आइटीबीपी के सब इंस्पेक्टर अरुण शर्मा ने सुनाया आंखों देखा हाल चारों तरफ था पानी का सैलाब और चीख-पुकार
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। 8 जुलाई को अमरनाथ यात्रा में बादल फटने से मची त्राहि और कई लोगों की जान जाने और गुम हो जाने का मंजर याद करते ही दिल पसीज जाता है लेकिन गाजियाबाद में रहने वाले आईटीबीपी के सब इंस्पेक्टर और उनके भाई ,जीजा और दोस्तों ने जो पानी के बहाव का रौद्र रूप देखा उसे देखकर सभी की सांसे थम जाती हैं। रूह कांपने लगती है और मन ही मन ख्याल आता है कि अगर वह उस हादसे का शिकार हो गए होते तो क्या होता। दरअसल आइटीबीपी के सब इंस्पेक्टर अरुण शर्मा अपने भाई सुमित, जीजा अमित और दोस्त शिव शंकर शर्मा व रविंद्र के साथ श्रीनगर घूमने के लिए गए थे। श्रीनगर घूमने के बाद सभी का बाबा अमरनाथ के दर्शन करने का प्लान बन जाता है और यह लोग आठ 8 तारीख को शाम को यहां अमरनाथ गुफा में आरती कर रहे होते हैं। उसी वक्त बादल फटने से पूरा इलाका पानी-पानी हो जाता है। उन्होंने बताया कि शुरूआती कुछ घंटों तक तो कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन जब चारों तरफ पुलिस, सेना और बचाव कार्य शुरू हुआ तो समझ में आया कि जिंदगी और मौत के बीच ज्यादा अंतर नहीं था। उन्होंने बताया कि पानी बहने की रफ्तार इतनी तेज और आवाज इतनी जोर की थी कि दूर से ही कान आप उठ रहे थे।
कुछ घंटे तक लगातार होता रहा अनाउंसमेंट
जैसे ही अमरनाथ यात्रा में गुफा में दर्शन करके शर्मा परिवार और उनके मित्रगण नीचे उतर रहे थे, उसी दौरान कई घंटे तक अनाउंसमेंट होता रहा कि लोग नीचे ना उतरें, मार्ग पर ना आए। साथ ही सुरक्षित स्थानों पर जाएं लेकिन उस वक्त ऐसा अफरा-तफरी का माहौल था कि हर कोई खुद को सुरक्षित बचाने और अपनों तक पहुंचने की जद्दोजहद कर रहा था। कुल मिलाकर पूरा नजारा बहुत डराने वाला था और लोगों को बारिश किसी सैलाब से कम नजर नहीं आ रही थी। जब ओलावृष्टि होती थी तो लोगों पर दोहरा प्रहार हो रहा था।
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जगह-जगह टूटे मिले पुल और बृज, कई किलोमीटर पैदल किया सफर
(करंट क्राइम)। अरुण शर्मा और उनके साथ उनके भाई, जीजा और दोस्तों ने कभी सोचा नहीं था कि उनको ऐसा खौफनाक मंजर देखने को मिलेगा। जहां कई-कई मीटर तक सड़क गायब थी, सड़क पर गहरे गड्ढे थे और जो सेना द्वारा पुल बनाए गए थे वह तेज बारिश और पानी के बहाव में लकड़ी भी गायब हो गई थी। कई जगह एक एक पट्टे पर चढ़कर लंबा सफर तय करना पड़ा और एक तरफ तेज बहाव का पानी था और दूसरी तरफ पत्थर और पहाड़ गिरने का डर। उन्होंने कहा कि बाबा के दर्शन उन्होंने कर लिए थे उन्होंने अपने जीवन को लेकर जो भय था वह खत्म हो गया था। उन्होंने सब कुछ बाबा अमरनाथ के भरोसे छोड़ दिया था और बाबा अमरनाथ का ध्यान करते हुए ही वह अपना पूरा सफर तय कर रहे थे।
सरकारी मदद और वर्दी वालों ने संभाल ली थी कमान
(करंट क्राइम)। अमरनाथ में बादल फटने के बाद जो अफरा-तफरी और अव्यवस्था फैली कुछ ही देर में सेना, सरकारी मदद, जम्मू-कश्मीर पुलिस, सीआईएसएफ, एनडीआरएफ, आईटीबीपी और अन्य सरकारी एजेंसियों ने मौके पर पहुंचकर राहत बचाव और रेस्क्यू आॅपरेशन शुरू कर दिया था। कुछ घायलों और फंसे लोगों को हेलीकॉप्टरों के जरिए भी रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया तो वहीं सेना ने शिविर लगाकर लोगों को खाना, दवा और उनकी अलग-अलग स्थानों तक पहुंचने के लिए मदद करने का अभियान शुरू कर दिया था। उन्होंने बताया है कि कुछ लोगों को हेलीकॉप्टर सेवा भी प्रदान की गई ताकि उनके जीवन को बचाया जा सकें।