मैं हुआ था मटकी छीनकर इसलिए फरार क्योंकि उसमें था पर्ची विकार
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। किस्सा परिकल्पना पर आधारित है और कई बार कल्पनायें भी रोचक हो जाती हैं। दैनिक करंट क्राइम की कॉमिक स्टोरी में एक किरदार ऐसा था जो दावेदारों की पर्ची वाली मटकी लेकर तब फरार हुआ जब बेनाम बादशाह कुलदीप चौहान पर्ची निकालने वाले थे। अब स्टोरी में टविस्ट तब आया जब फरार नकाबपोश दैनिक करंट क्राइम मुख्यालय पहुंचे और हमने बताया था कि शनिवार को खुलासा करेंगे लेकिन उम्मीद पर दुनिया कायम है तो गायब पर्चीयों की तलाश हुई और जब पर्ची नहीं मिली तो फिर सोमवार को खुलासा हुआ। पर्ची छीनकर फरार हुए नकाब पोश कोई और नहीं बल्कि पूर्व कार्यालय प्रभारी और महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा के खास संजय त्यागी थे। उन्होंने करंट क्राइम मुख्यालय आकर खुद को भी बेपर्दा किया और मामले से भी पर्दा उठाया। करंट क्राइम के हर सवाल का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि दरअसल पर्ची वाली मटकी में पर्ची दोष विकार था। जब तक ये विकार दूर नहीं होता तब तक पर्ची निकालना ही बेकार था।
सवाल: वो कौन सा नाम था जिसकी वजह से फरार होना पड़ा?
जवाब: दरअसल इस पर्ची में अब तक के सबसे लोकप्रिय महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा का नाम नहीं था। ऐसे में पर्ची किसी और के नाम की खुल जाती और ये दावेदारी ठीक नहीं मानी जाती।
सवाल: आपको कैसे पता कि जो मटकी कुलदीप के हाथ में है उसमें संजीव का नाम नहीं है?
जवाब: संजय त्यागी ने कहा कि विश्वसनीय सूत्र मुझे बता चुके थे और ये वही सूत्र हैं जिन्होंने मुझे पूर्व में पहले ही बताया था कि तुम्हारा नाम क्षेत्रीय किसान मोर्चा वाली कमेटी में नहीं आ रहा, इसलिए मुझे पता था। दूसरी बात ये कि जिस व्यक्ति को ड्रॉ के लिए चुना गया था, मैं उससे संतुष्ट नहीं था। कुलदीप चौहान से मेरा कोई व्यक्तिगत विरोध नहीं है लेकिन मैं चाहता था कि पर्ची उनके हाथ से नहीं बल्कि किसी कार्यकर्ता के हाथ से निकले। कार्यकर्ता को ही टिकट मांगने का हक होता है।
सवाल: चलो ठीक है मगर मटकी को हिन्डन में ही क्यों डुबोया है?
जवाब: पर्ची और मटकी को हिन्डन में इसलिए फेंका क्योंकि कई मेयर आये और गये लेकिन हिन्डन साफ नहीं हुई। इसलिए हिन्डन में फें क दी ताकि ढूंढ ना सके। वैसे भी ये लकी ड्रॉ शुरू से संशय के घेरे में था।
सवाल: चलो पर्ची फेंक दी लेकिन अब दावेदार का नाम कैसे फाईनल होगा?
जवाब: चुनाव में लोकप्रियता का पैमाना सबसे बड़ा होता है। लोकप्रियता के पैमाने पर आंकलन होगा। जितने भी दावेदार हैं उनकी लोकप्रियता को लेकर एक सर्वे करा लिया जाये। जो भी चुनाव लड़ना चाहता है उससे 10 हजार लोगों की एक जनसभा करा ली जाये। जो जनसभा पूरी करा दे उसका नाम फाईनल कर दिया जाये।
पर्ची से योग्यता का आंकलन नहीं होता है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि संजीव शर्मा मेयर चुनाव में रिकॉर्ड जीत हासिल कर सकते हैं क्योंकि वो क्षेत्र में एक बहुत बड़ा जनाधार
रखते हैं।
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