तब जनरली निभाया था साहब ने रामलीला वालों का साथ
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। इतिहास हमेशा अपने आप को दोहराता है और इस दोहराने में वो कई चीजें सिखाता है। नंदग्राम वाली रामलीला में भगवा विवाद है। यहां रामलीला के अध्यक्ष चुनाव लड़ना चाहते हैं और मौजूदा पार्षद भी भाजपा के हैं और उन्होंने यहां पार्क में बीस लाख के पौधों का हवाला देकर मंचन दूसरे पार्क में कराने की सलाह दी। यही वजह थी कि जो परमिशन 2 तारीख को मिल गयी थी वो परमिशन नगर निगम ने पांच तारीख को कैंसिल कर दी।
समिति तर्क दे रही है कि हर साल यही रामलीला होती है, बीस साल से यहीं रामलीला होती है तो फिर इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए था और पौधों वाला विकास इस पार्क में नहीं कराना चाहिए था। विवाद संगठन के पास आ चुका है और इसमें अभी विधायक की एंट्री होनी है। सूत्र बताते हैं कि विवाद पुराना है और वर्ष 2018 में भी नंदग्राम की इसी रामलीला में महाभारत के हालात बने थे। तब भी यहां पर जनरली साहब की दखल हुई थी और उसके बाद रामलीला यहीं पर सफल हुई थी। सूत्र बताते हैं कि तब वर्तमान महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा लोकसभा सांसद जनरल वीके सिंह के प्रतिनिधि थे और एनजीओ भी चलाते थे। तब भी इसी रामलीला को लेकर महाभारत मची थी और तब भी स्थानीय पार्षद ने नियम कायदों का हवाला देकर इस पार्क में रामलीला की परमिशन नहीं होने दी थी। सूत्र बताते हैं कि यहां पर स्थानीय पार्षद ने एक जनप्रतिनिधि को अपने पक्ष में साध लिया था और आदेश ऐसे पारित हो गये थे कि रामलीला इस मैदान में ना हो। उस समय इसी रामलीला के अध्यक्ष वो थे जो आज इस वार्ड से टिकट के दावेदार हैं। ये दावेदार यहां लोकप्रिय बताये जाते हैं और संगठन की गुडबुक में भी गिनाये जाते हैं। जब उस समय रामलीला की परमिशन को लेकर पेंच फंसा था तो मामला फिर जनरली वहां से उठकर साहब के दरबार में आ गया था। साहब ने इस मामले में रामलीला वालों का साथ दिया और सरकार से सम्पर्क साध लिया था। अधिकारियों से जब सख्ती से बात की थी तो फिर यहां मंचन हुआ था। ये मामला तब ऐसा हुआ था कि एक पुलिस और एक प्रशासन के अधिकारी को ट्रांसफर वाला करंट लगा था। सूत्र बताते हैं कि जो परमिशन पहले अधिकारी दे नहीं रहे थे फिर साहब की दखल के बाद एक या दो नहीं बल्कि 100 से ज्यादा रामलीलाओं को परमिशन वाली ओके रिपोर्ट मिल गयी थी। इसके बाद कोई व्यवधान नहीं आया लेकिन कोरोना आया और लॉकडाउन आया। अब जब सौभाग्य से हर्ष उल्लास के साथ रामलीला का पर्व आया है तो कहानी में फिर से पार्षद वाले विरोध का सीन आया है। बस अब अध्यक्ष का चेहरा बदला है और सूत्र बताते हैं कि रामलीला को लेकर अंदरखाने चल रही भगवा महाभारत एक रोचक मोड़ पर आ गयी है।
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