मेयर से नहीं बनती है सरकार तो फिर रिपीट पर क्यों हो विचार
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। मेयर चुनाव ने दस्तक दे दी है और जबसे मेयर आशा शर्मा ने अपने पति तथा सोशल चौकीदार संस्था के अध्यक्ष के के शर्मा के साथ लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की है तबसे ये आम चर्चा भगवागढ़ में है कि मेयर फिर से चुनाव की दावेदारी में है। सूत्र बता रहे हैं कि मुलाकात ही टिकट रिपीट को लेकर हुई है और पक्ष अपनी दावेदारी को लेकर रखा गया है।
बताया गया है कि मेयर का कार्यकाल फेयर रहा है। उदाहरण से बताया गया है कि गाजियाबाद में पहले भी मेयर टिकट रिपीट हुआ है। डीसी गर्ग मेयर थे और उनका टिकट रिपीट हुआ है। ये भी तर्क रखा गया कि जब सांसदों और विधायकों के टिकट रिपीट हुए हैं तो मेयर का वर्क भी अच्छा रहा है और टिकट रिपीट हो सकता है। यहां पर बताया ये जा रहा है कि इस मुलाकात में कोविड पैकेज को भी डैमेज के रूप में रखा गया है। बताया गया है कि दो साल तो कोविड के कहर में ही बीत गये और काम करने के लिए केवल तीन साल मिले हैं। स्वच्छता के अवॉर्ड से लेकर कई अन्य बाते रखी गयी हैं।
लेकिन अब स्टोरी में अन्य दावेदार भी आ गये हैं और मेयर की दावेदारी की रेस को लेकर अन्य दावेदारों ने अभी से कुछ और ही बेस बनाना शुरू कर दिया है। वो यहां पर इस तर्क को ले आये हैं कि मेयर के चुनाव से सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। एक मेयर के जीतने से सरकार नहीं बनती है और जब मेयर चुनाव का सरकार से कोई लेना देना ही नहीं है तो फिर टिकट रिपीट पर विचार क्यों हो रहा है। मेयर चुनाव में टिकट कोई ऐसी चीज नहीं है कि विधानसभा चुनावों में स्वामी प्रसाद मोर्या की तरह कोई नाराज होकर चला जायेगा। लिहाजा यहां पर अन्य कार्यकर्ताओं को मौका दिये जाने की बात हो रही है, नये चेहरों को मौका दिये जाने की बात हो रही है।
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