क्या बड़ा संदेश देने के लिए आया है जन सुनवाई का ये फोटो बाहर
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। 11 जुलाई का दिन भाजपा की स्थानीय सियासत में अफसरी तकरार के बीच सरकार को लेकर भाजपा का संदेश देता दिन था। एक जनता दरबार लगा और सरकार के मंत्री ने जनता की समस्याओं को सुना। लोकेशन तो राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार नरेंद्र कश्यप के ड्राइंग रूम की थी लेकिन इसे उनके मीडिया प्रभारी द्वारा जनता दर्शन का नाम दिया गया था। इस जनता दर्शन में गाजियाबाद, मेरठ, हापुड़, मोदीनगर, मुरादनगर और नोएडा से लगभग 300 फरियादियों ने अपनी समस्याओं से राज्यमंत्री नरेंद्र कश्यप को अवगत कराया। शिकायतें पेंशन से लेकर छात्रवृत्ति और पुलिस से लेकर जीडीए, नगर निगम की थी। दावा मीडिया प्रभारी का यह रहा कि मंत्री जी ने समस्या सुनी और तत्काल फोन मिलाया।
बहुत दिनों बाद ये सीन गाजियाबाद में दिखाई दिया जब किसी जनप्रतिनिधि का जनता दरबार लगा। सवाल यह है कि क्या कोई बड़ा संदेश देने के लिए जन सुनवाई का यह फोटो बाहर आया है।
तस्वीर बाहर आई है और जन सुनवाई जनता दरबार की बात से अब ये लग रहा है कि भगवा गढ़ में कुछ तो चल रहा है। जोड़ने वाले सरकार के मंत्री की इन बैठकों के तार लोकसभा वाले चुनाव से भी जोड़ रहे है। कह रहे है कि यह किसी बड़े चुनाव की तैयारी की तैयारी है।
नरेंद्र कश्यप जानते हैं किस तरह से दिया जाता है अफसरशाही में संदेश
(करंट क्राइम)। नरेंद्र कश्यप सियासत के पुराने खिलाड़ी है। सदन से लेकर संगठन तक देखा है। बड़े नेता देखे है और कार्यकर्ता देखें है। दो बार एमएलसी रहे है, एक बार राज्यसभा सांसद रहे है और अब वो सरकार में मंत्री वाली पारी खेल रहे है। उन्होंने केवल यूपी नहीं देखा है उन्होंने पंजाब और जम्मू-कश्मीर भी देखा है। राष्टÑीय महासचिव के रूप में संगठन भी देखा है और विधायक से लेकर सांसद तक सदन देखा है। नरेंद्र कश्यप जानते हैं कि किस तरह से अफसरशाही में संदेश दिया जाता है और किस तरह से जनता के दिलो-दिमाग में सरकार के प्रति एक सकारात्मक छवि का निर्माण किया जाता है। जनता को ये मैसेज दिया जाता है कि वो सरकार में सुरक्षित है और उनकी बात, उनकी समस्या सुनने के लिए जिले में बी-61, सेक्टर 23, संजय नगर में सरकार के मंत्री नरेंद्र कश्यप रहते हैं।
दस्तरखान से लेकर जनता दरबार तक लोकेशन होता है उनका घर
(करंट क्राइम)। क्या राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार नरेंद्र कश्यप कोई मैसेज दे रहे है। क्या इस मैसेज के लिए ऊपर से कोई निर्देश आएं है। पहले मंत्री बनने के बाद नरेंद्र कश्यप विधायकों से लेकर संगठन नेताओं के घर गए। उन्हें अपने कार्यक्रम में निमंत्रण देकर आएं लेकिन निमंत्रण के बाद भी विधायक नहीं आएं। इसके बाद उनके घर पर दस्तरखान लगा और डिनर के घी-बूरा से लेकर आम का स्वाद खास जनप्रतिनिधियों ने उनके घर लिया। सूत्र बताते हैं कि डिनर डिप्लोमेसी को भाजपा की एक लॉबी ने उनका शक्ति प्रदर्शन भी माना और फिर एक दूरी नापी गई। जब नरेंद्र कश्यप ने राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के रूप में कलेक्ट्रेट में सरकारी अधिकारियों के साथ बैठक ली तो विधायक इस बैठक से दूर रहे। डिनर डिप्लोमेसी के बाद फिर से डिस्टेंस वाला सस्पेंस बना। संदेश भी यही है कि आखिर वो हर सिचूएशन की लोकेशन अपने घर पर क्यों रख रहे हैं।