-
मुख्य आरोपी को पुलिस ने किया गिरफ्तार
-
फॉरेंसिक और टेक्निकल टीम ने जुटाए महत्वपूर्ण सबूत
गाजियाबाद, करंट क्राइम । घंटाघर कोतवाली थानाक्षेत्र अंतर्गत आने वाले कैलाभट्टा में अपने रिश्तेदारों के यहां पहुंची एक सात साल की बच्ची की निर्मल हत्या का मामला सामने आया है। हत्या का आरोपी मृतक बच्ची का ममेरा चाचा ही है। बच्ची के साथ पहले गलत हरकत की गई और जब बच्ची ने विरोध किया और आरोपी को लगा कि उसकी पहचान हो जाएगी तो उसने गला दबोच दिया। जिससे बच्ची की मौके पर ही मौत हो गई। गला दबाकर उसकी हत्या करने के मामले में कई घंटों की मशक्कत के बाद पुलिस ने आरोपी को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में डीसीपी सिटी जोन निपुण अग्रवाल का कहना है कि इस पूरे मामले में पुलिस की टीम ने फोरेंसिक और टेक्निकल सबूत जुटाने के बाद आरोपी इमरान जो कि मृतक बच्ची का चचेरा मामा है उसे गिरफ्तार किया है। साथ ही परिवार के लोगों के बयान भी इस मामले में दर्ज कर लिए गए हैं।
बच्ची की चप्पल से खुला हत्या का राज
इस पूरे मामले में जांच कर रहे पुलिस के अधिकारी का कहना है कि बच्ची सात वर्षीय है और वह अपनी नानी के घर कैलाभट्टा में आई हुई थी। बच्ची का परिवार साहिबाबाद इलाके में रहता है। बच्ची कल दोपहर से अचानक गायब हो गई थी। उसका कोई सुराग नहीं लग रहा था। परिजनों ने रात को पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची जांच पड़ताल और घर के लोगों से पूछताछ शुरू की। इसके बाद कुछ देर बाद बच्ची की चप्पलें इमरान के कमरे के ऊपर छत पर मिलीं। जिसके बाद परिवार वालों व पुलिस को शक हुआ और फिर पुलिस ने इमरान को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ की। जिसके बाद पुलिस को अहम सुराग मिले। साथ ही परिवारजनों के बीच मामले में बयान दर्ज किए गए हैं।
पुलिस जल्द करेगी केस में कार्रवाई
डीसीपी सिटी जोन निपुण अग्रवाल का कहना है कि इस मामले में पुलिस ने सभी फॉरेंसिक और टेक्निकल सबूत जुटा हैं। इस मामले में पुलिस जल्द ही कोर्ट के सम्मुख सभी साक्ष्य और आरोपी को सख्त सजा दिलाने के लिए प्रयास भी करेगी। साथ ही इस मामले में आरोप पत्र भी जल्दी दाखिल कर दिया जाएगा। इस पूरे मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में ले जाया जाएगा ताकि बच्ची के हत्यारे को सख्त सजा मिल सके।
कब तक अपनों का ही शिकार होते रहेंगे बच्चे
कैलाभट्टा में सात साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के प्रयास और फिर असफल होने पर हत्या किए जाने का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम और पुलिस प्रणाली के दौरान कई दिल दहलाने वाली दर्दनाक घटनाएं सामने आती रही हैं। करीब 10 महीने पूर्व भी साहिबाबाद थानाक्षेत्र में रहने वाली एक बच्ची के साथ इसी तरीके का मामला सामने आया था। उस मामले में पुलिस ने अपनी मजबूत साक्ष्य संकलन के बाद कोर्ट के माध्यम से आरोपी को सख्त सजा दिलवाई थी। जिसके लिए गाजियाबाद पुलिस के अधिकारियों की लखनऊ और जन प्रतिनिधियों ने तारीफ की थी। कुल मिलाकर सवाल उठ रहा है कि जहां पिंक बूथ और मिशन शक्ति जैसे अभियान चलाए जा रहे हों वहां बच्चों के साथ इस तरीके के अपराध आखिर कब तक होते रहेंगे। इस मामले में वरिष्ठ मनोचिकित्सक डा. संजीव त्यागी का कहना है कि इस प्रकार के अपराध में अपने कई बार परिस्थिति वश अपराध करते हैं। उनको पकड़े जाने का डर होता है और वह फिर बड़ा अपराध कर जाते हैं।