जमीनी कार्यकर्ता से लेकर मुद्दों पर अड़ने वाले लीडर की है पहचान
वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)
गाजियाबाद। मेयर चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है। खिलाड़ियों ने अभी से फील्डिंग लगानी शुरू कर दी है और वो सीट के आरक्षण का इंतजार नहीं कर रहे हैं। वो दावेदारी को अपना कार्यकर्ता हक और टिकट मिलने को चुनाव लक मानकर मेहनत में लग गए है। आज बात मेयर चुनाव के दावेदारों की और इस दावेदारी में वो नाम जो भाजपा का सबसे पुराना कार्यकर्ता, मुद्दों पर अड़ने वाला नेता और अपना बेहतरीन भाजपाई शिजरा लिए हुए है ये नाम भाजपा के पवन गोयल का है।
पवन गोयल का नाम मेयर चुनाव के दावेदारों में लिया जा रहा है। पवन गोयल भले ही खामोश है लेकिन उनके राजनीतिक शुभचिंतक और समर्थक मानते हैं कि मेयर चुनाव के लिए इस नाम पर गंभीरता से विचार होना चाहिए। वो पार्टी के पुराने कार्यकर्ता हैं और उनकी सबसे बड़ी शैली ये है कि वो हमेशा कार्यकर्ता के लिए अड़ते है, लड़ते है और एक नेता के रूप में मुद्दों पर गंभीरता के साथ अड़ते है।
कार्यकर्ता निर्माण में रहा है उनका भी बड़ा योगदान
पवन गोयल का लोहिया नगर आवास भाजपा की गतिविधियों का केंद्र रहा है। भाजपा में कहा जाता है कि कितने नेता तो पवन गोयल के लोहिया नगर वाले आवास की भाजपाई नर्सरी से निकले है। कई कार्यकर्ता निर्माण में पवन गोयल का योगदान रहा है। पॉलिटिकल गुरु का तमगा भी उन्हीं के नाम है। उनका व्यवहार हमेशा से कार्यकर्ताओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।
संगठन से लेकर निगम और जीडीए का उनका सफर
पवन गोयल भाजपा के पुराने कार्यकर्ता है। सबसे कम उम्र में पार्षद मनोनीत होने का रिकॉर्ड उन्हीं के नाम है। दो बार निगम चुनाव लड़े और दोनों बार जीत हासिल की। भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति में भी रह चुके हैं और वह क्षेत्रीय कोषाध्यक्ष भी रहे हैं। मौजूदा समय में जीडीए बोर्ड सदस्य है।
क्या मिलेगा मेयर दावेदारी में विस की दावेदारी का मुआवजा
पवन गोयल की गिनती वैश्य समाज के गंभीर नेताओं में होती है। वो दो बार विधानसभा चुनाव की दावेदारी में रहे हैं। वर्ष 2012 और 2017 में वो विधानसभा टिकट की दावेदारी में थे। अब कहने वाले यही कह रहे हैं कि दोनों बार उनकी दावेदारी का बेस गंभीर था। दो बार से विधानसभा टिकट मांग रहे हैं और ऐसा माना जाता है कि इस बार टिकट रिपीट होने के कारण उन्हें दावेदारी में बीट होना पड़ा था। लिहाजा इस बार मेयर टिकट की दावेदारी में क्या उन्हें विधानसभा की दावेदारी में रिक्त रहने का अतिरिक्त मुआवजा मिलेगा।
शायरी की है नेचर लेकिन सियासत का कहां है फ्यूचर
पवन गोयल की मौके पर शायरी करने की अदा उन्हें लोकप्रिय बनाती है। वो राजनीति का ज्योतिष भी जानते हैं लेकिन खुद की सियासत का फ्यूचर फिलहाल उन्हें नहीं पता। वो भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता है और मददगार है। लॉकडाउन में लाइन पार में उनकी मदद के कई किस्से है। बंद मुट्ठी से कार्यकर्ताओं की मदद की। लेकिन वो स्पष्टवादी है और उनका ये स्पष्ट अंदाज कई बार किसी को कष्ट देता है तो किसी को रूष्ट कर देता है। एक मजबूत टीम उनके पास है और वैश्य समाज का यह प्रतिष्ठित चेहरा भाजपा में वरिष्ठता और समीकरण दोनों के हिसाब से दावेदारी में मजबूत माना जा रहा है।
सियासत में गंभीर फेस और बड़े दरबारों में मजबूत माना जाता है बेस
पवन गोयल वैश्य समाज की प्रतिष्ठित हस्तियों में गिने जाते हैं। उनके परिवार का अपना मजबूत सामाजिक प्रतिष्ठा वाला प्रोफाइल है। उनके पिता फतेह चंद गोयल जाने-माने अधिवक्ताओं में गिने जाते हैं। पवन गोयल के भाई हरीश गोयल जिला जज है और पवन गोयल सियासी गलियारों में अपना एक प्रोफाइल रखते है। उनकी गिनती परिक्रमा करने वाले नेताओं में नहीं होती है लेकिन दिल्ली से लेकर लखनऊ तक बड़े दरबारों में उनका बेस मजबूत माना जाता है और वो सियासत के गंभीर फेस माने जाते हैं। राष्टÑीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर कैबिनेट रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के यहां सीधी एंट्री है। कलराज मिश्र से उनके पारिवारिक रिश्ते हैं। कई सियासी हस्तियां इनके आवास पर आ चुकी हैं।
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