अधिकारी ने सिफारिश को यह कहकर अस्वीकृत कर दिया था कि क्या सपा शासन में बीजेपी वालों के काम होंगे
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। आज महर्षि दयानन्द विद्यापीठ की कम साधन वाले परिवारों के बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के प्रयासों की प्रसंशा होती है। लेकिन इस स्थिति तक पहुंचने में जो कठिनाइयां हुई उनका अहसास कम ही लोगों को है। इस विद्यालय के लिए वर्ष 2000 में जीडीए से भूखंड आबंटित हुआ था और 2001 के शैक्षिणक सत्र से कक्षा 9 प्रारम्भ हुई थी। 2002 में विधान सभा का चुनाव आ गया। मैं गाजियाबाद से चुनाव लड़ता था। तब गाजियाबाद बहुत बड़ा क्षेत्र था। खोड़ा से लगाकर धौलाना के ककराना बझेड़ा तक विस्तृत क्षेत्र था। कभी कभी महिला कार्यकर्ता मेरी पत्नी को भी वोट मांगने के लिए ले जाती थीं। एक दिन मेरी पत्नी ने नाराजगी में कहा कि हमें आपके काम समझ में आते नहीं। आज अमुक मोहल्ले में एक महिला कह रही थी कि काहे का ईमानदार है ,करोड़ों का स्कूल बन रहा है! ये स्थिति तो तब है जब आप लोगों से विद्यालय के लिए भीख मांग रहे हो !!
एक दिन विद्यालय का एक कर्मी बता रहा था कि कालोनी में दुकान पर कई व्यक्ति खड़े थे ,उनमें से एक कह रहे थे कि देखो आधे गोविंदपुरम पर तो तगा ने ही कब्जा कर लिया है। विद्यालय के प्रारम्भिक काल में जब विद्यालय की भूमि की किस्तें जीडीए को देने में असमर्थता हुई तब मैंने सपा के बड़े नेता श्री रामगोपाल यादव से अनुरोध किया कि किस्तों के भुगतान की अवधि बढ़वाने में मदद कर दें। राम गोपाल यादव जी ने मदद की और लखनऊ एक अधिकारी को इसे कराने के लिए कहा लेकिन अधिकारी ने ये कह कर कि सपा शासन में भी बीजेपी वालों के काम होंगे क्या?? उसे अस्वीकृत करा दिया। हम चाहे अपने मे जितने गौरवान्वित अनुभव करें लेकिन क्षेत्र के अधिकतर लोग इसे धंधा ही समझते हैं। कोई अड़ौसी पड़ौसी हमदर्दी नहीं रखता। विद्यालय के बराबर में चौधरी चरण सिंह जी के नाम से एक बड़ा पार्क है , लेकिन स्कूल के बच्चे पार्क में न खेल लें इसलिए पार्क में ताला लगाया जाता है जो केवल सुबह शाम खुलता है।
जब विद्यालय के लिए भूखंड आबंटित हुआ था तब कई लोगों ने बड़ा विरोध किया था।अखबारों में भी खूब छपा था। लोग कोर्ट तक गए थे।अब तो विद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में अपने प्रयासों को रेखांकित कर भी चुका है तब भी एक महानुभाव ने आरोप लगाया था कि मैंने ग्रीन बेल्ट पर कब्जा करके स्कूल और लाइब्रेरी बना ली है।
उत्तर प्रदेश शासन ने एक शासनादेश के माध्यम से उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त विद्यालयों को गृह कर आदि से मुक्त रखा है लेकिन नगर निगम ने लाखों का टैक्स का नोटिस भेजा। नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव ने अनेक बार तत्कालीन नगर आयुक्त ने रिपोर्ट मांगी । नगर आयुक्त कानूनी स्थिति जानते थे इसलिए उन्होंने रिपोर्ट जाने ही नहीं दी। विवश होकर टैक्स का भुगतान किया जा रहा है । जो सम्भवत: 49 हजार के आसपास है। कभी जीडीए के कर्मचारी आते हैं ,एक दिन तो स्कूल की नाप ही करने लगे। मैंने कहा कि इसके आगे और पीछे दोनों ओर सड़क है ,फिर कैसे और कहाँ अतिक्रमण सम्भव है ?
सरकारी व्यवस्था में किसी अच्छे काम के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं है। न शासन के स्तर से और न प्रशासन के स्तर से कोई सहयोग है। हम भी उन सारी व्यवस्थाओं का पालन करते हैं जिनका पालन स्कूलों का संचालन व्यवसायिक ढंग से करने वालों को करना होता है । शिक्षा और चिकित्सा सरकार का दायित्व है।
हम समाज के सहयोग से सरकार का काम कर रहे हैं। उन कठिनाइयों के बाद भी कर रहे हैं जिनका उल्लेख किया है। गाली खाकर भी कर रहे हैं इसका कारण हमारा जनसेवा के प्रति प्रतिबद्धता है। इसलिए हम निराश नहीं हैं । पूरे मनोयोग के साथ लगे हैं। अगर सरकार के स्तर से ऐसे कार्यों को कुछ प्रोत्साहन मिले तो निश्चय ही कुछ और बेहतर कर सकते हैं।
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