पार्टी समर्थित धनपतियों से नहीं लिया जाएगा किसी भी तरह का आर्थिक सहयोग
वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)
गाजियाबाद। भाजपा अब एक बड़ा परिवार है और केंद्र से लेकर कई राज्यों में उसकी सरकार है। केंद्र में उसने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की है तो उत्तर प्रदेश में भी भाजपा की सरकार रिपीट हुई है। भाजपा लगातार राजनीति में प्रयोग कर रही है और इन प्रयोगों में उसे सफलता भी मिल रही है। पार्टी अपने कुनबा एक्सटेंशन प्रोग्राम में कार्यकर्ताओं की संख्या बढ़ा चुकी है और अब वह अपने वोटर्स पर फोकस कर रही है लेकिन उन सपोर्टर को वह आयोजन से दूर कर रही है जिनका उपयोग केवल आर्थिक प्रयोजन के लिए होता रहा है।
सूत्र बताते हैं कि हैदराबाद वाली राष्टÑीय कार्यकारिणी के बाद ये तय हो गया कि भाजपा के सभी छोटे-बड़े आयोजन अब कार्यकर्ताओं के सहयोग से आयोजित होंगे। पार्टी समर्पित धनपतियों से कारोबारियों से किसी प्रकार का आर्थिक सहयोग नहीं लिया जाएगा। शुक्रवार को जब लखनऊ में बैठक हुई तो राष्टÑीय कार्यकारिणी से प्रस्तावित पास को राज्य कार्यकारिणी में भी रखा गया।
केंद्रीय मंत्री बनाए जाएंगे हारी हुई लोकसभा के पर्यवेक्षक
भाजपा अभी से लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी कर रही है। वो एक-एक वोट पर फोकस कर रही है। वो हारी हुई सीटों को लेकर केवल जुबानी मंथन नहीं बल्कि जमीनी तैयारी कर रही है। सूत्र बताते हैं कि अब जिन लोकसभा सीटों को भाजपा पिछली बार हार गई थी, उन सीटों पर वो जीत की बहार लाने की तैयारी में है। इसके लिए वो अपने बूथ अध्यक्ष की मेहनत पर भरोसा कर रही है और जो सांसद सरकार में मंत्री है उनकी जिम्मेदारी ऐसी लोकसभाओं में तय कर ही है। सूत्र बताते हैं कि जिन सीटों पर भाजपा वर्ष 2019 में लोकसभा का चुनाव हारी है, उन सभी सीटों पर केंद्रीय सरकार के मंत्री पर्यवेक्षक होंगे। हारी हुई लोकसभा की सीट पर भाजपा की केंद्रीय सरकार के मंत्री की जिम्मेदारी लोकसभा पर्यवेक्षक के रूप में तय होगी। सूत्र बताते हैं कि हैदराबाद के राष्टÑीय कार्यकारिणी प्रोग्राम में 48 घंटे पहले वहां के सभी बूथों पर सांसदों और विधायकों का प्रवास कार्यक्रम लगाया गया था। यह प्रयोग काफी सफल रहा है।
मोर्चा और प्रकोष्ठ वाले भी अपने दम पर करेंगे अपना आयोजन
भाजपा ने जहां अपने आयोजनों के लिए आर्थिक सहयोग का मार्ग धन सम्पन्न समर्थकों के लिए बंद किया है वहीं उसने मोर्चा और प्रकोष्ठ वालों से भी कह दिया है कि अपने आयोजन के लिए मुख्य संगठन को प्रायोजक या संयोजक के रूप में न देखे। सूत्र बताते हैं कि लखनऊ वाली बैठक में प्रदेश स्तर के बड़े पदाधिकारी ने साफ कहा कि मोर्चे वाले अपने कार्यक्रम के लिए मुख्य संगठन से सहयोग लेते है। अब उन्हें खुद स्वालंबी बनना चाहिए और अपने खर्चे खुद उठाने चाहिए। मोर्चा और प्रकोष्ठ वाले भी अब अपने कार्यक्रम अपने दम पर यानि अपने खर्चे पर आयोजित करें।
हैदराबाद के भाजपा वर्करों की सहयोग वाली थीम से आया ये आदेश
कार्यकर्ता ही नारे लगाएंगे, कार्यकर्ता ही रहने की व्यवस्था करेंगे, कार्यकर्ता ही ठहरने की व्यवस्था करेंगे और कार्यकर्ता ही खाने की व्यवस्था करेंगे। वैसे तो ये आइडिया पुराना है पहले भी ऐसा होता रहा है लेकिन हैदराबाद की भाजपा कार्यकर्ताओं के सहयोग वाली थीम के बाद ये नया आदेश आया है। हैदराबाद में जब राष्टÑीय कार्यकारिणी की बैठक हुई तो यहां 119 विधानसभाओं के कार्यकर्ताओं ने केवल अपने दम पर अपने सहयोग से पूरे आयोजन को सफल बनाया। हैदराबाद से ही ये आइडिया यूपी में आया और अब कार्यक्रम का पूरा आयोजन कार्यकर्ता करेंगे।
अब डी पर नहीं केवल बी और सी बूथ पर फोकस करेगी भाजपा
भाजपा अपनी आवाज को प्रत्येक बूथ तक पहुंचा रही है। 20 जुलाई तक वो जनता को संदेश देने जा रही है। सूत्र बताते हैं कि भाजपा अभी तक बी, सी और डी बूथ पर फोकस कर रही थी। अपने विधायकों और सांसदों को उसने इन बूथों पर संवाद और समाधान में लगाया था। लेकिन सूत्र बताते हैं कि अब भाजपा ने यहां से डी बूथ को आउट आॅफ फोकस कर दिया है। अब वो केवल बी और सी बूथ पर फोकस करेगी। इन बूथों को ए श्रेणी में लाने का प्रयास करेगी।
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