एक ने लड़ा था एमएलसी चुनाव तो दूसरे ने पंचायत चुनाव का रूख दिया था अपनी ओर मोड़
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। खतौली उपचुनाव में भले ही रालोद उम्मीदवार के रूप में मदन भैया जीते है लेकिन इस जीत ने भगवा गढ़ की गुर्जर पॉलिटिक्स को एक नई आॅक्सीजन दे दी है। मदन भैया चंूकि गाजियाबाद से है और वो गाजियाबाद के लोनी से जाकर खतौली में विधानसभा का चुनाव जीते है। यहां पर चुनावी बागडोर भाजपा के जाट चेहरों के हाथ में थी और यहीं से एक सवाल गुर्जर पॉलिटिक्स में ये खड़ा हो गया है कि जब उसके गुर्जर चेहरे सियासी रूप से मजबूत है तो फिर ये भी तय हो कि भाजपा की सियासत में उनका क्या वजूद है। संगठन के बड़े पद से लेकर विधानसभा और लोकसभा के टिकट के उनसे क्यों दूर है। मेयर वाली सीट अगर ओबीसी होती है तो फिर यहां गुर्जर चेहरों के लिए लखनऊ और दिल्ली कितनी दूर है। दैनिक करंट क्राइम ने सियासत में जल रहे गुर्जर बिरादरी के इस अलाव की आंच को भांपा है और इसे गाजियाबाद की भाजपाई राजनीति के प्रमुख गुर्जर चेहरों की सामान्य रिपोर्ट के साथ छापा है। गुर्जर चेहरों की इस चर्चा में दो ऐसे गुर्जर चेहरों पर बात होगी जो चुनाव वाला पर्चा भर चुके हैं। एक चेहरे को जीत हासिल नहीं हुई लेकिन चुनाव मजबूती से लड़कर अपनी छाप छोड़ी है तो दूसरे चेहरे ने पहले अपने अंदाज में भाजपा का दामन थामा और फिर भगवा गढ़ में जिला पंचायत अध्यक्ष वाली जीत का रूख अपनी ओर मोड़ लिया।
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