या तो विधायकों से आया नहीं गया, या फिर उन्हें बुलाया नहीं गया!
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। सरकार और संगठन दो अलग अलग चीजें हैं लेकिन ये दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं और यहां पर सरकार और जनप्रतिनिधि भी एक ही चीज हैं लेकिन फर्क नजर आने लगा है। कुछ तो अनकहा सा चल रहा है जो जुबान पर तो नहीं आया लेकिन लहजों में नजर आने लगा है।
विजयनगर में जब सरकार के स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री नरेन्द्र कश्यप ने बैठक ली तो यहां पर सरकार के मंत्री अनुरोध कर रहे थे और सरकार के विधायक ही इस बैठक में नहीं थे। जिस क्षेत्र में बैठक हो रही थी वहां सभी पार्षद भाजपा के हैं लेकिन ये पार्षद बैठक में मौजूद नहीं थे।
विजयनगर के जलनिगम गेस्ट हाउस में जब मंत्री नरेन्द्र कश्यप ने बैठक ली तो इस बैठक में राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल मौजूद थे। जिला पंचायत अध्यक्ष ममता त्यागी मौजूद थीं। मोदीनगर विधायक डॉ. मंजू सिवाच मौजूद थीं और संगठन के महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा मौजूद थे। बैठक में वो अतुल गर्ग मौजूद नहीं थे जिनकी विधानसभा क्षेत्र में ये बैठक हो रही थी। मंच पर नेता थे और सामने देवतुल्य कार्यकर्ता बैठे थे।
विषय यही था कि कार्यकर्ता अपनी परेशानी बतायें। सरकार में उनके कौन से काम कौन से अधिकारी नही कर रहे ये बतायें। लेकिन संवाद तो हुआ मगर समाधान के लिए विषय लेकर मंत्री नरेन्द्र कश्यप कलेक्ट्रेट गये और कलेक्ट्रेट में भी महानगर के विधायक ही नहीं आये। अब चर्चाएं यही चल रही हैं कि जिस सिस्टम से विधायकों को बुलाया जाना चाहिए था। उस सिस्टम से विधायक बुलाए नहीं गए। या फिर विधायकों ने खुद ही किसी वजह से दूरी बना ली।
अगर बैठक थी संवाद की तो पार्षद क्यों नहीं आये और बैठक थी संगठन की तो फिर जिला पंचायत अध्यक्ष और मोदीनगर विधायक क्यों बुलाये
सवाल ये भी उठा कि विजय नगर जलनिगम गेस्ट हाउस में जब बैठक हुई तो संवाद की बैठक में , क्षेत्र की समस्याओं की बैठक में , कार्यकर्ताओं की पीड़ा सुनने वाली बैठक में लाईनपार क्षेत्र के पार्षद सुनील यादव, चम्पा माहौर, संतराम यादव, ललित कश्यप क्यों नही आये। ये विधानसभा क्षेत्र अतुल गर्ग का है और वो भी इस बैठक में नहीं आये। यदि ये बैठक संगठन की थी तो फिर जिला पंचायत अध्यक्ष ममता त्यागी और मोदीनगर विधायक डा. मंजू सिवाच क्यों बुलाये। हालाकि ममता त्यागी और मंजू सिवाच कलेक्ट्रेट वाली बैठक में भी पहुंचे।
मंत्री नरेन्द्र कश्यप कर रहे हैं जब अनुरोध तो फिर कहां पर है गतिरोध
राज्यमंत्री स्वतंत्रप्रभार नरेन्द्र कश्यप की सबसे बड़ी खूबी उनका मधुर व्यवहार है। सामने चाहे कार्यकर्ता भाजपाई हो या फिर पुलिस का सिपाही हो। नरेन्द्र कश्यप की वाणी हमेशा मधुर रहती है। समस्या के समाधान का हमेशा प्रयास करते हैं। गतिरोध और विरोध उनकी कार्यशैली में नहीं है। विजयनगर के जलनिगम गेस्ट हाउस में नरेन्द्र कश्यप का व्यवहार सभी कार्यकर्ताओं को पसंद आया। और मामले में शब्दों वाला मोड़ तब आया जब विजय नगर वाली बैठक का समापन कर मंत्री नरेन्द्र कश्यप ने कलेक्ट्रेट वाली बैठक के लिए रूख किया तो उन्होंने कहा कि मैं कलेक्ट्रेट में आपके विषय लेकर जा रहा हूं। यहां शब्दों की एक्टिविटि की कनेक्टिविटि कलेक्ट्रेट से जा जुड़ी। उनके शब्दों में एक आग्रह जनप्रतिनिधियों से था। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि वहां की बैठक में भी अपेक्षित हैं और जनप्रतिनिधियों का आना आवश्यक है। यहां पर मंत्री नरेन्द्र कश्यप ने जनप्रतिनिधियों के लिए कहा कि बैठक में आप विषयों को उठायेंगे तो मैं अधिकारियों के संज्ञान में ये बात रखूंगा। मुझे बहुत अधिक खुशी होगी यदि जनप्रतिनिधिस बैठक में आयेंगे। यहां पर बड़ा सवाल ये है कि जब राज्यमंत्री स्वतंत्रप्रभार नरेन्द्र कश्यप स्वयं अपनी ही पार्टी के जनप्रतिनिधियों से बैठक में आने का अनुरोध कर रहे हैं तो फिर विधायक बैठक में क्यों नहीं पहुंच रहे हैं। मंत्री के अनुरोध के बाद भी गतिरोध कहां है।
तीसरी बार हुआ ऐसा जब मंत्री की बैठक में विधायक नही आये
यदि आपस में गतिरोध है तो फिर डिनर की टेबल पर सब एक साथ नही होते। यदि मंत्री नरेन्द्र कश्यप से कुछ नाराजगी है तो फिर विधायक उनकी डिनर वाली दावत में नहीं जाते। लेकिन सब गये भी और भोजन के साथ चर्चा भी की। विधायक अतुल गर्ग ने जब अपने घर पर दावत-ए-जनप्रतिनिधि रखी तो लोकसभा सांसद, केन्द्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह से लेकर सभी विधायक भी पहुंचे। जब डिनर पर आ रहे हैं तो फिर प्रशासन वाले सभागार से सरकार के विधायक क्यों दूरी बना रहे हैं। मंत्री नरेन्द्र कश्यप चाहते हैं कि बैठक में जनप्रतिनिधि आयें लेकिन ये तीसरी बार हुआ जब शुक्रवार को राज्यमंत्री स्वतंत्रप्रभार नरेन्द्र कश्यप ने कलेक्ट्रेट में अधिकारियों के साथ बैठक ली और इस बैठक में शहर विधायक अतुल गर्ग , साहिबाबाद विधायक सुनील शर्मा और मुरादनगर विधायक अजितपाल त्यागी नहीं आये। सवाल ये भी उठ रहा है कि विधायक खुद नहीं आये या प्रॉटोकॉल से उन्हें बुलाया ही नहीं गया। संदेश साफ गया कि कहीं ना कहीं टयूनिंग एरर है।
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