कहां है वो मटकी और कौन सी थी पर्ची, मामला होगा शनिवार को डिस्कलोज
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। सियासत में कई घटनायें होती रहती हैं। सियासत में एक वो भी दौर था जब मत पत्रों की पेटी ही गायब हो जाती थी। सियासत में वो भी दौर था जब कोई किसी का नामांकन पत्र ही लेकर फरार हो गया। भगवागढ़ में सियासी मामलों का एक और ऐसा ही करार हो गया। दैनिक करंट क्राइम की कॉमिक परिकल्पना में कुछ ऐसा ही सीन साकार हो गया। करंट क्राइम ने लगभग एक हफ्ते पहले मेयर चुनाव की दावेदारी को लेकर पर्ची सिस्टम से ड्रॉ निकालने की बात कही थी। परिकल्पनाओं को संजोकर किरदारों का निर्माण किया था। यहां परिकल्पना में बताया था कि सब पर्ची में अपना नाम डलवाना चाह रहे हैं। पर्ची का सिस्टम बेनाम बादशाह कुलदीप चौहान के हाथ में था। मटकी उन्हीं के पास थी और अचानक एक शख्स आता है और जब तक किसी की समझ में कुछ आता तब तक वो मटकी छीनकर मौके से भाग जाता है। दावेदारी की मटकी छिन गयी तो दावेदारी ही अटकी अटकी सी लगने लगी। अब मटकी वालों के लिए खबर ये है कि फरार किरदार गुरुवार को करंट क्राइम मुख्यालय पहुंचा है। किरदार ने खुलकर स्वीकार किया कि मटकी इसलिए छीनी थी क्योंकि ड्रॉ पर आॅब्जेक्शन था। एक नाम की वजह से ऐसा करना पड़ा, मटकी को लेकर मौके से खुद को फरार करना पड़ा। अब जो दावेदार मटकी की तरफ टकटकी लगाये बैठे हैं उन्हें बता दें कि पर्ची तो हिन्डन नदी में प्रवाहित हो गयी हैं। पर्ची कहां समाहित हो गयी हैं ये खुलासा जल्द ही करंट क्राइम में होगा। फरार होने वाले ने बड़े प्यार से इकरार कर लिया है कि मटकी ही इसलिए छीनी गयी थी क्योंकि उसमें वो नाम नहीं था जिनको मैं मेयर बनते देखना चाहता हूं। बातें बहुत सी हुई हैं और खुलासे बहुत से हुए हैं। दिलासे भी खुलकर सामने आये हैं और सबकुछ खुलकर सामने आयेगा। दैनिक करंट क्राइम आखिर इस रोचक सच को आपके लिए ही तो आपके सामने लेकर आयेगा।
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