गौरव शशि नारायण (करंट क्राइम)
गाजियाबाद । गाजियाबाद कमिश्नरेट सिस्टम का हिस्सा बन चुका है, गाजियाबाद कमिश्नरेट सिस्टम बनने के बाद अब यहां तैनात अधिकारियों की सबसे बड़ी कोशिश यह रहेगी कि अपराध के रिकॉर्ड पर ब्रेक लगाया जाए और बेहतर पुलिसिंग कर अपराध और अपराधियों की रफ्तार पर लगाम कसी जाए। गाजियाबाद कमिश्नरेट का हिस्सा आसपास के जिलों और राज्यों से सटा होने की वजह से हमेशा से बदमाशों की पहली पसंद रहा है। वाहन चोरी, लूटपाट, हत्या, अपहरण, बलात्कार और चोरी ऐसे अपराध हैं जिसका बीते तीन साल का रिकॉर्ड बता रहा है कि कमिश्नरेट सिस्टम पर अगर इन अपराधों पर कमी नहीं लाई गई तो आने वाले दिनों में जब कमिश्नरेट सिस्टम का तिमाही क्राइम डाटा जारी किया जाएगा तो यह अधिकारियों की टेंशन को बढ़ाने वाला होगा कुल मिलाकर सर्दियों का मौसम शुरू हो चुका है ऐसे में वाहन चोरी गृह भेदन और लूटपाट की वारदातों में इजाफा होने की संभावना रहती है लॉ एंड आॅर्डर की स्थिति को संभाले रखना भी एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी रहेगी बीते 3 साल के आंकड़े बता रहे हैं कि साल के अंतिम महीनों में अपराध का ग्राफ बढ़ता है जो अधिकारियों के लिए टेंशन का कारण बन जाता है।
अधिकारियों की फौज
को देना होगा जवाब
गाजियाबाद में कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद आईपीएस से लेकर पीपीएस अधिकारियों की लंबी फौज हो गई है। जिले में आधा दर्जन आईपीएस अधिकारी तो बड़ी संख्या में पीपीएस अधिकारियों की जोनवार नियुक्ति कर दी गई है। वहीं बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को भी अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गई है, ऐसे में अगर अपराध के ग्राफ पर कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बावजूद भी कमी नहीं आती है तो अधिकारियों की बड़ी फौज की जवाबदेही होगी। उच्च अधिकारी उनसे सीधे सवाल कर सकते हैं। वहीं कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद गुंडा, गैंगस्टर, जिला बदर अन्य महत्वपूर्ण कार्रवाई वाले फैसले लेने का अधिकार भी पुलिस के पास आने से उसकी जिम्मेदारी अधिक हो गई है।
वाहन चोरी, हत्या, बलात्कार और अपहरण के केस
करने होंगे कंट्रोल
गाजियाबाद जिला कमिश्नरेट होने के बाद यहां शासन से लेकर विरोधी दलों की नजरें जम गई हैं। उनकी नजर यहां होने वाली लूट, डकैती, वाहन चोरी, हत्या, बलात्कार, अपहरण और दहेज हत्या जैसे मामलों पर है।
बीते दिनों समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव की ओर से लोनी इलाके में एक महिला से लूट का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया गया और कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए गए थे।
अगर हालात नहीं सुधरते हैं और क्राइम के ग्राफ पर कंट्रोल नहीं होता है, तो आने वाले समय में गाजियाबाद कमिश्नरेट सिस्टम को लेकर भी विपक्षी दल सरकार पर सवाल उठा सकते हैं।
वहीं कानून व्यवस्था और क्राइम कंट्रोल गंभीर विषय रहेगा।
अधिकारी कर रहे हैं व्यवस्था सुधार का दावा
(करंट क्राइम)। गाजियाबाद में कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद पहले सीपी के रूप में तैनात अजय मिश्रा ने कहा है कि जब अधिकारियों की संख्या बढ़ेगी, तो पुलिसिंग का मॉनिटरिंग सिस्टम और पुलिसिंग बेहतर होगी। वहीं जिले के तीनों जोन के प्रभारी डीसीपी भी कहते हैं कि जिले में लगभग एक हजार पुलिसकर्मियों की अतिरिक्त तैनाती होनी है। इन तैनाती होने के बाद सड़कों पर पुलिस अधिक नजर आएगी और पुलिसिंग का वर्किंग स्टाइल भी बदला हुआ दिखेगा। जिसका लाभ अपराध नियंत्रण और जनसुनवाई से लेकर कमिश्नरेट की अन्य व्यवस्थाओं पर देखने को मिलेगा।
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