पुत्र की पेंशन कर रहे हैं गरीब बच्चों की शिक्षा के नाम
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। ये कहानी एक ऐसे पिता की है जिसने अपने जवान बेटे को देश की सेवा के लिए सेना में भेजा था। ये कहानी एक ऐसी मां की है जिसने अपने जवान बेटे की शहादत को देखा है और उस दर्द को सीने में दफन कर रखा है। ये कहानी एक ऐसी बहन की है जिसके भाई ने देश की सुरक्षा में अपने प्राणों की आहुति दी है और बहन ने अपने माता पिता की सेवा का संकल्प लिया है। एक ऐसा परिवार जो उच्च शिक्षित है और इस परिवार ने अपने युवा पुत्र की शहादत के बाद उसकी यादों को सेवा के माध्यम से जिंदा रखा है। उनके पुत्र की पेंशन से ढाई हजार से ज्यादा गरीब बच्चों की फीस की टेंशन खत्म होती है। इंदिरापुरम से शुरू शौर्य साहस की ये कहानी सेवा समपर्ण और मानवता पर खत्म होती है। ये सत्य किस्सा इंदिरापुरम में रहने वाले भूपेन्द्र सिंह जस का है। भूपेन्द्र सिंह जस के जवान पुत्र कैप्टन देविन्द्र सिंह जस सेना में कैप्टन थे और आतंकवादी मुठभेड़ में वह शहीद हुए थे। अदम्य साहस और वीरता के साथ लड़ते हुए कैप्टन देविन्द्र सिंह जस ने अपने प्राणों की आहुति देश के नाम दी थी। 23 फरवरी 2010 को कैप्टन देविन्द्र सिंह जस शहीद हो गये थे। प्रतिवर्ष उनके नाम की जो पेंशन आती है, उसे उनके पिता भूपेन्द्र सिंह जस गरीब बच्चों की शिक्षा पर खर्च करते हैं।
तीन लाख की लागत से बनवाया है बच्चों के लिए बैडमिंटन कोर्ट
माता पिता की आंखों का तारा उनका बेटा हमेशा के लिए मानों दूर आकाश में एक तारा बनकर समा गया है। लेकिन माता पिता ने अपनी आंखों के तारे को मानव सेवा से जिंदा रखा है। शहीद कैप्टन देविन्द्र सिंह जस की प्रतिमाह मिलने वाली पेंशन से उनके पिता ने हाल ही में गरीब बच्चों के लिए बैडमिंटन और वॉलिबॉल कोर्ट का निर्माण कराया है। मकनपुर प्राथमिक बालिका विद्यालय में यह कोर्ट बनवाया गया है। बड़ी बात यह है कि शहीद के परिवार ने गरीब बच्चों के लिए केवल खेल का कोर्ट नहीं बनवाया है बल्कि उनके लिए खेल के सामान और कोच की भी व्यवस्था की है। भूपेन्द्र सिंह जस का कहना है कि गरीब बच्चों को खेल की सुविधायें मिलेंगी तो देश को प्रतिभाशाली खिलाड़ी मिलेंगे।
शहादत दिवस पर होना चाहिए पिता और पूरे परिवार का सम्मान
शहीद कैप्टन देविन्द्र सिंह जस को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से नवाजा गया था। शहीद के पिता भूपेन्द्र सिंह जस डाबर कम्पनी में जनरल मैनेजर के पद से रिटायर हुए हैं। उनके पुत्र कैप्टन देविन्द्र सिंह जस ने 23 फरवरी 2010 को देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति दी थी।
एक पिता के जज्बे को यहां सलाम करना होगा। जिस पुत्र को उन्होंने इतने लाड से पढ़ाया और लिखाया वह पुत्र बड़ा होकर उनकी सेवा करेगा। लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था और किसे पता था कि पुत्र देश की सेवा के काम आयेगा। लेकिन पिता के रूप में भूपेन्द्र सिंह जस के जज्बे को सलाम करना होगा कि वह मानव सेवा के रूप में अपने पुत्र की यादों को संजोये हुए है। पुत्र दुनिया में नहीं है लेकिन गरीब बच्चों की दुआओं में वो समाये हुए हैं। 23 फरवरी को कैप्टन देविन्द्र सिंह जस का शहादत दिवस है और शहादत दिवस पर शहीद के पिता और पूरे परिवार का सम्मान होना चाहिए। ये जज्बा पूरे देश को पता चलना चाहिए और शहीद के सम्मान में , शहीद के पिता के सम्मान में सबको शहादत दिवस पर खड़े होना चाहिए।
बहन डॉ. हरप्रीत कौर ने कहा निभायेंगी बेटे का फर्ज
शहीद कैप्टन कीर्ति चक्र विजेता देविन्द्र सिंह जस की बहन डॉ. हरप्रीत कौर पीएचडी हैं और वह दिल्ली के जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। भाई की शहादत के बाद उन्होंने माता पिता की सेवा का संकल्प लिया। उनका कहना है कि वह अविवाहित रहेंगी और अपने माता पिता की सेवा एक बेटे के रूप में करते हुए अपने फर्ज को निभायेंगी।
23 फरवरी को आ रहा है कैप्टन देविन्द्र सिंह जस का शहादत दिवस
इंदिरापुरम में रहने वाले भूपेन्द्र सिंह जस और दलबीर कौर शहीद के माता पिता हैं। भूपेन्द्र सिंह जस के पुत्र कैप्टन देविन्द्र सिंह जस का जन्म 29 सितम्बर 1983 को हुआ था। 31 बटालियन के कैप्टन देविन्द्र सिंह जस ने वर्ष 2010 दिनांक 23 फरवरी को जम्मू कश्मीर के सौपोर जिले में आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ में अदम्य साहस और शौर्य का परिचय दिया था। इस मुठभेड़ में कैप्टन देविन्द्र सिंह जस शहीद हो गये थे। उन्हें मरणोपरांत उनकी वीरता और शौर्यता के लिए सेना ने कीर्ति चक्र से नवाजा था। 23 फरवरी को शहीद कैप्टन देविन्द्र सिंह जस कीर्ति चक्र का शहादत दिवस है।