गाजियाबाद (करंट क्राइम)। राजनीति में कई बार बिना मानसून के भी बारिश आ जाती है और कई बार बहार भी बाहर बाहर से चली जाती है। राजनीति है यहां कुछ भी हो सकता है। जब भाजपा अपना कुनबा एक्सटेंशन प्रोग्राम चला रही है तब यहां कुनबे में एक्सटेंशन वाले तार जुड़ते जुड़ते रह गये और तीन पूर्व विधायक भाजपाई होते होते रह गये। बताते हैं कि इससे पहले तीनों पूर्व विधायकों की ज्वाईनिंग वाली जड़ मजबूत होती उससे पहले ही किसी ने इस जड़ में मठ्ठा डाल दिया और फिर सावन आने से पहले ही पतझड़ आ गया। दैनिक करंट क्राइम ने पहले ही संकेत दिये थे कि तीन पूर्व विधायक भाजपाई होना चाहते हैं। इनमें से दो पूर्व विधायक ब्राहमण हैं। बताया था कि कभी भाजपा के एंटी रहे ये पूर्व विधायक अब भाजपा में एंट्री लेने जा रहे हैं। प्रयास शुरू हो गये हैं और कयास भी इस बात के थे कि इन तीनों को भाजपा अपने परिवार में ले लेगी और ये सरकार वाले हो जायेंगे। लेकिन सूत्र बताते हैं कि यहां पर एन मौके पर मानसून की बजाये पतझड़ आ गया। किसी ने जड़ों में मठ्ठा डाल दिया और फिर ज्वाईनिंग वाला सीन फे ल हो गया सूत्र बताते हैं कि अब ज्वाईनिंग वाले पौधे में फूल आने की संभावनायें खत्म हो चुकी हंै। पौधा मुरझा चुका है।
जो पौधा लगना था गाजियाबाद में जड़ों में डला मठ्ठा राजधानी वाली मुलाकात में
भाजपा में दूसरे दलों के पूर्व विधायकों का आना कोई नयी बात नहीं है। दल बड़ा करने के लिए भाजपा ने दिल बड़ा किया। रीता बहुगुणा जोशी से लेकर ब्रजेश पाठक को लिया। नरेन्द्र कश्यप सबसे बड़े उदाहरण हैं। पहले मंत्री बनाया और फिर एमएलसी बने। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक भी बसपा से भाजपा में आये हैं और डिप्टी सीएम हैं। लिहाजा इन तीन पूर्व विधायकों को भी भाजपा ले सकती थी। क्योंकि तीनों पूर्व विधायक अपने अपने स्तर से प्रयास कर रहे थे। कोई वर्मा जी तो कोई पाठक जी के सहारे था। किसी को दोस्ती पर भरोसा था। लेकिन सूत्र बताते हैं कि यहां पर लोकल वाले राजधानी जाकर वोकल हो गये। उन्होंने अपने मन की बात रखी और फिर पार्टी आला कमान ने लोकल वालों को आश्वस्त कर दिया कि उनकी ज्वाईनिंग नहीं होगी। और जो बात तुमने कही है वही कंसीडर होगी। इसके बाद भाजपा का पटका पहनते पहनते तीन पूर्व विधायक रह गये।
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