गौरव शशि नारायण (करंट क्राइम)
गाजियाबाद। शनिवार की शाम 12 वर्षीय बालक का जब मुरादनगर में गंग नगर से शव मिला और इस मामले में पुलिस ने पड़ोसी को ही कुकर्म कर हत्या का आरोपी बताते हुए गिरफ्तार किया तो हर कोई सन्न रह गया। यह घटना बता रही है कि गाजियाबाद में किस तरीके से आस पड़ोस में रहने वाले लोग बच्चों के साथ हैवानियत का खेल खेल रहे हैं। अगर गाजियाबाद में बीते एक महीने की बात की जाए तो बच्चों की हत्या के दो ऐसे सनसनीखेज मामले आ चुके हैं उसमें पड़ोसी ही अपहरणकर्ता से लेकर हत्यारो निकला है।
वहीं विजय नगर थानाक्षेत्र में पड़ोसी ने ही रेकी करते हुए तीन साल की खुशी का अपहरण किया था और उसको बीहड़ इलाके में ले गया था। पुलिस ने एक्टिवली वर्क किया था तो बच्ची सकुशल बरामद हो गई थी और आरोपियों को मुठभेड़ के बाद दबोचा गया था। वहीं कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद साहिबाबाद में पांच साल की मासूम बच्ची का पहले अपहरण किया गया, तो फिर उसकी हत्या की गई और उसका शव घर के ही पास से बरामद हुआ। इस मामले में हालांकि 6 दिन की कड़ी मशक्कत के बाद गाजियाबाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था और उस मामले में पुलिस की कार्रवाई तेज गति से चल रही है।
पूरे मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जा रहा है, जिसमें कहा जा रहा है कि जल्द ही आरोपी को सजा भी हो जाएगी। जिस तरीके से आस पड़ोस में रहने वाले लोग ही मासूम बच्चों के आरोपित बन रहे हैं, यह मामला हैरान करने वाला है। ऐसे मामलों में पुलिस- प्रशासन के साथ ही हमारे सामाजिक ताने-बाने के ऊपर भी सवाल उठना लाजमी है। मुरादनगर में जब बच्चे के परिजनों और आसपास के लोगों को उसका शव मिला तो उनका गुस्सा बढ़ गया था और आरोपी पड़ोसी निकलने के बाद तो पुलिस को भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। कुल मिलाकर गाजियाबाद में जिस तरीके से पड़ोसी मासूम बच्चे, बच्चियों के दुश्मन बन कर सामने आ रहे हैं, यह बड़ा ही गंभीर और हैरान करने वाला मामला नजर आने लगा है। पुलिस से लेकर उनके माता-पिता और समाजिक लोगों को इसपर गहन मंथन करना ही होगा।
विजयनगर में पड़ोसी ने ही
किया था बच्ची का अपहरण
(करंट क्राइम)। विजय नगर थानाक्षेत्र में नवंबर माह के दौरान एक बच्ची का अपहरण किया गया था। बच्ची की उम्र 3 साल थी, उसको पड़ोस में रहने वाले ही एक व्यक्ति ने अपहरण किया और बस में बैठा के वह उसे इटावा ले गया था। भले उसे पुलिस जैसे तैसे रेकी कर बदमाशों को दबोच लाई थी, उन बदमाशों का सहयोग करने वाले आरोपियों के साथ पुलिस की मुठभेड़ भी हुई थी। उस मामले में पुलिस ने बच्ची को सकुशल बरामद कर लिया था लेकिन अपहरण का मामला संगीन था।
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पड़ोसी ही निकला था मुखबिर और हत्या में सहयोगी
(करंट क्राइम)। 10 नवंबर को नंदग्राम थानाक्षेत्र में 11 साल की बच्ची का अपहरण हुआ था। अपहरण करने में सहयोगी की भूमिका पड़ोसी की ही थी। अपहरण करने के बाद बच्ची को स्कूटी पर ही बुलंदशहर लेकर जाया गया था। जहां गन्ने के खेत में उसकी हत्या कर दी गई थी, इस मामले में भी रंगदारी के लिए बदमाशों ने फोन कॉल किया था। बाद में पुलिस ने इस मामले के बदमाशों को गिरफ्तार करने में हालांकि सफलता हासिल की थी लेकिन बच्ची की हत्या में पुलिस की वर्किंग पर सवाल खड़े कर दिए थे। इस मामले में आरोपी पड़ोसी था, वह बच्ची को भलीभांति जानता था, इसी के डर से बदमाशों ने उसकी हत्या भी की थी क्योंकि बच्चे
की उम्र 11 साल थी और वह पड़ोसी को पहचान
गई थी।
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अब मुरादनगर में पड़ोसी ने की कुकर्म के बाद बच्चे की हत्या
(करंट क्राइम)। मुरादनगर में भी जो मामला सामने आया है उसमें आरोपी पड़ोसी निकला है। बच्चे के साथ दुष्कर्म किया गया और फिर पहचान उजागर होने के डर से उसकी हत्या कर दी गई थी। यह सभी मामले ना सिर्फ उन मां-बाप को अलर्ट करते हैं जो बच्चों को अपने आसपास और पड़ोसियों के भरोसे पर घर से बाहर और घर में छोड़ देते हैं। ऐसा भी नहीं है कि हर पड़ोसी गलत नजर रखने वाला या अपने दुष्कर्म करने की नियत रखने वाला हो लेकिन मां-बाप को भी अलर्ट रहने और सतर्कता बढ़ाने की आवश्यकता है। उधर मनोचिकित्सक डा. संजीव त्यागी कहते हैं कि बच्चे बहुत ही सरल होते हैं वह आसानी से किसी की बातों व लालच में आ जाते हैं और वह घटनओं का शिकार हो जाते हैं।