यह पंजाबी फेस कैसा रहेगा सामने से आई ये आवाज
वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)
गाजियाबाद। मेयर चुनाव का काउंट डाउन शुरू हो चुका है। बिरादरियों के समीकरण का अपडाउन हो रहा है। मेयर वाला क्राउन किसके सिर पर जायेगा इसे लेकर मंथन हो रहा है। यदि मेयर वाले सीन को देखें तो यहां बिरादरी ही दो फोकस में रही हैं। जिनमें ब्राह्मण और वैश्य बिरादरी का नाम आता है। इस बार तीन वाले सीन में पंजाबी फैक्टर की चर्चा चली है। खास तौर से भाजपा की एक लॉबी ने तो ये माहौल बनाया है कि समीकरण कुछ नही है केवल टिकट की माया है। जिसे भी टिकट मिल गया उसी की उम्मीदों का कमल खिल गया।
लिहाजा इस बार पंजाबी समाज को टिकट दिये जाने का एक माहौल तैयार हो रहा है। यहां पर तीन पंजाबी चेहरों की बात चल रही है। जिनमें अशोक मोंगा का नाम है। अशोक मोंगा महानगर अध्यक्ष रहे हैं, क्षेत्रीय कमेटी में रहे हैं और पार्टी के पुराने कार्यकर्ता हैं। वहीं यहां पर सरदार एसपी सिंह का भी नाम आता है। एसपी सिंह सौम्य व्यवहार वाले शालीन नेताओं की गिनती में आते हैं। पार्टी के पुराने कार्यकर्ता हैं और पंजाबी समाज के खाते में यदि सीट जाती है तो उनका नाम भी लिया जा सकता है। उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य रहे हैं। महानगर संयोजक रहे हैं और इसी कड़ी में तीसरा नाम जगदीश साधना का भी लिया जाता है। जगदीश साधना भाजपा के उन कर्मठ कार्यकर्ताओं में हैं जो पार्टी के हर कार्यक्रम में दिखाई देते हैं। व्यवहार बेहद शालीन है और बड़ी बात ये है कि एक सामान्य कार्यकर्ता की तरह काम करते हैं। पार्टी यदि पंजाबी समाज को ही फैक्टर मान रही है तो फिर यहां सरदार एसपी सिंह और जगदीश साधना भी एक मुकाम रखते हैं। बहरहाल एक बड़े जाट नेता चाहते हैं कि उनके नाम पर भी कन्सीडर हो। वो मन में यही भाव लेकर दिल्ली के एक बड़े घर में पहुंचे। ये घर सियासी फैसले लेने के लिए भी जाना जाता है। बताते हैं कि यहां पहुंचने पर भगवा जाट नेता ने बड़े चेहरे के सामने बात रखी कि यदि मैं मेयर टिकट के लिए दावेदारी करूं तो …। सूत्र बताते हैं कि जाट चेहरे ने अभी बात पूरी भी नही की थी कि सामने से बड़े नेता की आवाज ये आई कि यह नाम कैसा रहेगा।
सूत्र बताते हैं कि दिल्ली वाले बड़े चेहरे की जुबान पर गाजियाबाद के एक पंजाबी चेहरे का नाम था। अब जो जाट लीडर अपनी बात लेकर गये थे उनके पास यह सुनने के बाद फिर कहने सुनने को कुछ भी नही बचा था। बात दिल्ली में हुई और फिर इसकी चर्चा गाजियाबाद में भी फैल गयी। राजनीति में चर्चा तो पर्चा भरने के समय होती ही है। लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि यदि बड़े नेता ने ऐसा कहा है तो फिर कुछ तो हवा चल रही है। क्योंकि कुछ तो आग है जो ये धुंआ उठा है, कहीं ना कहीं कुछ तो हुआ है।