमत नहीं मिला और सरकार बनाने के लिए उन्हें जगमीत सिंह की अगुआई वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन लेना पड़ा। सिंह को कनाडा में प्रो-खालिस्तानी नेता माना जाता है।
ट्रूडो ने खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों का हाथ होने के आरोप लगाए। भारत सरकार ने इससे इनकार किया। फिर बात बिगड़ती गई और इंडियन एंबेसी ने कनाडा के नागरिकों को वीजा देना बंद कर दिया।
इधर भारत ने कहा कि कनाडा में खालिस्तान समर्थक खुलेआम भारत विरोधी गतिविधियां चला रहे हैं। ट्रूडो सरकार को लगातार इस बारे में जानकारी देने के बावजूद हालात नहीं सुधरे हैं। ऐसे में सवाल यही है कि कनाडा में खालिस्तान मूवमेंट को सरकार के समर्थन की वजह क्या है। आखिर क्यों एक खालिस्तान समर्थक की मौत दो देशों के बीच तनाव की वजह बनी हुई है।
इसकी पड़ताल करने के लिए हमें 8 साल पहले जाना होगा। जस्टिन ट्रूडो पहली बार नवंबर 2015 से 2019 तक और दूसरी बार नवंबर 2019 से अगस्त 2021 तक कनाडा के प्रधानमंत्री रहे। दोनों बार PM रहते हुए ट्रूडो सरकार खालिस्तानी खतरे को लेकर खुद बेहद सजग रहती थी।