रालोद ने रचा इतिहास और बदल दिए सियासत के समीकरण
वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)
गाजियाबाद। राष्टÑीय लोकदल ने जाट लैन्ड की राजनीति में उपचुनाव वाली सीट भाजपा से जीतकर एक बड़ा संदेश दिया है। राष्टÑीय लोकदल ने खतौली उपचुनाव में भाजपा को उस सीट पर हराया जिस सीट पर भाजपा काबिज थी। मुजफ्फरनगर दंगों के मुकदमें में यहां से निर्वाचित भाजपा विधायक विक्रम सैनी की सदस्यता चली गयी थी और उसके बाद खतौली में उपचुनाव हुआ। यहां पर भाजपा ने एक तरह से अपने ही विधायक को रिपीट किया।
उन्होंने सदस्यता गंवाने वाले विधायक विक्रम सैनी की पत्नी और कवाल गांव की पूर्व प्रधान राजकुमारी को टिकट दिया। यहां पर राष्टÑीय लोकदल ने खेकड़ा के पूर्व विधायक रहे मदन भईया को चुनावी मैदान में उतारा और मदन भईया ने यहां भाजपा उम्मीदवार को हरा दिया। उपचुनाव में आठ दिसम्बर गुरुवार का दिन रोमांच से भरा दिन रहा। यहां पर रालोद और सपा गठबंधन के उम्मीदवार मदन भईया ने 97071 वोट हासिल किये जबकि भाजपा की उम्मीदवार राजकुमारी सैनी को 74906 वोट मिले। मदन भईया ने यह सीट 22165 वोटों से इस चुनाव को जीता। मतगणना शुरू हुई और नवीन मंडी स्थल पर हो रही इस मतगणना में रालोद उम्मीदवार मदन भईया ने पहले राउंड से ही बढ़त बनाई और आखिरी राउंड तक वो फिर इस बढ़त को बढ़ाते चले गये।
दलित वोटों की लामबंदी हुई इस तरह मदन भईया के पक्ष में
उपचुनाव में मदन भईया ने ऐसे समय में ये जीत हासिल की है जब वो कुछ महीने पहले ही लोनी विधानसभा चुनाव में आठ हजार वोटों से हारे थे। यहां भाजपा के नंदकिशोर गुर्जर दूसरी बार जीते। लेकिन जब मदन भईया लोनी से खतौली पहुंचे तो उन्होंने यहां लगभग 22 हजार से ज्यादा वोटों से भाजपा उम्मीदवार को हराया। राष्टÑीय लोकदल ने उनपर भरोसा जताया था और वो इस भरोसे पर खरे उतरे। यहां पर उनकी जीत का एक बड़ा कारण दलित वोट बैंक भी माना जा रहा है। यहां पर गुडलक ये था कि बसपा इस उपचुनाव से दूर रही। यदि बसपा इस चुनाव में आती तो वह नुकसान हैन्डपम्प का ही होता। दूसरा फायदा ये हुआ कि आजाद समाज पार्टी के मुखिया चन्द्रशेखर रावण ने इस उपचुनाव में रालोद का साथ दिया। जयंत ने चन्द्रशेखर रावण को साथ लेकर नये समीकरण बनाये। रालोद को बसपा की चुनाव से दूरी का लाभ मिला और उसके वोटों का माईलेज रालोद को मिल गया।
मतदाता ने नही दिल तोड़ा सभी को खुश किया थोड़ा थोड़ा
चुनाव केवल खतौली में ही नही था बल्कि चुनाव रामपुर में भी था। चुनाव मैनपुरी में भी था, चुनाव गुजरात में भी था और चुनाव हिमांचल में भी था। मतदाताओं ने भी कुछ इस तरह से मतदान किया कि दिल किसी का नहीं तोड़ा है और सबको थोड़ा थोड़ा खुश किया है। दिल्ली एमसीडी चुनाव में मतदाता आम आदमी पार्टी के साथ गये हैं तो गुजरात में जनादेश भाजपा को मिला है। हिमांचल प्रदेश में कांगे्रस आई है तो यूपी की सभी उपचुनाव सीटों पर अलग अलग जनादेश हैं। रामपुर में भाजपा चुनाव जीती है और सपा के आजमखान चुनाव हार गये हैं। मैनपुरी में सपा के राष्टÑीय अध्यक्ष तथा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव रिकॉर्ड वोटों से चुनाव जीती हैं। यहां भाजपा को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। खतौली में भाजपा चुनाव हारी है।
भाजपा के दिग्गज जाट चेहरों के लिए एक बड़ी चुनौती है
उपचुनाव में भाजपा खतौली से हारी है लेकिन रामपुर से वो चुनाव जीती है। मगर यहां पर उसके जाट चेहरों के लिए ये चुनौती है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी जाट हैं। भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष मोहित बेनिवाल जाट हैं और सबसे बड़ी चुनौती केन्द्रीय मंत्री संजीव बालियान के लिए है। क्योंकि यह बेल्ट उन्हीं के क्षेत्र में आती है। यहां की जीत रालोद के लिए और हार भाजपा के लिए इसलिए भी अहम है क्योंकि उसकी पूरी लॉबी यहां चुनाव जिताने के लिए उतरी थी। लेकिन मदन भईया ने यहां बड़ा झटका दिया है और संदेश दिया है कि फिल्म अभी बाकी है।
खेकड़ा से खतौली तक ‘ख’ शब्द रहा मदन भईया के लिए लकी
(करंट क्राइम)। मदन भईया ने एक एतिहासिक जीत हासिल की है और यहां पर एक संयोग ये बना है कि वो सबसे पहले खेकड़ा से विधायक रहे और इसके बाद उन्होंने लोनी से दो चुनाव लड़े और वह दोनों ही चुनाव में परास्त रहे। लेकिन जब खेकड़ा छोड़कर वो खतौली पहुंचे तो यहां उन्होंने सत्ताधारी दल की उम्मीदवार को उपचुनाव में हरा दिया। मदन भईया की जीत के यहां तीन प्रमुख कारण हैं। मौजूदा समय की राजनीति में लोग यहां भाजपा उम्मीदवार से नाराज बताये जाते हैं। वहीं मदन भईया ने डेरा डालकर एक सधी हुई रणनीति के तहत प्रचार किया। कार्यकर्ताओं को साथ लिया और मतदाताओं को ये विश्वास दिलाने में कामयाब रहे कि ताकतवर नेता ही हमेशा जनता की रक्षा करता है।
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