Ghaziabad: डासना स्थित शिव शक्ति धाम के महंत यति नरसिंहानंद की हत्या की साजिश का खुलासा करते हुए, अलीगढ़ में आतंकी गिरफ्तार किए गए हैं। आरोपी अब्दुल्ला अर्सलान और माज बिन तारिक ने यूपी एटीएस को बताया कि उनका लक्ष्य डासना स्थित शिव शक्ति धाम के महंत यति नरसिंहानंद की हत्या करना था। उन्होंने बताया कि यह जिहादी हमला नहीं, बल्कि उनके धर्म के अनुयायियों के खिलाफ था और उन्हें मुस्लिम धर्म को नकारात्मकता के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था।
क्या दिया बयान
इसके बाद महंत यति नरसिंहानंद ने इस घटना के संबंध में एक बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने आतंकी गिरफ्तारी का स्वागत किया और इसे एक साजिश के रूप में बताया है। उन्होंने कहा कि इस समय उनके साथ और भी हिंदू संगठनों के प्रमुखों को निशाना बनाने की योजना थी। आरोपी ने इस बारे में यूपी एटीएस को बताया कि उन्होंने डासना स्थित शिव शक्ति धाम के महंत की हर गतिविधि को बारीकी से नजरबंद किया था और इसमें उन्हें सशक्त महसूस हो रहा था। उन्होंने इसके साथ ही अन्य हिंदू संगठनों के प्रमुखों को भी उनके निशाना बनाने की योजना की गई थी।
धर्म के नाम पे..
यति ने इस मौके पर कहा कि आरोपी ने अपने आतंकी गतिविधियों के पीछे धर्म के नाम का दुरुपयोग किया है और यह उनके सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने इसे एक साजिश बताया है जिसका उद्देश्य हिंदू धर्म के प्रति द्वेष फैलाना और समाज में असमंजस का बोझ डालना है।
जांच जारी
इसके बाद यति ने कहा कि आरोपी ने इस हमले की योजना के तहत उन्हें भी निशाना बनाने की कोशिश की जा रही थी और उसके खिलाफ कठोर कानूनी कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों से सहायता मांगी है और उन्हें इस मामले की गहराईयों तक जाँच करने का आदान-प्रदान करने का आश्वासन दिया है।
अलीगढ़ में खुलासे वाले इस मामले ने समाज में आश्चर्य और आतंकवाद के खिलाफ भरपूर आंदोलन को जागरूक किया है। इस बयान के बाद, न्यायिक संघ के द्वारा भी इस मामले की गहराईयों की जाँच का आदान-प्रदान किया जा रहा है।
ये हुआ गिरफ्तार
आतंकी अब्दुल्ला अर्सलान और माज बिन तारिक के गिरफ्तार होने के बाद, राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे को एक नए रूप में उठाया है। कई राजनीतिक दलों ने इस घटना को राजनीतिक खेल का हिस्सा बनाया है और उन्होंने यह दावा किया है कि यह हत्या साजिश एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है। यह खुलासा ने सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर एक नई चुनौती पैदा की है। राजनीतिक दलों ने इस मौके का शुरूआती रूप से फायदा उठाने की कोशिश की है और इसे एक विरोधाभासी बातचीत का केंद्र बना रहे हैं।
इसके साथ ही, यह मामला भी सुरक्षा स्थिति को लेकर समृद्धि से सम्बंधित सवालों को उजागर कर रहा है। लोग समझने का प्रयास कर रहे हैं कि इस तरह के घटनाओं के लिए सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई में कैसे लापरवाही हो सकती है और इस पर सही से कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं। इसी बीच, न्यायिक संघ ने इस मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जाँच की मांग की है, ताकि इसके पीछे छुपी यथास्थिति सामने आ सके और दोषियों को सजा हो सके।
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