गौरव शशि नारायण (करंट क्राइम)
गाजियाबाद। वैसे तो जिले में एक दर्जन से अधिक रामलीला इस समय चल रही हैं लेकिन नजारा कवि नगर स्थित श्री धार्मिक रामलीला समिति का सबको पहली नजर में पसंद आ रहा है। रामलीला में आए कलाकारों की अदाकारी ऐसा रंग बिखेर देती है कि लोग लीला बीच में नहीं छोड़ पाते हैं और पारंपरिक रामलीला के भेष और परिवेश का नजारा ऐसा बनता है कि आधुनिक युग वाले इन कलाकारों की लीला लोगों को यादगार दृश्य दिखा देती है। यहां की रामलीला का मंचन संस्कृति थिएटर ग्रुप दिल्ली कर रहा है। इसकी संरचना एवं निर्देशन राजीव राज गुप्ता करते हैं।
कवि नगर रामलीला का मेला जितना भव्य होता है यहां की लीला का मंचन भी उतना पारंपरिक और हाईटेक है। 14 दिनों तक चलने वाले इस रामलीला के मंचन को लगभग 80 लोगों की एक पूरी प्रशिक्षित टीम करती है, जो रोजाना के मंचन के लिए लगभग 6 महीने तक रिहर्सल करती है और प्रतिदिन तीन से चार घंटे पसीना बहाने के बाद शाम को मंचन का जो सीन बनता है उसे देखकर हर कोई भगवान श्री राम, माता सीता, अहंकारी रावण और भगवान श्रीराम के प्रिय हनुमान और लक्ष्मण के किरदारों में खो जाते हैं।
दैनिक करंट क्राइम की टीम ने संस्कृतिक थिएटर ग्रुप से जुड़े प्रमुख रामलीला कलाकारों से बातचीत की। जिसमें जाना गया पर्दे पर हनुमान बनने वाले दीपक सैनी क्या करते हैं, रावण का रोल निभाने वाले अंशुल सिंह कैसे 10 सिर और लगभग 25 किलो से ज्यादा के श्रृंगार को संभाल पाते हैं, इसके साथ ही उनको सजने में कितना समय लगता है। भगवान श्री राम की पत्नी सीता माता कितनी पढ़ी लिखी हैं और कैसे भगवान श्री राम के प्यारे छोटे भाई लक्ष्मण दिनभर बैंक की नौकरी करने के बाद शाम को रामलीला का मंचन करते हैं।
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