डिप्लोमेसी डिनर और अफसर वाली मीटिंग से मिल गये थे पहले ही संकेत
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार नरेन्द्र कश्यप पर भाजपा नेतृत्व ने भरोसा जताया है और सरकार ने उन्हें मेरठ मंडल का प्रभारी मंत्री बनाया है। अब गाजियाबाद के भी प्रभारी मंत्री नरेन्द्र कश्यप ही होंगे। नरेन्द्र कश्यप की इस ताजपोशी से उनका कद बढ़ गया है। प्रभारी मंत्री के रूप में नरेन्द्र कश्यप अब जिलों में हुए विकास कार्यों की समीक्षा भी करेंगे और जिले के अधिकारी सरकार के कामकाज को किस तरीके से कर रहे हैं इस पर भी निगाह रखेंगे। राजनीति के जानकार राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार नरेन्द्र कश्यप को मिले इस नये प्रभार को सरकार में उनके बढ़े हुए कद से जोड़कर चल रहे हैं। उनका मानना है कि मंडल प्रभारी के रूप में ये सरकार की ओर से नरेन्द्र कश्यप को लेकर एक बड़ा संदेश है। यहां सरकार ने इस ताजपोशी से एक बड़े वर्ग को भी साधने की कोशिश की है। नरेन्द्र कश्यप को मिली इस जिम्मेदारी के बाद उनके समर्थकों में खुशी की लहर व्याप्त है।
नरेन्द्र कश्यप के साथ नंदगोपाल नंदी और बृजेश सिंह भी संभालेंगे प्रभार
राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार नरेन्द्र कश्यप के अलावा मेरठ मंडल में नंदगोपाल गुप्ता नंदी और राज्यमंत्री बृजेश सिंह भी मेरठ मंडल का प्रभार संभालेेंगे। नंदगोपाल नंदी प्रयागराज से आते हैं और बृजेश सिंह देवबंद से हैं। ऐसे में इस बात की प्रबल संभावना है कि पूरी कमीश्नरी में जलवा नरेन्द्र कश्यप का ही रहेगा। गाजियाबाद के प्रभारी मंत्री रहे सुरेश खन्ना को गोरखपुर मंडल का प्रभारी बनाया
गया है। इस मंडल में जलशक्ति मंत्री दिनेश खटीक को भी प्रभारी बनाया गया है। ये वहीं दिनेश खटीक हैं जिन्होंने कुछ दिन पहले अपनी अंदेखी से नाराज होकर देश के गृह मंत्री को इस्तीफा दे दिया था। वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले स्वतंत्रदेव सिंह को भी वाराणसी मंडल का प्रभार दिया गया है।
राजनीति के मैदान में खुद को साबित कर यहां पहुंचे हैं नरेन्द्र कश्यप
नरेन्द्र कश्यप राजनीति के उन खिलाड़ियों में हैं जिन्हें विरासत में कुछ नहीं मिला। राजनीति में खुद को पूरी तरह साबित किया है। सियासत के धूने पर खुद को तपाया है और तब ये मुकाम उनके हिस्से में आया है। विनम्र और शालीन नेताओं के साथ साथ उनकी गिनती विषयों पर गहन पकड़ रखने वाले नेताओं में होती है। दो बार एमएलसी रहे हैं। अपनी पिछली पार्टी के राष्टÑीय महासचिव रहे हैं और राज्यसभा सांसद रहे हैं। सदन से लेकर सरकार तक चलाने का अनुभव है। जानते हैं कि कार्यकर्ता का मनोविज्ञान क्या है और जब अफसरशाही सरकार वालों की ना सुने तो फिर उसका निदान क्या है।
कभी संयम नहीं खोते हैं और सबसे बड़ी बात ये है कि भाजपा में आने के बाद खुद को साबित किया है। अपनी क्षमता का शत प्रतिशत दिया है। यहीं वजह है कि आज भाजपा में उनका कद क्या है ये सभी देख रहे हैं।
अफसरों के साथ पहली मीटिंग में ही मिल गये थे इस बात के संकेत
नरेन्द्र कश्यप राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार हैं। बीते दिनों उन्होंने जिले के प्रशासन और पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक ली थी। कामकाज को लेकर समीक्षा की थी। इस बैठक में सभी विभागोंं के अधिकारी मौजूद रहे थे। पावर की नब्ज भांपने वाले लोगों ने उसी समय खास तौर से अफसरों ने इस बात को भांप लिया था कि जल्द ही आने वाले समय में लखनऊ के पावर टावर से नरेन्द्र कश्यप को अतिरिक्त करंट मिलने जा रहा है। प्रशासनिक गलियारों में इस बात के कयास लगाये जा रहे थे और जब मंडल के प्रभारी मंत्रियों की लिस्ट जारी हुई तो ये कयास सटीक निकले। अब राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार नरेन्द्र कश्यप का नया प्रभार उनके सरकार में जलवे को बता रहा है।
अब आरकेजीआईटी और आईटीएस में कश्यप सुनेंगे देवतुल्यों की बात
राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार नरेन्द्र कश्यप के पास मेरठ मंडल के प्रभारी मंत्री की जिम्मेदारी आयी है। अब से पहले जिले के रूप में ये जिम्मेदारी मंत्री सुरेश खन्ना के पास थी। अब जब नरेन्द्र कश्यप प्रभारी मंत्री बने हैं तो यहां सीन भी बदलेगा। अब से पहले आरकेजीआईटी और आईटीएस वाली बैठकों में कार्यकर्ता अपनी बात को प्रभारी मंत्री के सामने रखते थे। यहां पर पुलिस नहीं सुनती है वाली बात सबसे ज्यादा रखी जाती थी। नरेन्द्र कश्यप चूंकि गाजियाबाद से हैं और वो यहां की भोगौलिक, सामाजिक, राजनीतिक जमीन से पूरी तरह वाकिफ हैं। राजनीति के बेहतरीन खिलाड़ी हैं लिहाजा अब ये उम्मीद की जा सकती है कि बात सुनी भी जायेगी और बात का असर भी होगा।