गाजियाबाद (करंट क्राइम)। उत्तर प्रदेश में संगठन को ओर अधिक मजबूत करने के लिए कांग्रेस इन दिनों धीमी रफ्तार से आगे कदम बढ़ा रही है। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव सम्पन्न होने के बाद प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने इस्तीफा दे दिया था और उसके बाद से नये चेहरे के प्रदेशाध्यक्ष बनने की अटकलें चल रही हैं। लेकिन कांग्रेस आलाकमान इस बार संगठन को ऐसे हाथों में सौंपेगी जो चिरपरिचित हो और उसका जनता में बड़ा जनाधार हो। साथ ही संगठन को ओर अधिक मजबूत करने के लिए कांग्रेस ने जोन के प्रभारियों के कार्य क्षेत्र में परिवर्तन किया है। कार्य क्षेत्र में परिवर्तन होने के साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रभार देख रहे धीरज गुर्जर को पश्चिम से हटाकर अवध जोन का प्रभारी बना दिया है। धीरज गुर्जर के हटाये जाने के बाद प्रदीप नरवाल को अब गाजियाबाद सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 14 जिलों का प्रभार सौंपा गया है। उम्मीद जताई जा रही है प्रदीप नरवाल के प्रभारी बनने के बाद अब संगठनात्मक ढांचे में अमूलचूल परिवर्तन किए जाएंगे।
बता दें कि लंबे समय से राजस्थान के विधायक धीरज गुर्जर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी थे। उनके ही प्रभार में कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ा। धीरज गुर्जर के प्रभार क्षेत्र में लड़े गये विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक भी सीट जीतने में कामयाब नहीं रही। उल्टा कांग्रेसियों की जमानतें जब्त हुई और कांग्रेस के प्रत्याशी दो हजार या फिर उससे भी कम वोट लेकर आये, कुछ को छोड़ दिया जाये तो उन्होंने दस हजार या फिर ग्यारह हजार वोट हासिल किए। लंबे समय से धीरज गुर्जर के हटाये जाने की अटकलें चल रही थी और शनिवार को कांग्रेस की राष्टÑीय महासचिव प्रियंका गांधी ने प्रदेश के छह जोन में कार्य क्षेत्र परिवर्तन किया है। गाजियाबाद सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 14 जिलों का प्रभार प्रदीप नरवाल को बनाया गया है। प्रदीप नरवाल के कार्य क्षेत्र में सहारनपुर, शामली, बुलंदशहर, संभल, बिजनौर, अमरोहा, रामपुर, मुज्जफरनगर , बागपत, गाजियाबाद, मेरठ, हापुड़ व गौतमबुद्धनगर आयेगा। अब देखना होगा कि कांग्रेस में किए गए संगठनात्मक बदलाव कांग्रेस को कितना मजबूत कर पाते हैं या फिर कांग्रेस वहीं पुराने ढर्रे पर स्वयं को लेकर चलती रहेगी।
प्रदीप नरवाल क्या खत्म करा पायेंगे कांग्रेसियों के बीच की दूरियां
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। जनपद गाजियाबाद में कांग्रेस की राजनीति से ऐसा कोई व्यक्ति अनभिज्ञ होगा जिसे ये ना मालूम हो कि कांग्रेसियों की आपसी गुटबाजी से कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो रहा है। चाहे चुनाव लोकसभा का हो, या फिर विधानसभा या फिर नगर निकाय संबंधी चुनाव सभी में कांग्रेसियों की गुटबाजी उभर सामने आती है और आपसी गुटबाजी का ये असर होता है कि पार्टी बुरी तरह से चुनाव हार जाती है। गुटबाजी का आलम यहां तक है कि जब खुद पार्टी के आला नेता यहां पर रोड शो आदि करने के लिए आते हैं तो यहां के कांग्रेसी अपने बड़े नेता के रोड शो में भी जाने से कोई परहेज नहीं करते हैं। ऐसा लंबे समय से हो रहा है और अब स्थिति यह हो चुकी है कि कांग्रेस अब जनपद गाजियाबाद में पांच विधानसभा सीटों पर महज 33 हजार वोट लेने में ही सक्षम रह गई है । यदि समय रहते गुटबाजी को समाप्त नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब पांचों विधानसभा सीटों पर वोट का आकंड़ा 33 हजार से भी नीचे आ जायेगा और कांग्रेस के नेताओं के अस्तीत्व पर ही संकट मडराने लगेगा। हाल ही में कांग्रेस की राष्टÑीय महासचिव व प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी ने जोन स्तर पर फेरबदल किए हैं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रभारी प्रदीप नरवाल को बनाया गया है। प्रदीप नरवाल के प्रभारी बनाये जाने के बाद अब उनके सामने चुनौतियां संगठन को चुस्त दुरूस्त करने के साथ कांग्रेसियों की गुटबाजी दूर करने की भी रहेगी।
जनपद गाजियाबाद सहित 14 जिलें जिसमें सहारनपुर, शामली, बुलंदशहर, संभल, बिजनौर, अमरोहा, रामपुर, मुज्जफरनगर , बागपत, गाजियाबाद, मेरठ, हापुड़ व गौतमबुद्धनगर शामिल हैं और इन जिलों में प्रभारी प्रदीप नरवाल को संगठनात्मक ढ़ांचे को दुरूस्त करना होगा। अब देखना होगा कि प्रभारी के रूप में प्रदीप नरवाल क्या कदम उठाते हैं और किस तरह से कांग्रेसियों के बीच पनप रही गुटबाजी की खाई को दूर करते हैं।
यह भी देखना होगा कि प्रभारी प्रदीप नरवाल किस तरह से पार्टी के कार्यक्रमों को इन जनपदों में सफल करायेंगे। यदि प्रदीप नरवाल प्रभारी रहते हुए कांग्रेसियों की गुटबाजी को खत्म करने पर ध्यान नहीं देंगे तो चाहे वह संगठनात्मक सुधार पर कितना ही काम कर लें लेकिन कांग्रेस की नैया पार नहीं होगी।
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