आखिरकार क्यों पुलिस वेरीफिकेशन पर नहीं दिया जा रहा ध्यान
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। कविनगर पुलिस ने शुक्रवार को बड़ा खुलासा किया कि एक तेल व्यापारी से 50 लाख की लूट का प्लान बनाया गया था। जिसे पुलिस ने नाकाम कर दिया लेकिन इस खुलासे में पुलिस की एक और नाकामी भी सामने निकल कर आ गई। जिस व्यापारी के ड्राइवर को पुलिस ने गिरफ्तार किया है उसका पुलिस वेरिफिकेशन नहीं हुआ था।
वहीं मालिक ने बिना पुलिस वेरिफिकेशन के ही उसे नौकरी पर रख लिया था और वहीं नौकर बीते तीन महीनों से कैश लाने ले जाने की पूरी तरह से रेकी भी कर रहा था। इससे पहले भी नंदग्राम थानाक्षेत्र विजयनगर, इंदिरापुरम, वसुंधरा, मोदीनगर, साहिबाबाद, लोनी और खोड़ा इलाकों में पुलिस सत्यापन बिना हुए किरायेदारों के रहने और उनकी गिरफ्तारी के मामले सामने आए हैं। यह बताते हैं कि जब किरायेदारों से लेकर कर्मचारियों और आॅफिसों से लेकर अन्य कार्यक्षेत्रों में उनके कर्मचारियों का स्टाफ का पुलिस वेरिफिकेशन नहीं होगा तो कई बड़ी संभावनाएं बनी रह सकती हैं। वहीं वारदातों के होने का भी डर बना रहता है।
पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों की सलाह भी नहीं मानी
क्रॉसिंग रिपब्लिक थाने का उद्घाटन नवंबर माह में हुआ था। इस दौरान मेरठ जोन के एडीजी राजीव सभरवाल वहां मौजूद रहे। उन्होंने पुलिसकर्मियों और थाने के एसएचओ को निर्देश दिया था कि पूरे थानाक्षेत्र में लोगों का पुलिस वेरिफिकेशन कराया जाए। किरायेदारों से लेकर उनके कर्मचारियों की जांच पड़ताल हो और यह अभियान पूरे जिले में चलाया जाए लेकिन अधिकारी गए और गाजियाबाद पुलिस में कमिश्नरेट सिस्टम लागू हो गया और बातें हवा-हवाई हो गर्इं।वही आज भी जिले में तमाम ऐसी सोसायटी लेकर औद्योगिक इकाइयां हैं जहां बिना वेरिफिकेशन के लोगों को रखा जा रहा है और वह कामकाज कर रहे हैं। कई बार इन सस्थानों में ही बाहर के अपराधियों की शरण स्थली बन जाती है।
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