गाजियाबाद (करंट क्राइम)। नगर निगम चुनाव में पार्षद वाली दावेदारी का लोड इस वक्त अगर देखा जाये तो भाजपा के विधायकों पर ही ज्यादा नजर आ रहा है। कुछ माह पूर्व सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में विधायकों के लिए रात दिन एक करने वाले चेहरे अब उनसे ये कहते हुए दिखाई दे रहे हें कि साड्डा हक ईत्थे रख। अब ये चेहरे मौजूदा पार्षद भी हैं और वो भी हैं जिन्होंने विधायक जी के चुनाव में घर घर जाकर वोट मांगे। अब इन सब की निगाहें अपने विधायक पर हैं। विश्वास है कि विधायक जी टिकट करा ही देंगे। इन सब भावनाओं को देखते हुए भाजपा के एक विधायक का रूख गोमती नदी वाला हो गया है। वो तो पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं टिकट को लेकर तटस्थ रहेंगे। दूसरे विधायक का रूख मौजूदा पार्षदों के 100 प्रतिशत पक्ष वाला है। वो कह ही रहे हैं कि जब किसी ने चुनाव में हमारा बुरा नहीं किया तो हम क्यों किसी का बुरा करें। तीसरे विधायक ये कह रहे हैं कि एक दो टिकट को कटवायेंगे, बाकी का साथ निभायेंगे। जो भी हो ये सारी बातें भी दावेदारों को बस में नहीं ला पा रही हैं। जिसे देखकर भाजपा के एक विधायक ने लकी ड्रा सिस्टम या आपसी सहमति वाला फामुर्ला निकाला है।
कुछ इस तरह से होता है लकी ड्रा
मामला इतना पेचीदा है कि एक ही वार्ड से चार प्रमुख दावेदार चुनाव लड़ने को तैयार हैं। मना किसी को करने की स्थिति में विधायक जी नहीं हैं। सुना है जब भी ये सभी दावेदार विधायक के घर पर जाते हैं तो सभी की आस चुनाव लड़ने की होती है। तब विधायक जी कहते हैं कि एक डब्बे में आप चारों अपने नाम की पर्ची डाल लो। जिसकी पर्ची निकल गयी उसको चुनाव लड़ा दिया जायेगा। पर्ची वाले सिस्टम को लेकर दावेदारों का दिल बैठ जाता है। फिर उन्हें सलाह दी जाती है कि आप सभी आपस में बैठकर सलाह कर लो। जिसका नाम तय हो जायेगा उसे चुनाव लड़ा दिया जायेगा। सूत्र बताते हैं कि बात इस पर भी नहीं बन पा रही है। वहीं सूत्र बताते हैं कि दो फार्मुले पर बात नहीं बनती तो विधायक जी हाथ खड़े कर देते हैं। वो कहते हैं कि आप सब अपनी तरफ से पूरी मेहनत करो। जो पार्टी निर्णय लेगी उसको स्वीकार करो। फिलहाल अब मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा। चर्चा यही है कि तमाम फार्मुले लगाने के बावजूद बात नहीं बन पा
रही है।