मगर दिल है कि मानता नहीं वाला सीन दिखा भाजपा कार्यालय के बाहर
वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम) गाजियाबाद। नगर निगम चुनाव में इस बार बहार ही फूल वालों के कार्यालय के बाहर आयी है। कार्यालय के बाहर एक मेला है और हर कोई अपना बॉयोडाटा महानगर अध्यक्ष के हाथ में देना चाहता है। अध्यक्ष चाहते हैं कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी रहे और सबको पता हो कि उसका बॉयोडाटा किस चैनल से चलकर कहां तक पहुंचा है। दरअसल महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा जानते हैं कि निगम चुनाव को लेकर कार्यकर्ताओं की अपेक्षा का भार उनपर है। उनका व्यवहार ऐसा है कि कार्यकर्ताओं का पूरा विश्वास और प्यार भी उन पर है। यहां दावेदारी में पारदर्शिता का फिल्टर ही भगवा कमान्डर संजीव शर्मा ने लगाया। उन्होंने ये नियम बनाया कि वार्ड पार्षद के लिए अगर कोई भी दावेदार है तो वो संगठन के प्रोटोकॉल से आये। बॉयोडाटा मंडल अध्यक्ष और मंडल प्रभारी के जरिये महानगर कार्यालय तक आये। इस व्यवस्था को लेकर भी दावेदार पालन तो कर रहे हैं लेकिन उनका दिल है कि मानता नही है। जबतक वो अब तक के सबसे लोकप्रिय अध्यक्ष से ना मिल लें, अपनी बात ना कह लें और अध्यक्ष उनका बॉयोडाटा स्वयं ना ले लें तब तक उन्हें लगता है कि दावेदारी अधूरी है। मंडल अध्यक्षों और मंडल प्रभारियों का मयार बड़ा है लेकिन रविवार को भाजपा कार्यालय के बाहर जो नजारा था वो बता रहा था कि मयार से बड़ा अध्यक्ष के प्रति प्यार है। यहां पर दावेदारों की एक लाईन लगी हुई थी। कोई पति अपनी पत्नी के बॉयोडाटा के साथ था तो कोई ससुर अपनी बहु के बॉयोडाटा को लेकर पहुंचे थे। खास बात ये है कि ये दावेदार बॉयोडाटा ही महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा को देना चाहते थे। जबकि महानगर अध्यक्ष ने स्पष्ट कहा कि आप अपना बॉयोडाटा अपने क्षेत्र के मंडल अध्यक्ष को दीजिये। यहां पर कई दावेदारों ने माना कि वो अपना बॉयोडाटा पहले ही मंडल अध्यक्ष को दे आये हैं लेकिन महानगर अध्यक्ष को बॉयोडाटा दिये बिना मन नही माना। दिल है कि मानता नही वाला सीन महानगर कार्यालय के बाहर दिखाई दिया।
देना है दावेदार को पूरा सम्मान और नही रूकेगा कोई नाम
संगठन ने शॉर्ट लिस्ट का फिल्टर लगाया है लेकिन इसका यह मतलब नही है कि उसने किसी की भी दावेदारी में कोई स्पीड ब्रेकर लगाया है। मंडल अध्यक्ष और मंडल प्रभारी बॉयोडाटा जरूर लेंगे लेकिन यहां पर ये भी निर्देश स्पष्ट हैं कि किसी भी दावेदार के बॉयोडाटा को मंडलअध्यक्ष या मंडल प्रभारी अपने पास रोकेंगे नही। सम्मान के साथ बॉयोडाटा लिया जायेगा और कोई भी नाम मंडल अध्यक्ष या मंडल प्रभारी के पास रोका नही जायेगा। सभी बायोडाटा संगठन तक पहुंचेंगे।
अन्य जिलों में भी भगवा कमान्डर के मंडल फॉर्मूले की हुई डिमांड
महानगर अध्यक्ष द्वारा निगम पार्षद चुनाव दावेदारी में मंडल प्रभारी और मंडल अध्यक्ष को बॉयोडाटा वाली जिम्मेदारी को संगठन में काफी सराहा गया है। पारदर्शिता के इस नये फिल्टर की तारीफ हो रही है। इससे जहां संगठन का मयार बढ़ा है वहीं दावेदारों को भी प्रक्रिया में विश्वास बढ़ा है। बताया जाता है कि अन्य जिलों में भी भगवा कमान्डर के मंडल फॉर्मूले की डिमांड बढ़ी है। वहां भी ये मांग उठने लगी है कि गाजियाबाद की तरह मंडल अध्यक्ष के माध्यम से बॉयोडाटा संगठन तक पहुंचे। ताकि दावेदार की रिपोर्ट भी मंडल से जाये और वहां तक पहुंचते हुए सही से स्क्रीनिंग हो जाये।
मंडल की रिपोर्ट बतायेगी कि दावेदार का कैसा है किरदार
भाजपा महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा ने बॉयोडाटा की कमान ही मंडल वालों के हाथ में सौंप दी। इसका फायदा ये होगा कि महानगर तक जो भी नाम आयेगा वो मंडल अध्यक्ष और मंडल प्रभारी के स्कैनर से होकर आयेगा। मंडल अध्यक्ष को जब कोई अपना बॉयोडाटा देगा तो उसकी रिपोर्ट भी मंडल अध्यक्ष लगायेंगे। वो बतायेंगे कि दावेदार की तीन साल की भाजपा पॉलिटिकल एक्टिविटि क्या रही हैं। किन रैलियों में और बैठकों में उसने काम किया है। जिन पदों पर वो रहा है उन पदों के अनुरूप उसका रिकॉर्ड कैसा रहा है। इस तरह से जब बॉयोडाटा महानगर अध्यक्ष के पास आयेगा तो वो गतिविधि के स्कैनर से गुजरकर आयेगा। बॉयोडाटा से ही दावेदार का किरदार पता चल जायेगा।
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