राजेंद्र मित्तल मेदी ने की जब कलेक्ट्रेट में सरकारी मीटिंग अटेंड
वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)
गाजियाबाद। अतुल गर्ग जब पहली बार चुनाव जीतकर शहर विधायक बने तो उन्हें सरकार में राज्यमंत्री भी बनाया गया। इसी के साथ भगवा गढ़ में जनप्रतिनिधि के प्रतिनिधि वाले पद ने अपने कद का अहसास कराया। वैसे तो विधायक मोदीनगर से लेकर लोनी तक थे लेकिन शहर विधायकी में जनप्रतिनिधि के प्रतिनिधि का अलग ही जलवा रहा।
अतुल गर्ग के पास चंूकि सरकार वाली जिम्मेदारी आ गई थी इसलिए उन्होंने आम जनता की परेशानी को देखते हुए अपने दो प्रतिनिधि नियुक्त किए। ये इसलिए था कि यदि अतुल गर्ग मंत्री के रूप में लखनऊ और प्रभारी मंत्री के रूप में एटा में मौजूद हो तो जनता के कामों को उनके प्रतिनिधि देख सकें।
राजेंद्र मित्तल मेदी वालों ने बाकायदा अतुल गर्ग जन सहायता केंद्र बनाकर इस जिम्मेदारी को निभाया। कविनगर वाले अतुल गर्ग के आवास से लेकर एटा जिले के डाक बंगले में उनका फोटो नजर आया। विकास वाले काले पत्थरों पर गोल्डन अक्षरों में उनका नाम भी आया और गले में फूल की माला पहनकर उन्होंने उद्घाटन के नारियल भी फोड़े। लेकिन दूसरी पारी में तो सीन ही चेंज हो गया। अतुल गर्ग विधायक वाला चुनाव तो जीते लेकिन मंत्री के रूप में वो एक्स हो गए और इसी के साथ उनकी हर फाइल को संभालने वाले उनके दोनों प्रतिनिधि भी इस जिम्मेदारी से रिलेक्स हो गए। एक ने तो पहले ही कह दिया था कि अब वो विधायकी वाला फोर्ट नहीं बल्कि अधिवक्ता के रूप में कोर्ट देखेंगे। इस दौरान किसी का फोन भी नहीं उठाएंगे। लेकिन राजेंद्र मित्तल ने सबसे पहले अतुल गर्ग जन सेवा केंद्र वाला बोर्ड हटाया। खुद को कभी व्यापार मंडल का संरक्षक तो कभी रामलीला का संरक्षक बताया। चुनाव से पहले तो अतुल गर्ग ने भी कहा था कि मेरे प्रतिनिधि राजेंद्र मित्तल और अजय राजपूत ही रहेंगे। लेकिन विधायक बनने के बाद और मंत्री पद से हट जाने के बाद सीन में ही सस्पेंस आ गया था। राजेंद्र मित्तल मेदी वाले दिखाई तो देते थे लेकिन वो शहर विधायक अतुल गर्ग के प्रतिनिधि है या नहीं है इसको लेकर सस्पेंस था।
ये सस्पेंस गुरुवार को उस समय खत्म हो गया जब राजेंद्र मित्तल मेदी वालों ने कलेक्ट्रेट में सरकारी मीटिंग को अटेंड किया। सरकारी कामकाज से जुड़ी इस मीटिंग में कई प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे। इसी मीटिंग में राजेंद्र मित्तल मेदी वाले भी शहर विधायक अतुल गर्ग के प्रतिनिधि के रूप में मौजूद थे। अब ये सस्पेंस खत्म हो गया है और सरकारी मीटिंग में राजेंद्र मित्तल मेदी वालों की मौजूदगी ने बता दिया है कि जनप्रतिनिधि के प्रतिनिधि वो ही थे और वो ही रहेंगे।
जब जिलाधिकारी की कुर्सी से तीसरी कुर्सी पर बैठे राजेंद्र मित्तल
(करंट क्राइम)। राजेंद्र मित्तल मेदी वाले की पहचान विधायक और मंत्री के प्रतिनिधि के रूप में पहली पारी में ही हो गई थी। चुनाव अधिसूचना जारी होने के बाद उन्होंने दिल्ली गेट वाले आॅफिस से भले ही फ्लैक्स पर लिखा मैटर हटा लिया था लेकिन फ्रेम वहीं मौजूद रहा। मंत्री के प्रतिनिधि के रूप में जिले के अधिकारियों से लेकर अन्य जिलों के अधिकारियों तक उन्हीं का फोन जाता था। गुरुवार को भी जब वो कलेक्ट्रेट वाली बैठक में मौजूद थे तो डीएम की कुर्सी से उनकी दूरी महज एक कुर्सी की थी। पहली कुर्सी पर जिलाधिकारी मौजूद थे, दूसरी कुर्सी पर एक आईपीएस अधिकारी मौजूद थे और तीसरी कुर्सी पर शहर विधायक अतुल गर्ग के प्रतिनिधि राजेंद्र मित्तल मेदी वाले मौजूद थे।