अब रीजन पता नहीं लेकिन रीजनल से भी अटक गई है ज्वाइनिंग वाली फाइल
वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)
गाजियाबाद। भगवा आंधी में कुछ तो पहले ही आ गए थे और कुछ आने की तैयारी में है। भाजपा अब विपक्ष को साफ करने की तैयारी में है। इसके आगाज भी महानगर से लेकर प्रदेश तक दिखाई दे रहे हैं। बड़े नेताओं की जुबान पर ज्वाइनिंग अभियान जैसी बात आ चुकी है। भाजपा महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा पहले ही ये कह चुके है कि वो जब चाहे तब यहां कांग्रेस, बसपा और सपा को हाफ कर सकते है। प्रदेश संगठन महामंत्री ने मेरठ वाली क्षेत्रीय बैठक में कहा कि दल के नेता दिल बड़ा कर ले क्योंकि कई दूसरे दलों के नेता भाजपा में आएंगे।
कार्यकर्ता स्तर पर पहले ही भाजपा सफाई अभियान चला चुकी है। उन्होंने सक्रिय सदस्य बनने के लिए स्कीम चलाई। इस स्कीम में मोबाइल फोन के जरिये 50 नए कार्यकर्ताओं को जोड़ना था और जिसके पास 50 ऐसी मिस्ड कॉल ज्वाइनिंग होगी वो सक्रिय सदस्य माना जाएगा। कॅरियर का स्कोप देखना है लिहाजा नीले झंडे में लिपटने वाले महावत अब भगवा रंग में चिपटने की तैयारी में है। उसके जनप्रतिनिधियों से लेकर संगठन पदाधिकारी बसपा में आ चुके हैं। कुछ पहले आ चुके है, कुछ अभी आएं है और कुछ आने की तैयारी में है। गुरुवार को नीली ज्वाइनिंग का शतक लगा और 100 से अधिक बसपाई भाजपा में आ गए। भगवा पटका पहन लिया और नीला पटका पटक दिया। लेकिन ज्वाइनिंग वाली स्टोरी में उन महावतों का ट्वीस्ट आ गया है जो बसपा में स्टार प्रचारक भी बनाए गए और भाजपा में उनके लिए दरवाजे नहीं खुल रहे है।
सूत्र बताते हैं कि बसपा के ये नीले नेता चाहते थे कि उनकी ज्वाइनिंग कम से कम लखनऊ में प्रदेश अध्यक्ष लेवल से हो।
लेकिन स्टोरी में ट्वीस्ट ये आ गया कि नीले लीडर चाह रहे थे कि उन्हें स्टे्टस वाले लीडर के रूप में कंसीडर किया जाए और भगवा फीडर वाले टॉवर से उन्हें लीडर वाला करंट ही नहीं मिला। सूत्र बताते हैं कि इसके बाद नीले नेता इस बात के लिए भी राजी हो गए थे कि प्रदेश न सही मेरठ में क्षेत्रीय कार्यालय से ही उनके भाजपाई होने का ऐलान हो। अब रीजन तो भगवा संगठन बेहतर जानता है लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि ज्वाइनिंग वाली फाइल रीजनल दफ्तर पर भी अटक गई है। वहां से भी नीले नेताओं को भगवा बनाने के लिए हरी झंडी नहीं मिली है। अब इन नेताओं का हाल ये हो गया है कि मोहब्बत में दोनों गए, न खुद ही मिला, न विसाले सनम।