गाजियाबाद (करंट क्राइम)। वैसे तो सभी अधिकारी शासन की मंशा के अनुरूप काम करते हुए अपनी अपनी जिम्मेदारी को पूरा करते हैं। लेकिन कई बार अधिकारी का मनोविज्ञान, कई बार अधिकारी का व्यवहार भी उस प्रदेश की सरकार की एक सुखद याद छोड़ता है। अधिकारी का काम ही जनसुनवाई करना और जनसमस्याओं का समाधान करना है। अगर कोई गुहार सरकार से लगाई भी गई है तो भी वो समाधान के लिए आनी अधिकारी के पास है। किस्सा एक बुजुर्ग महिला से जुड़ा है और किस्से में पीसीएस अधिकारी गुंजा सिंह की कार्यशैली में समाहित मानवीयता और जवाबदेही दोनों ही शामिल है। गुंजा सिंह जीडीए में ओएसडी हैं और उनके पास प्रवर्तन जोन से लेकर सम्पत्ति जोन सहित कई प्रभार हैं। गुंजा सिंह जब अवैध निर्माण को लेकर कदम उठाती हैं तो फिर बुल्डोजर की आवाज आती है। अवैध निर्माण करने वालो में खौफ है कि गुंजा सिंह ना आ जायें और उनकी एक कठोर छवि है लेकिन सिक्के के दो पहलू हैं। एक अधिकारी जो सख्त है वो जनसुनवाई के समय पूरी तरह विनम्र हैं और आम जनता की समस्या के समाधान के लिए समर्पित हैं। गुंजा सिंह अपने कार्यालय में बैठकर अन्य दिनों की भांति काम कर रहीं थी तभी उनके कक्ष का दरवाजा अचानक खुलता है और 76 वर्ष की एक बुजुर्ग महिला दाखिल होती है। उनकी कमर पर दर्द में लगाई जाने वाली बैल्ट बंधी है। माथे पर पसीना है और चेहरे पर आक्रोश है और सांसे फूल रही हैं। हताशा है, क्रोध के साथ आंख में आंसू हैं। महिला ने बताया कि उन्होंने जीडीए की कोयल एन्कलेव योजना में चार वर्ष पूर्व मकान खरीदा था। चार साल हो गये हैं लेकिन वो मकान की रजिस्ट्री के लिए धक्के खा रही हैं। महिला ने बताया कि मुझे 5 प्रतिशत की छूट मिली थी, मैं वो ही दाम चुकाऊंगी। यहां अधिकारी के रूप में गुंजा सिंह सबसे पहले वरिष्ठ नागरिक बुजुर्ग महिला को ससम्मान बिठाया। पूरी बात सुनी और फिर तुरंत इस मामले से जुड़े बाबू तलब कर लिये। साफ कह दिया कि मुझे बहानो से मतलब नहीं है। महिला की समस्या का समाधान होना चाहिए। फिर उन्होंने बुजुर्ग महिला को चाय पिलाई और उन्हें आश्वस्त किया कि अब आपको नहीं आना पड़ेगा। एक हफ्ते में समाधान होगा और हमारा फोन आपके पास आयेगा।
जब बुजुर्ग महिला ने कहा आई एम रिटायर्ड प्रिंसिपल
(करंट क्राइम)। गुंजा सिंह के पास जीडीए में पहुंचने वाली 76 वर्षीय महिला ने जब बात बतानी शुरू की तो फिर वह धारा प्रवाह अंग्रेजी में बोलने लगी। उन्होंने गुंजा सिंह को बताया कि वह एक रिटायर्ड प्रिंसिपल हैं। हरियाणा के रोहतक जिले से आर्इं हैं और जो मामला है वो उनके सिद्धांत से जुड़ा है। वह रिटायर्ड प्रिंसिपल है और बात उनके प्रिंसिपल यानि सिद्धांतों की है। मैं वो दाम चुकाऊंगी जो मुझे बताये गये हैं। बहरहाल जब गुंजा सिंह ने समस्या का समाधान किया तो बुजुर्ग महिला ने उन्हें आर्शीवाद दिया और कहा कि मुझे तुझसे ही उम्मीद है। वो महिला गुंजा सिंह के व्यवहार से इतनी गदगद हो गई कि उन्होंने एक बच्चे की तरह सिर पर हाथ रखते हुए आर्शीवाद दिया और फिर उन्होंने विदा ली।
एक बेटा चला गया दुबई और दूसरा बेटा रहता है सिंगापुर
(करंट क्राइम)। 76 वर्षीय की उम्र और कमर पर दर्द से राहत देने के लिए बंधी बेल्ट। रोहतक से आईं है और अकेले ही वापस जायेंगी। जब उनसे पूछा गया कि आपके परिवार में आपके बच्चे कहां है तो महिला ने बताया कि उन्होंने अपने दोनों बेटो को पढ़ाया लिखाया।
एक बेटा दुबई चला गया और दूसरे बेटे ने भी पढ़ाई पूरी करने के बाद सिंगापुर में नौकरी कर ली। लिहाजा अब मुझे ही सब देखना है और मुझे ही आना है। महिला की बात सुनकर सब शांत रहे लेकिन एक संदेश इस सन्नाटे में भी था कि संस्कार और परिवार इतने होने चाहिए कि बचपन में बच्चे अकेले ना रहें और बुढ़ापे में मां-बाप अकेले ना रहें।
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