रिजल्ट हो गया है होल्ड और हाईकोर्ट में बतायेंगे क्या रही थी घटना
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। निकाय चुनाव और निगम चुनाव दस्तक दे रहा है लेकिन यहां जिला पंचायत की एक सीट ऐसी है जिसपर फिर से गणना हुई है और ये नतीजा किसी के लिए सुखद और किसी के लिए सियासी फजीता लेकर आयेगा। अधिकारियों ने आदेश के परिपालन में पुर्नमतगणना कराई है और हाईकोर्ट में अब मतगणना का नतीजा पेश किया जायेगा। मामला सियासी दल से है और यदि नतीजा वादी के पक्ष में आया तो एक बड़ा उलटफेर हो जायेगा। जिलापंचायत की वार्ड संख्या दस से जुड़ा ये मामला है। यहां से पूर्व विधायक असलम चौधरी की पत्नी नसीम बेगम जिला पंचायत सदस्य के रूप में चुनाव जीती थीं। वह जिला पंचायत अध्यक्ष पद की दावेदारी में भी थीं। यहां नसीम बेगम काफी कम वोटों के अंतराल से चुनाव जीती थीं और इस नतीजे को शाहीन खान ने चुनौती दी थी। वह नम्बर दो पर रही थीं और वरिष्ठ अधिवक्ता कुंवर अय्युब अली के परिवार से हैं। सूत्र बताते हैं कि इस मामले में हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की गयी थी। सिविल कोर्ट का भी आदेश है और मंगलवार को एसडीएम कोर्ट में फिर से रिकाउंटिंग हुई है। ये पहली मतगणना है जो दूसरी बार हुई है और दूसरी बार होने के बाद भी मतगणना का नतीजा डिक्लेयर नही किया गया है। इसे होल्ड कर लिया गया है और अब ये हाईकोर्ट में खुलेगा। 87 वोटों के इस अंतराल को लेकर मामला कोर्ट से पुर्नमतगणना तक आया है। सूत्र बता रहे हैं कि नतीजा काफी रोचक रहने वाला है। अभी इस मुददे पर कोई भी कुछ बोलने को तैयार नही है क्योंकि इस मामले में कोर्ट का पहलू है और अब कोर्ट से ही जिला पंचायत के वार्ड संख्या दस का नतीजा आयेगा।
साढ़े चार साल बाद निगम में भी हुआ था उलटफेर
जिलापंचायत के वार्ड दस में उलटफेर हो सकता है। सूत्र बता रहे हैं कि यहां 87 वोटों का अंतर है। जिलापंचायत से पहले गाजियाबाद नगर निगम में बड़ा उलटफेर हो चुका है। यहां पर हिन्डनपार क्षेत्र में वार्ड 83 में साढ़े चार साल तक कुसुम सिंह और एसपी सिंह लगातार निगम वार्ड की लड़ाई लड़ते रहे। और फिर साढ़े चार साल बाद जब कोर्ट का फैसला आया तो कुसुम सिंह पार्षद निर्वाचित घोषित की गयीं। नगर निगम ने कुसुम सिंह को निगम के सदन में पार्षद निर्वाचित होने की शपथ ग्रहण कराई। यहां साढ़े चार साल तक पार्षद रहे आशुतोष शर्मा का कार्यकाल निरस्त घोषित किया गया। बताते हैं कि तत्कालीन नगरायुक्त महेन्द्र सिंह तंवर तो यह भी आदेश करके गये थे कि इस वार्ड में आशुतोष शर्मा के नाम से लगे सभी विकास कार्यों के पत्थर हटा दिये जायें।