वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)
गाजियाबाद। मंच साहित्य का हो या काव्य का लेकिन अगर आयोजन में सियासत वाले हैं तो फिर बातें मंच से लेकर सामने की कुर्सियों तक सियासत की जरूर होंगी। मंच पर जब पुराने पत्रकार कवि बनकर मौजूद हों तो फिर सियासत वालों को देखकर उनकी जुबान पर भी भीतर का पत्रकार आ ही जाता है।
राज कौशिक प्रतिष्ठित पत्रकार रहे हैं और शानदार कवि हैं। दोनों ही विधाओं में एक हैसियत रखते हैं। जब कार्यक्रम में मेयर आशा शर्मा पहुंची तो राज कौशिक ने उनकी ओर देखा और लोकसभा की दावेदारी को आशा से जोड़ा। उससे पहले वो संजीव शर्मा और अतुल गर्ग के नाम के अर्थ के साथ संजीवनी और अतुलनीय व्याख्या बता चुके थे।
अब आशा शर्मा का नाम आया तो उन्होंने बताया कि जिनके पूरे होने की इच्छा हो वो आशा हैं लेकिन मौजूदा सांसद भी विजय हैं और इस तरह से जब बात कही गयी तो यहां शहर विधायक अतुल गर्ग ने हास्य वाली एंट्री के साथ विरोध दर्ज कराया और कहा कि राजनीतिक मंच मत बनाओ वरना मनमुटाव होता है। इस पर राज कौशिक ने कहा कि जो चर्चा चल रही उसी की चर्चा हो रही है। ऐसा लोग महसूस कर रहे हैं और वो मेयर को लोकसभा का दावेदार मान रहे हैं। लेकिन मेयर आशा शर्मा भी पुरानी खिलाड़ी हैं और वो शब्दों की गुगली में नहीं फंसी। मेयर आशा शर्मा ने स्पष्ट इंकार कर दिया कि मैं लोकसभा की दावेदार नहीं हूं। मैं मेयर का टिकट मांग रही हूं। मैं मेयर टिकट की दावेदारी में हूं। मैं दूसरी बार भी मेयर चुनाव लड़ना चाहती हूं।