तकनीक के विकास के साथ हमारी सुविधाएं बढ़ी हैं, लेकिन धोखाधड़ी करने वालों के लिए भी नए-नए रास्ते खुल रहे हैं। इस कड़ी में अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) साइबर ठगों का नया हथियार तैयार हो गया है। देशभर में एआई से होने वाली ठगी के मामले सामने आने लगे हैं।
अधिकारियों की मुताबिक, फिलहाल यहां अब तक एआई से ठगी के पांच मामले ही सामने आए हैं। इस तरह की ठगी में, साइबर ठग विशेष तरह के सॉफ़्टवेयर और एप्लिकेशन (डीपफेक और अन्य) का इस्तेमाल करके आवाज और चेहरे की कॉपी बना लेते हैं। इसके बाद, वे रिश्तेदारों और करीबियों से यह दावा करते हैं कि आपके साथ इमरजेंसी हो गई है और रुपये की मांग करते हैं।
सब कुछ इतना असली होता है कि कोई भी आसानी से इनके जाल में फंस जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि सतर्कता से इस तरह की जालसाजी से बचा जा सकता है। किसी भी पैसे ट्रांसफर से पहले, व्यक्ति को खुद क्रॉस चेक करने की आवश्यकता है और किसी भी मदद मांगने वाले को आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए।
विशेषज्ञों का कहना है कि एआई की मदद से ठगी करने वाले साइबर ठग आपके दोस्त, रिश्तेदार या करीबियों के नंबर का प्रयोग करके कॉल नहीं कर सकते हैं। ऐसे में जब भी आपके पास किसी अनजान नंबर से करीबी का कॉल आए, तो सतर्क रहें और कॉलर से पुराने नंबर से कॉल करने के लिए कहें।
4000 लोगों पर किया गया सर्वे, 85% ठगी के शिकार
एक निजी संस्था ने एआई को लेकर ठगी के मामलों का अंतरराष्ट्रीय सर्वे किया। इस सर्वे में पाया गया कि 85% लोग ठगी के शिकार हो गए। इनमें 2000 लोगों से मोटी रकम वसूली गई, जबकि 46% मामलों में माता-पिता बनकर, 34% मामलों में पत्नी और 20% मामलों में बच्चे बनकर पीड़ितों को कॉल कर रकम वसूली गई।
ठगी से बचाव के लिए दिल्ली पुलिस के कदम
हर जिले में साइबर थाना मौजूद, वहां भी दे सकते हैं शिकायत। पुलिस ने साइबर ठगी के खिलाफ एफएसओ का गठन किया है। स्कूल, कॉलेज और विभिन्न संस्थानों में साइबर क्राइम के खिलाफ जागरुकता की क्लासेस आयोजित की जा रही हैं।
ऐसे की जाती है एआई से ठगी
गूगल प्ले स्टोर के अलावा डार्क वेब पर कुछ ऐसे टूल्स मौजूद हैं, जिनकी मदद से साइबर ठग धोखाधड़ी करते हैं। वायस क्लोनिंग ऐप्स और डीपफेक टूल्स का उपयोग आवाज और फोटो को बदलने के लिए किया जाता है। पहले, आरोपी किसी न किसी तरीके से फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, या दूसरे कॉलिंग एप्स के माध्यम से आपकी आवाज का सैंपल लेता है। इसके बाद, पीड़ित को उसके दोस्त, रिश्तेदार या करीबी के रूप में बनाने के बाद कॉल किया जाता है।
रोज औसतन 650 ठगी की शिकायतें
दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राजधानी में औसतन हर दिन 650 साइबर ठगी की शिकायतें आती हैं। कोविड के बाद तो ठगी के मामलों में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। एनसीआरबी के आंकड़े देखे तो वर्ष 2020 में पूरे भारत में साइबर ठगी के 50035 मामले सामने आएं, वहीं 2021 में 52974 तो वर्ष 2022 में यह आंकड़ा बढ़कर 1.84 लाख हो गया।