पढ़ाई से बचने के लिए जेल जाने के लिए अपने ही दोस्त की हत्या एक बालक के मन में कितनी बड़ी मानसिक विकृति है इसकी कल्पना ही डराने वाली है: बालेश्वर त्यागी
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। गाजियाबाद में घटित हुई सोमवार की इस घटना ने जिसका विवरण समाचारपत्र की कटिंग में दिया गया है, हाईस्कूल के एक छात्र ने आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले अपने ही दोस्त की गला दबाकर हत्या कर दी और हत्या का जो कारण बताया गया है ,वही बहुत गम्भीर है। हत्या के बाद स्वयं पुलिस चौकी पर पहुंचकर हत्या की सूचना पुलिस को दी।
पुलिस के अनुसार आरोपी ने बताया कि उसने पढ़ाई से बचने के लिए इसलिए अपने ही दोस्त की गला दबाकर हत्या कर दी ताकि उसे जेल भेज दिया जाय और उसका पढ़ाई से पीछा छूट जाय? अगर ये कथन सही है तो बहुत चिंता का विषय है। पढ़ाई से बचने के लिए जेल जाने के लिए अपने ही दोस्त की हत्या एक बालक के मन मे कितनी बड़ी मानसिक विकृति है इसकी कल्पना ही डराने वाली है।
हर मां बाप के लिए, हर विद्यालय के लिए ,उंसके शिक्षक के लिए और हर मन के विज्ञान का अध्ययन करने वाले मनोचिकित्सक के लिए एक और अंत मे शासन प्रशासन के लिए भी चिंता का विषय है। कोरोना के दौरान बच्चों का विद्यालयों से दूर घर पर रहना और आॅन लाइन पढ़ाई करना जहां एक बड़ी उपलब्धि मानी गई ,वहीं बाल मन को विकृत करने वाले मोबाइल की उनको सहज ही उपलब्धता हो गई । पढ़ाई के साथ साथ उनमें बहुत से विस्फोटक भरा है इसलिए जिसने जो खोजा वही मिल गया। विद्यालय में पढ़ाई करने में बच्चों में परस्पर जो सामंजस्य ,समरसता ,सहचर्य और अनुशासन जैसे अनेक संस्कारों का कोरोना के कारण विद्यालय से दूर रहने के कारण ,दो वर्ष में बच्चों में इनका बड़ा अभाव हो गया है। जिसका का प्रत्यक्ष अनुभव आजकल विद्यालयों में हो रहा है। इसकारण विद्यालयों की चुनौतियां बढ़ी हैं इससे निपटने के लिए अभिभावकों के सक्रिय सहयोग की बड़ी आवश्यकता है। दुर्भाग्यवश किन्ही कारणों से अभिभावकों और विद्यालयों के बीच परस्पर का विश्वास कुछ कम हुआ है। इसलिए समय से समस्या की पहचान और शीघ्रता से निदान कठिन हुआ है। अगर सरकार इस दिशा में कुछ पहल करे , मनोचिकित्सक सहज उपलब्ध हों ,अभिभावक भी बच्चों में ऐसी विकृतियों को सही परिपेक्ष्य में लें और उसके निवारण के लिए निसंकोच अग्रसर हों तो समय रहते समाधान हो सकता है।
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